भारत-चीन में तनावः कांग्रेस ने कहा-पीएम मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह खामोश क्यों, पूरा देश क्षुब्ध है
By शीलेष शर्मा | Updated: June 16, 2020 20:56 IST2020-06-16T20:56:07+5:302020-06-16T20:56:07+5:30
चीनी सेना के हजारों सैनिकों ने गलवान वैली और पैंगोंग सो लेक एरिया, लद्दाख में घुसपैठ कर हमारी ‘भूभागीय अखंडता’ पर अतिक्रमण का दुस्साहस किया है। पिछले पांच दशकों में, वास्तविक नियंत्रण रेखा पर एक भी दुर्घटना अथवा हमारे सैनिक की शहादत भारत-चीन सीमा पर नहीं हुई है।

कांग्रेस मांग करती है कि प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री को आगे आकर देश को जवाब देना चाहिए। (file photo)
नई दिल्लीः चीनी सेना द्वारा लद्दाख में तीन स्थानों पर अप्रैल और मई के बाद भारतीय सीमा में की गई घुसपैठ की खबरों ने पूरे देश में गंभीर चिंता व व्यग्रता पैदा कर दी है, बाबजूद इसके भारतीय सीमा में घुसपैठ के तथाकथित चीनी दुस्साहस पर मोदी सरकार ने मौन साध लिया है।
यह टिप्पणी कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने सीमा से मिलीं खबरों के बाद की। उन्होंने बताया कि कथित तौर से ये घुसपैठ लद्दाख में गलवान नदी वैली, हाॅट स्प्रिंग्स और पैंगोंग सो झील के इलाके में हुई है। पार्टी की औपचारिक प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये सुरजेवाला ने कहा कि भारत की ‘सुरक्षा व क्षेत्रीय अखंडता’ से कोई समझौता स्वीकार नहीं किया जा सकता।
हमारे सैनिक की शहादत भारत-चीन सीमा पर नहीं हुई है
खबरों की मानें तो चीनी सेना के हजारों सैनिकों ने गलवान वैली और पैंगोंग सो लेक एरिया, लद्दाख में घुसपैठ कर हमारी ‘भूभागीय अखंडता’ पर अतिक्रमण का दुस्साहस किया है। पिछले पांच दशकों में, वास्तविक नियंत्रण रेखा पर एक भी दुर्घटना अथवा हमारे सैनिक की शहादत भारत-चीन सीमा पर नहीं हुई है।
गहरी चिंता व स्तब्ध करने वाली बात तो यह है कि आज दोपहर के बाद से, सभी समाचार चैनलोंऔर समाचार पत्रों ने चीनी सेना द्वारा भारतीय सेना के एक अधिकारी और दो सैनिकों के मारे जाने की पूरी तरह से अप्रत्याशित और अस्वीकार्य खबर दी है। भारतीय सेना द्वारा 12.52 बजे कथित रूप से जारी एक बयान में हमारे अफसर व सैनिकों के वीरगति प्राप्त करने की पुष्टि की गई और बाद में 1.08 बजे यह बयान संशोधित कर दिया गया,जिसने लोगों के मन में सवाल खड़ा कर दिया है।
प्रधानमंत्री मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पूरी तरह से चुप्पी साध ली
कांग्रेस प्रवक्ता ने सरकार से पूछा कि यदि यह सच है, तो चीनी सैनिकों के हाथ हमारे जांबाज और बहादुर अधिकारी और सैनिकों की शहादत की खबरें बहुत ही चौंकाने वाली, भयावह और पूर्णतया अस्वीकार्य हैं। पूरा देश क्षुब्ध है, रोष में है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पूरी तरह से चुप्पी साध ली है।
कांग्रेस मांग करती है कि प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री को आगे आकर देश को जवाब देना चाहिए। कांग्रेस ने सरकार से चार सवालों के जबाब मांगे, क्या यह सच है कि चीनी सेना ने गलवान घाटी में भारतीय सेना के एक अधिकारी और सैनिकों को मार डाला है?
क्या यह सही है कि अन्य भारतीय सैनिक भी इस हमले में गंभीर रूप से घायल हुए हैं? यदि हां, तो पीएम मोदी और रक्षामंत्री पूरी तरह चुप्पी क्यों साधे हुए हैं? भारतीय सेना के कथित बयान के मुताबिक हमारी सेना के उच्च अधिकारी और सैनिक कल रात उस समय शहीद हुए थे, जब डी-एस्केलेशन की प्रक्रिया गलवान घाटी में चल रही थी।
हमारे अधिकारी और सैनिक ऐसे समय में कैसे शहीद हो सकते हैं
क्या प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री इस बात पर राष्ट्र को विश्वास में लेंगे कि हमारे अधिकारी और सैनिक ऐसे समय में कैसे शहीद हो सकते हैं जबकि चीनी सेना कथित तौर पर गलवान घाटी के हमारे क्षेत्र से कब्जा छोड़ वापस जा रही थी? केंद्रीय सरकार बताए कि हमारे उच्च सेना अधिकारी और सैनिक कैसे और किन परिस्थितियों में शहीद हुए?
अगर हमारे अधिकारी और सैनिकों के शहीद होने का यह वाक्या कल रात हुआ था, तो आज 12.52 बजे दोपहर बयान क्यों जारी किया गया और 16 मिनट बाद ही यानि 1.08 बजे दोपहर बयान क्यों बदला गया? . प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री ने अप्रैल/मई, 2020 से चीनी सेना द्वारा हमारे क्षेत्र पर कब्जे बारे चुप्पी बनाए रखी है और सार्वजनिक पटल पर किसी भी सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया।
क्या प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री अब आगे बढ़कर देश को यह बताने का साहस करेंगे कि अप्रैलऔर मई तक भारत की सीमा के कितने क्षेत्र में चीन ने अवैध कब्जा कर लिया है? यह भी बताएं कि वे कौन से हालात व स्थिति हैं, जिनके चलते हमारे बहादुर सैन्य अधिकारी व सैनिकों की शहादत हुई है, जबकि चीनी सैनिकों को भारतीय सीमा से पीछे हट ‘वास्तविक नियंत्रण रेखा’ तक जाने के लिए मजबूर किया जाना था? क्या प्रधानमंत्री राष्ट्र को विश्वास में लेंगे? क्या प्रधानमंत्री बताएंगे कि भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता के लिए पैदा हुई इस चुनौतीपूर्ण व गंभीर स्थिति से निपटने के लिए भारत सरकार की नीति क्या है?

