गुजरातः कांग्रेस को मित्र मुक्त बनाने में जुटी भाजपा, पहले कोली, फिर ओबीसी अब पाटीदारों को मनाने की रणनीति

By महेश खरे | Published: April 14, 2019 05:09 AM2019-04-14T05:09:13+5:302019-04-14T05:09:13+5:30

GUJARAT: The BJP, the first Koli, then the OBC, to persuade the Congress to make friends free of charge | गुजरातः कांग्रेस को मित्र मुक्त बनाने में जुटी भाजपा, पहले कोली, फिर ओबीसी अब पाटीदारों को मनाने की रणनीति

गुजरातः कांग्रेस को मित्र मुक्त बनाने में जुटी भाजपा, पहले कोली, फिर ओबीसी अब पाटीदारों को मनाने की रणनीति

देश को कांग्रेस मुक्त बनाने का नारा देने वाली भाजपा लोकसभा चुनाव में गुजरात में कांग्रेस को मित्र मुक्त बनाने में जुटी है. पहले कोली समाज के बड़े चेहरों को कांग्रेस से अलग किया, फिर ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर को और अब पाटीदार वोटों को साधने की रणनीति से तो यही संदेश मिलता है.

गुजरात में कोली, पटेल और ओबीसी वोट करीब 40% तो पाटीदार 12 से 15% हैं. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जिन युवा चेहरों के भरोसे और सहयोग से सीटें बढ़ार्इं थीं, आज लोकसभा चुनाव में उन सभी पर भाजपा की नजर है. हाल के आयाराम-गयाराम अभियान का अगर गंभीरता से विश्लेषण किया जाए तो इसमें कांग्रेस को चुनावी मैदान में मित्र मुक्त कर देने की भाजपा की रणनीति दिखती है.

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का गुजरात दौरे पर आना. गांधीनगर में चुनिंदा नेताओं के साथ गहन मंत्रणा करना. इसके बाद ही पाटीदार संगठनों के अग्रणियों के साथ बैठक और उसमें से पाटीदारों के जख्मों पर मरहम लगाने के संदेश का बाहर आना, महज संयोग नहीं हो सकते. विश्व उमिया धाम से जुड़े पाटीदार समाज के अग्रणी सी. के. पटेल के साथ शाह ने आरक्षण आंदोलन के दौरान पाटीदारों पर दर्ज केस वापस लेने, मारे गए पाटीदारों के परिजनों को नौकरी देने पर चर्चा की. इस अवसर पर मुख्यमंत्री विजय रुपाणी और उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल भी उपस्थित रहे. दरअसल भाजपा का शीर्ष नेतृत्व रूठे पाटीदारों को मनाने की कोशिश में है. 

बता दें कि पाटीदारों पर 90% मामले वापस लिए जा चुके हैं अब दूरियां केवल 10% मामलों को लेकर बनी हुई हैं. सी. के. पटेल ने बताया कि इस बारे में पार्टी का रुख सकारात्मक है. विस चुनाव में तीन युवा चेहरे हार्दिक, अल्पेश और जिग्नेश मेवाणी कांग्रेस के साथ रहे हैं. ये तीनों क्रमश: पाटीदार, पिछड़ा वर्ग और दलित समुदाय के प्रतिनिधि युवा चेहरे हैं. इनके सहयोग से कांग्रेस को गुजरात की सत्ता तो नहीं मिल सकी, लेकिन सीटें बढ़ीं और वोट शेयर में सुधार अवश्य हुआ. कांग्रेस की इस एकता को भाजपा ने लोकसभा चुनाव में खतरे की घंटी माना. 

चुनाव की घोषणा से पहले ही कोली-पटेलों को साधने के लिए कोली समुदाय के बड़े चेहरे कुंवरजीभाई वावलिया और जवाहर चावड़ा को कांग्रेस से इस्तीफा दिलाकर भगवा खेस धारण कराया गया. कुंवरजीभाई को तो मंत्री पद से भी नवाजा गया. इससे कोली समाज में कांग्रेस की पैठ प्रभावित हुई. ठाकोर समाज के नेता एवं राधनपुर से कांग्रेस विधायक अल्पेश ठाकोर ओबीसी वोट बैंक बढ़ाने में कांग्रेस के सशक्त माध्यम रहे. सूत्रों की मानें तो भाजपा की पैनी नजर अल्पेश पर भी है ताकि उन्हें अपने पाले में लाया सके.

अभियान 50% सफल:

 यह कहना गलत नहीं होगा कि गुजरात में कांग्रेस को मित्र मुक्त बनाने का भाजपा का अभियान लगभग आधा तो सफल हो ही गया है. आगे कौन सा कार्ड भाजपा चलेगी, यह देखना बाकी है. पार्टी की विजय संकल्प रैलियों में कांग्रेस छोड़कर भाजपा का खेस धारण करने के दृश्य तो अनिवार्य फीचर हो गए हैं. पिछले चुनाव में साथ निभाने वाली राकांपा और बीटीपी को कांग्रेस अपने साथ नहीं रख पाई. बाकी बचे साथी अपनी मर्जी के मालिक की तरह ही कांग्रेस के साथ हैं. 

Web Title: GUJARAT: The BJP, the first Koli, then the OBC, to persuade the Congress to make friends free of charge



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