महाराष्ट्र के सियासी संकट पर देवेंद्र फड़नवीस ने कहा, BJP पीछे के दरवाजे से घुसकर राजनीति करने में कोई रुचि नहीं रखती
By पल्लवी कुमारी | Published: April 30, 2020 07:30 AM2020-04-30T07:30:31+5:302020-04-30T07:30:31+5:30
शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने पिछले साल 28 नवंबर को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी और इस तारीख से छह महीने की अवधि के अंदर उन्हें विधायिका का सदस्य बनना होगा, अन्यथा इस्तीफा देना होगा। इस बारे में राज्यपाल ने अभी फैसला नहीं लिया है।
मुंबई:महाराष्ट्र में चल रहे सियासी संकट पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने कहा है कि वह पीछे के दरवाजे से घुसकर राजनीति करने में कोई रुची नहीं रखते हैं। देवेंद्र फड़नवीस का यह बयान ऐसे वक्त में आया जब एक दिन पहले ही राज्य मंत्रिमंडल ने उद्धव ठाकरे को विधान परिषद में मनोनीत करने की राज्यपाल से दूसरी बार सिफारिश की थी। सत्तारूढ़ महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (एमवीए) के नेताओं ने मंगलवार को भी राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात की और उद्धव ठाकरे को राज्यपाल द्वारा मनोनीत सदस्य के रूप में विधान परिषद में भेजने की मंत्रिमंडल की सिफारिश पर विचार करने का अनुरोध किया।
हमें विश्वास है कि राज्यपाल सही फैसला लेंगे: देवेंद्र फड़नवीस
देवेंद्र फड़नवीस ने कहा, "हमें विश्वास है कि राज्यपाल एक उचित निर्णय लेंगे, कानूनी और संवैधानिक ढांचे के अनुरूप, और उद्धव ठाकरे को परिषद में नामित करेंगे।"
देवेंद्र फड़नवीस ने कहा, ''मैं इस बात पर जोर देना चाहूंगा कि उद्धव ठाकरे को परिषद में मनोनीत करने और सीएम के रूप में जारी रखने के लिए भाजपा बहुत खुश होगी। भाजपा राज्य में अस्थिरता नहीं चाहती है।''
उद्धव ठाकरे के नामांकन को रोकने के पीछे विपक्ष के आरोपों का खंडन करते हुए फड़नवीस ने कहा, "हम न तो इंजीनियरिंग अस्थिरता में रुचि रखते हैं और न ही पिछले दरवाजे से प्रवेश करने में।"
शिवसेना नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने बीजेपी पर अपने राजनीतिक हितों की सेवा के लिए राजभवन का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया था।
प्रतिनिधिमंडल के सदस्य एक वरिष्ठ मंत्री के मुताबिक उन्होंने राज्यपाल से इस मामले पर फैसला जल्द लेने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल का फैसला कानून के हिसाब से वैध है और राज्यपाल मंत्रिमंडल के फैसले का स्वीकार करने के लिये बाध्य हैं। मंत्री ने कहा कि इस पर राज्यपाल ने कहा कि वह एक सप्ताह के भीतर अपने फैसले की जानकारी देंगे। कोरोना वायरस महामारी के चलते चुनाव स्थगित कर दिए गए हैं, लिहाजा ठाकरे द्वि-वार्षिक चुनाव के जरिये विधान परिषद के सदस्य नहीं बन सकते।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की फोन पर बात
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने विधान परिषद के मामले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात कर हस्तक्षेप करने की मांग की है। ठाकरे ने मोदी से फोन पर बात कर उन्हें बताया कि राज्य में राजनीतिक अस्थिरता पैदा करने की कोशिशें की जा रही हैं। उन्होंने कहा, ''कोविड-19 से जूझ रहे महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य में राजनीतिक अस्थिरता ठीक नहीं है। ठाकरे ने पीएम मोदी से इस मामले में दखल देने की अपील की।''
विधान परिषद की दो खाली सीटों में से एक पर राज्यपाल के कोटे में उन्हें मनोनीत करने की सिफारिश की गई है। उद्धव ठाकरे विधान मंडल के किसी सदन के सदस्य नहीं हैं और उन्हें 28 मई तक विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य बनना होगा।
अगर वह किसी भी सदन के सदस्य नहीं बन पाते हैं तो उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी छोड़नी पड़ेगी। उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व में गठबंधन नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को राज्यपाल से मुलाकात कर उन्हें मंत्रिमंडल के फैसले की एक प्रति सौंपी।