नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा केंद्रीय कर्मचारियों के मंहगाई भत्ते पर लगाये गये अंकुश को लेकर सरकारी कर्मचारियों और पेंशन भोगियों में खासी नाराजगी है, सूत्रों के अनुसार इन कर्मचारियों के संघटन अपनी नाराज़गी व्यक्त करने के लिये रणनीति बनाने में जुट गये हैं। इस बीच इन कर्मचारियों को कांग्रेस का खुला समर्थन भी मिल गया है जिसके संकेत पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ने ट्वीट के ज़रिये दिये।
राहुल ने ट्वीट किया "लाखों करोड़ की बुलेट ट्रेन परियोजना और केंद्रीय विस्टा सौन्दर्यीकरण परियोजना को निलंबित करने की बजाय कोरोना से जूझ कर जनता की सेवा कर रहे केंद्रीय कर्मचारियों ,पेंशन भोगियों और देश के जवानों का महंगाई भत्ता काटना सरकार का असंवेदनशील तथा अमानवीय निर्णय है"
राहुल के ट्वीट के साथ ही कांग्रेस ने इसी मुद्दे पर सरकार के खिलाफ चौतरफ़ा हमला बोल दिया, पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने सरकार पर तंज कसा कि 30 दिन पहले बजट पेश किया जिसमें आय और खर्च का पूरा ब्यौरा था ,उस समय कोरोना संकट सामने था फिर 30 दिन बाद यह कटौती क्यों? कोरोना के कारण देश और जनता आर्थिक मंदी की मार झेल रहे हैं ,उस पर मरहम लगाने की जगह सरकार नमक छिड़क रही है।
उल्लेखनीय है कि सरकार द्वारा महंगाई भत्ते की कटौती से सरकारी खजाने में सालाना 37 हज़ार 530 करोड़ आ जायेंगे जिसका सीधा प्रभाव लगभग 50 लाख सेवा रत कर्मचारियों तथा 61 लाख से अधिक पेंशन भोगी बुजुर्गों पर पड़ेगा।
इतना ही नहीं सीमाओं पर तैनात सेना के जवान भी इसकी चपेट में होंगे ,जिससे 15 लाख सैनिकों और 26 लाख पेंशन भोगी पूर्व सैनिक इस फ़ैसले के शिकार होंगे। कोरोना की आड़ में मोदी सरकार अपनी गलत आर्थिक नीति को छिपाने के लिये नये -नये हथकंडे अपना रही है ,पहले मध्यम वर्ग पर तीर चला कर बचत पर मिलने वाली व्याज की कटौती की अब सैनिकों और केंद्रीय कर्मचारियों पर हमला किया है।