Coronavirus: लॉकडाउन में राज्य से बाहर फंसे बिहारियों की समस्या पर तेजस्वी ने नीतीश कुमार को घेरा, योगी आदित्यनाथ की तारीफ की
By एस पी सिन्हा | Published: April 18, 2020 03:02 PM2020-04-18T15:02:24+5:302020-04-18T15:02:24+5:30
कोरोना लॉकडाउन के बीच राज्य से बाहर फंसे अप्रवासी बिहारियों की समस्या को लेकर सियासत शुरू हो गई है। प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार पर सवाल खड़े करते हुए उन्हें राजधर्म का पाठ पढाया है।
बिहार में इस साल विधानसभा की चुनाव होने वाला है. कोरोना ने चुनावी सियासत पर ग्रहण लगा दिया है, लेकिन राजनीतिक दलों की नजरें तो चुनाव पर टिकी हैं. ऐसे में अप्रवासी बिहारियों की समस्याओं को लेकर सियासत होने लगी है. दूसरे राज्यों में फंसे बिहार निवासी मजदूरों के बाद दूसरे राज्य में फंसे बिहारी छात्रों को वापस लाने को लेकर सूबे में सियासत तेज हो गई है.
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा विशेष बसों से राजस्थान के कोटा से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे सूबे के छात्रों को लाने का प्रबंध किया गया है. इसके बाद बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार पर सवाल खड़े करते हुए उन्हें राजधर्म का पाठ पढाया है.
वहीं, उनके जवाब में सत्ताधारी दल जदयू ने भी पलटवार किया है. बहरहाल, तेजस्वी यादव ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ की है. साथ ही दूसरे राज्यों में फंसे बिहार के मजदूरों और छात्रों को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए सोशल मीडिया पर खुला पत्र लिखा है. जबकि उन्होंने ट्वीट कर सवाल किया है कि बिहार सरकार अनिर्णय की स्थिति में क्यों हैं? अप्रवासी मजबूर मजदूरों और छात्रों से इतनी बेरुखी भरा व्यवहार क्यों है? बिहार में तीन दिनों में तीन गरीब मजदूरों की मृत्यु हो चुकी है. उनके प्रति असंवेदनशीलता क्यों है?
इससे पहले तेजस्वी यादव ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा सूबे के छात्रों को दूसरे राज्य से वापस बुलाये जाने के फैसले को लेकर ट्विटर पर तारीफ की है. उन्होंने लिखा है कि ''उप्र के मुख्यमंत्री का यह कदम सराहनीय है. लेकिन, बिहार का क्या करे, जहां हजारों छात्र कोटा के जिलाधिकारी से विशेष अनुमति लेकर आएं. लेकिन बिहार सरकार ने उन्हें बिहार सीमा पर रोक प्रदेश में नहीं घुसने दिया? विद्यार्थी हो या अप्रवासी मजदूर बिहार सरकार ने संकट में सभी को त्याग दिया है.''
एक अन्य ट्वीट में तेजस्वी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को राजधर्म का पाठ भी पढाया है. उन्होंने लिखा है कि अप्रवासी राज्य के मानव संसाधन हैं. ये सभी कुशल, अर्द्ध कुशल व अकुशल श्रमिक राज्य के कमाऊ पूत हैं, जो राज्य की अर्थव्यवस्था में प्रतिवर्ष 50 से 60 हजार करोड का अंशदान देते हैं. उन्हें संकट की घडी में राज्य द्वारा इस तरह छोड देना नैतिकता, मानवता और राजधर्म के विरुद्ध है.
इस बीच, तेजस्वी के ट्वीट अटैक का जदयू ने ताबडतोड़ जवाब दिया है. जदयू के प्रवक्ता निखिल मंडल ने तेजस्वी को चिंता नहीं करने की नसीहत देते हुए कहा कि जो लोग बाहर से बिहार आए हैं या जो बिहार के बाहर हैं, नीतीश सरकार उनका पूरा ध्यान रख रही है. उनके रोजगार से लेकर रहने-खाने तक का इंतजाम किया गया है. निखिल मंडल ने तेजस्वी के बिहार से बाहर होने की बात कहते हुए तेज किया कि जब फुरसत मिले, बिहार आ जाइएगा.
वहीं, जदयू नेता अजय आलोक ने कहा कि तेजस्वी यादव केवल बयान देते हैं. जब भी बिहार में संकट आता है, गायब हो जाते हैं. बयान का क्या है, कहीं से देते रहिए. उन्होंने आगे कहा कि नीतीश कुमार सबों की चिंता करते हैं. आप भी बिहार के बाहर हैं. हमें आपकी भी चिंता है. बताइएगा, तुरंत समस्या सुलझ जाएगी. एक अन्य ट्वीट में उन्होंने तेजस्वी यादव को सर्टिफायड भ्रष्टाचारी पार्टी से जुडा बता दिया.
इन सबके बीच बिहार सरकार ने इस बात से साफ इनकार कर दिया है. सूबे के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने बताया कि हमारी सरकार बच्चों को वापस नहीं बुलाएगी. जो वहां पर फंसे हैं उन्हें वहीं सुविधा पहुंचाई जाएगी. इसके साथ ही वहां की राज्य सरकार से भी सुविधा देने को कहा जा रहा है. उन्होंने कहा कि अभी छात्रों तक सुविधाएं पहुंचाने का काम सरकार कर रही है. इस समय जरूरी ये है कि सभी धैर्य से काम लें और इस आपदा के खत्म होने का इंतजार करें.