कोरोना संकट: हेमंत सोरेन सरकार के दो मंत्रियों ने कराई किरकिरी, एक के मरकज में शामिल होने की चर्चा तो दूसरे मंत्री ने लॉकडाउन...
By एस पी सिन्हा | Published: April 2, 2020 05:45 PM2020-04-02T17:45:32+5:302020-04-02T18:03:41+5:30
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि यह समय एकजुट और सतर्क रहने का है. यदि हम पूरी तरह एहतियात न बरतें तो सभी को कोरोना वायरस से खतरा है.
रांची: झारखंड में कोरोना के जारी कहर के बीच हेमंत सोरेन सरकार के दो मंत्रियों आलमगीर आलम और हाजी हुसैन अंसारी ने तमाम प्रयासों पर पूरी तरह पानी फेर दिया है. अभी तक मंत्री आलमगीर आलम की आलोचना हो रही थी कि उन्होंने बसों में ठूंस-ठूंसकर लोगों को भिजवाने का काम किया. लॉकडाउन के बावजूद मंत्री आलमगीर आलम की पहल पर बीते रविवार की रात को 11 बसों में 600 मजदूरों को रांची से विभिन्न जिलों को भेजा गया था.
इन बसों में मजदूर जानवरों की तरह ठूसे हुए थे, जो इन्हें पाकुड, साहिबगंज और कोडरमा लेकर गईं. सभी बसें रांची के धुर्वा से रवाना हुई थीं. इसके बाद भाजपा ने इन्हें निशाने पर ले लिया है.
बताया जाता है कि आपदा प्रबंधन के सख्त नियमों को दरकिनार करते हुए सारे लोग विभिन्न जिलों में गये. इसमें से 400 लोगों को पाकु्ड में रोककर क्वारंटाइन किया गया है. इस मामले में फजीहत हो चुकी तो अब मंत्री हाजी हुसैन अंसारी का नाम भी संवैधानिक पद पर रहते हुए गंभीर कोताही बरतने वालों में जुड गया है. यहां तक कि उन्हें परिवार सहित होम क्वारंटाइन कर दिया गया है.
दरअसल, हाजी हुसैन अंसारी के पुत्र नई दिल्ली में तब्लीगी जमात के मरकज में शामिल हुए, लेकिन यह बात छिपाने की उन्होंने भरपूर कोशिशें की. इस बात का खुलासा होने के बाद भी परिवार यह दावा कर रहा है कि कोई दिल्ली नहीं गया था. मंत्री के पुत्र तनवीर ने क्वारंटाइन किए जाने के वक्त भी दावा किया कि वे नई दिल्ली नहीं गए थे. ऐसे में यह सवाल उठता है कि उनका नाम मोबाइल नंबर के साथ पुलिस की विशेष शाखा की सूची में कैसे आ गया?
सही यह होता कि मंत्री स्वयं अपने पुत्र को जांच के लिए आगे करते. ऐसे में भाजपा के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने राज्य सरकार पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि राज्य में विधि- व्यवस्था ध्वस्त है. जनता से नियमों का पालन करने को कहा जाता है, जबकि राज्य के मंत्री कानून की धज्जियां उडा रहे हैं. एक तरफ पूरा प्रदेश कोरोना को लेकर लॉकडाउन है, तो दूसरी तरफ मंत्री आलमगीर आलम अपने कारनामों से संवैधानिक संकट पैदा कर रहे हैं.
दीपक प्रकाश ने कहा कि विगत 29 मार्च को मंत्री ने अपने पत्र के माध्यम से रांची जिला प्रशासन पर दबाव बनाकर लॉकडाउन के बीच 600 लोगों को रांची से बाहर ले जाने के लिये बस चलाने की स्वीकृति दिलाई. इसी को आधार बनाकर मंत्री ने लोगों को रांची से बाहर कोडरमा, साहेबगंज आदि स्थानों पर भेजा. इनमें से अधिकांश लोग बांग्लादेशी हैं. उन्होंने रांची उपायुक्त द्वारा इस संबंध में जारी दूसरे पत्र का हवाला देते हुए कहा कि प्रशासन ने भारत सरकार के निर्देश के आलोक में गाडियों के संचालन आदेश को उसी दिन निरस्त कर दिया था. फिर भी मंत्री ने बसों में बिठाकर लोगों को कैसे भेजा. ऐसे में जहां मंत्री ही नियम कानून को तोड़ते हैं, वहां जनता से कैसे पालन की उम्मीद की जा सकती है?
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री छोटे पदाधिकारियों को अनुशासन की सीख देते हैं, दंडित कर रहे हैं, जबकि अपने मंत्री के संगीन अपराधों पर पर्दा डालते हैं. राज्य की जनता इन करतूतों को समझ रही है. मुख्यमंत्री को तत्काल ऐसे मंत्री पर आपराधिक मुकदमा दर्ज कराते हुए मंत्रिमंडल से बर्खास्त करना चाहिये.
वहीं, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि यह समय एकजुट और सतर्क रहने का है. यदि हम पूरी तरह एहतियात न बरतें तो सभी को कोरोना वायरस से खतरा है. यह वायरस किसी धर्म, समुदाय, जाति, नस्ल को नहीं पहचानता. इस विकट समय में एक-दूसरे का सहारा बनें ताकि जिन लोगों में लक्षण हो, उनको सामने आने की और जांच कराने की हिम्मत मिले.