Mumbai migrant crisis: शरद पवार के पोते और विधायक रोहित का ट्वीट- श्रमिक लॉकडाउन के कारण घर लौटे, फायदा उठाएं मराठी युवक
By भाषा | Updated: May 6, 2020 17:30 IST2020-05-06T17:30:48+5:302020-05-06T17:30:48+5:30
देश में 17 मई तक जारी लॉकडाउन के बीच प्रवासी कामगार गांव लौट रहे हैं। इस बीच राकांपा के विधायक रोहित पवार ने कहा कि मराठी युवक को इसका फायदा उठाना चाहिए। काम कोई छोटा या बड़ा नहीं होता है।

मराठी युवक श्रमिकों के वापस जाने के बाद उत्पन्न इस अवसर का लाभ उठा सकते हैं। (file photo)
मुंबईःप्रदेश में सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल राकांपा के विधायक रोहित पवार ने बुधवार को कहा कि प्रवासी श्रमिकों के अपने गृह राज्य लौटने के बाद औद्योगिक गतिविधियों सुचारू रूप से चलाने में कठिनाई होगी और मराठी युवक इस अवसर का लाभ उठा सकते हैं।
पवार ने ट्वीट किया कि मराठी युवकों को मौजूदा संकट के दौरान किसी भी काम को छोटा नहीं समझना चाहिये। रोहित राकांपा के संस्थापक शरद पवार के भाई के पोते हैं । उन्होंने कहा, 'अनेक श्रमिक लॉकडाउन के कारण अपने घर लौट रहे हैं। दूसरे राज्यों के श्रमिकों की अनुपस्थिति में औद्योगिक एवं व्यावसायिक गतिविधियां चलाने में कठिनाई होगी।'
करजत जामखेड़ के विधायक ने ट्वीट किया, 'मराठी युवक श्रमिकों के वापस जाने के बाद उत्पन्न इस अवसर का लाभ उठा सकते हैं और उन्हें मौजूदा संकट के दौर में किसी भी काम को कम कर के नहीं आंकना चाहिये।'
लॉक डाऊन शिथिल होत असतानाच अनेक कामगार/मजूर स्वगृही जात आहेत. परराज्यातील या कामगारांअभावी उद्योग-व्यवसाय सुरू करण्यात अडचण येऊ शकते. पण हे कामगार परत गेल्याने निर्माण झालेल्या संधीचा फायदा मराठी मुलांनी उठवावा व आजच्या संकटात कोणतंही काम कमी दर्जाचं समजू नये.
— Rohit Pawar (@RRPSpeaks) May 6, 2020
कर्नाटक सरकार ने प्रवासी कामगारों के लिये विशेष ट्रेनें चलाने का अनुरोध वापस लिया
कर्नाटक सरकार ने प्रवासी कामगारों को उनके गृह राज्यों तक पहुंचाने के लिये विशेष ट्रेनें चलाने का अपना अनुरोध वापस ले लिया है। दरअसल, कुछ ही घंटे पहले भवन निर्माताओं (बिल्डर) ने मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा से मुलाकात की थी और प्रवासी कामगारों के वापस जाने से निर्माण क्षेत्र को पेश आने वाली समस्याओं से अवगत कराया था।
प्रवासियों के लिये नोडल अधिकारी एवं राजस्व विभाग में प्रधान सचिव एन मंजूनाथ प्रसाद ने दक्षिण पश्चिम रेलवे से बुधवार को छोड़ कर पांच दिनों के लिये प्रतिदिन दो ट्रेनें परिचालित करने का मंगलवार को अनुरोध किया था, वहीं राज्य सरकार चाहती थी कि बिहार के दानापुर के लिये प्रतिदिन तीन ट्रेनें चलाई जाएं। बाद में, प्रसाद ने कुछ ही घंटे के अंदर एक और पत्र लिख कर कहा कि विशेष ट्रेनों की जरूरत नहीं है। उल्लेखनीय है शहर में बड़ी संख्या में प्रवासी कामगार अपने-अपने घर लौटना चाहते हैं क्योंकि उनके पास न तो रोजगार है, ना ही पैसा। प्रसाद ने दक्षिण पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक को मंगलवार को लिखा, ‘‘चूंकि कल से ट्रेन सेवाओं की जरूरत नहीं हैं, इसलिए इसका उल्लेख करने वाला पत्र वापस लिया गया समझा जाए।’’
रेल अधिकारियों ने कहा कि उन्हें विशेष ट्रेनों के परिचालन के लिये पहले भेजे गये पत्र को वापस लेने का अनुरोध करने वाला पत्र प्राप्त हुआ है। प्रसाद टिप्पणी के लिये उपलब्ध नहीं हो सके। इस मुद्दे से करीबी तौर पर जुड़े एक सूत्र ने बताया कि भवन निर्माताओं ने मुख्यमंत्री को इस बात से अवगत कराया था कि यदि प्रवासी कामगारों को वापस जाने की अनुमति दे दी गई तो मजदूरों की कमी पड़ जाएगी। भवन निर्माताओं ने कहा कि लॉकडाउन के नियमों में छूट के चलते निर्माण सामग्री की आूपर्ति कोई बड़ा मुद्दा नहीं है, लेकिन यदि प्रवासी कामगारों को अपने-अपने राज्य वापस जाने की अनुमति दे दी गई तो शहर में मजदूरों की कमी पड़ जाएगी। बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने मजदूरों से रूके रहने का अनुरोध किया और उन्हें हर संभव सहायता का भरोसा दिलाया।
उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के प्रवासी कामगार शहर में हंगामा करते हुए अपने-अपने घर वापस भेजने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने उग्र प्रदर्शन किया और पुलिसकर्मियों पर भी हमले किये हैं। काफी मशक्कत के बाद, स्थिति नियंत्रण में की जा सकी। कर्नाटक के राजस्व मंत्री आर अशोक ने प्रवासी कामगारों से बेंगलोर अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी केंद्र में मुलाकात की थी, जहां उन्हें रखा गया है। कोविड-19 से संक्रमित हो जाने की आशंका से ज्यादातर प्रवासी कामगार शहर में रूके रहने से डर रहे हैं।
उनकी यह भी आशंका है कि यदि उन्हें या उनके परिवार के साथ कोई अप्रिय घटना होती है तो अपने घर नहीं पाएंगे। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर निवासी एवं पेंटर का काम करने वाले शैलेश ने पीटीआई-भाषा से कहा कि उसके पास अब सारे पैसे खत्म हो गये हैं। शैलेश ने कहा, ‘‘मेरे बड़े भाई हैदराबाद में फंसे हुए हैं, जबकि मैं बेंगलुरु में फंसा हुआ हूं। हम दोनों अभी पिछले डेढ़ महीने से बेरोजगार हैं ।’’ शैलेश ने यह भी कहा, ‘‘जिस महाजन से उसके माता-पिता ने 40,000 रुपये का कर्ज लिया था वह भी पिछले एक हफ्ते से पैसे वापस करने के लिये उन्हें परेशान कर रहा है।’’
यहां सुब्रमण्यपुरा के पास झुग्गी बस्ती में फंसे कुछ प्रवासी कामगारों ने बताया कि उनके पास अब किराना वस्तुएं खरीदने के लिये भी पैसे नहीं बची हैं। एक दमघोंटू और छोटे से कमरे में रह रहे इन 14 मजदूरों ने कहा कि दो वक्त के भोजन की व्यवस्था कर पाना आजकल एक बड़ी चुनौती बन गई है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें खिचड़ी मिल रही है, लेकिन कब तक कोई आदमी सिर्फ इसे खाकर रह सकता है।’’