संजीवनी देने वाले विदर्भ क्षेत्र पर कांग्रेस का विशेष ध्यान, इंदिरा गांधी को भी मिला था साथ, जानिए क्या है आंकड़े
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: February 6, 2021 01:58 PM2021-02-06T13:58:37+5:302021-02-06T14:00:15+5:30
कांग्रेस ने महाराष्ट्र विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष नाना पटोले को अपनी प्रदेश इकाई का नया अध्यक्ष नियुक्त किया है. जो विदर्भ से आते हैं.
नागपुरः बुरे दौर में पार्टी को संजीवनी देने वाले विदर्भ पर कांग्रेस ने एक बार फिर फोकस किया है. प्रदेश महिला कांग्रेस का अध्यक्ष पद यवतमाल की संध्या सव्वालाखे को देने के बाद अब नाना पटोले को प्रदेशाध्यक्ष नियुक्त किया गया है.
उल्लेखनीय है कि विदर्भ ने जब-जब कांग्रेस का साथ दिया है तब-तब उसे प्रदेश की सत्ता नसीब हुई है. इसी बात को ध्यान में रखकर कांग्रेस आलाकमान ने विदर्भ के भरोसे ही सत्ता हासिल करने का मार्ग तलाशने की रणनीति अख्तियार की है.
इससे पहले आबासाहब खेड़कर, नासिकराव तिरपुड़े, रणजीत देशमुख, प्रभा राव, माणिकराव ठाकरे जैसे विदर्भ के नेताओं ने प्रदेश कांग्रेस की कमान संभाली है. इसका फायदा भी कांग्रेस को समय-समय पर पहुंचा है. आपातकाल के बाद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का विदर्भ ने ही साथ दिया था. बहरहाल 2014 के विधानसभा चुनाव में विदर्भ की 62 सीटों में से कांग्रेस के खाते में केवल 10 सीटें आई थीं.
2019 में इसमें थोड़ी वृद्धि हुई और पार्टी को 16 सीटें मिलीं. पिछले वर्ष हुए लोकसभा चुनाव में प्रदेश से निर्वाचित पार्टी के एकमात्र सांसद बालू धानोरकर चंद्रपुर से निर्वाचित हुए. विदर्भ ने ही कांग्रेस की प्रतिष्ठा बचाई. पटोले की नियुक्ति से कांग्रेस के संकटकाल में उसे बल देने का विदर्भ का इतिहास एक बार फिर चर्चा में आ गया है.
फड़नवीस को रोकने की रणनीतिः पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस प्रदेश भाजपा के मुख्य चेहरा हैं. पूरे प्रदेश में अगर फड़नवीस की दौड़भाग रोकनी है तो उन्हें विदर्भ में ही अधिक से अधिक समय रोकना जरूरी है. विदर्भ को वरीयता देकर कांग्रेस ने फड़नवीस को विदर्भ में ही रोकने की रणनीति अख्तियार की है.
विदर्भ से ही सत्ता का मार्गः विदर्भ में विधानसभा की 62 सीटें हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि यहां 35 से 40 सीटें जीतने पर कांग्रेस की विधानसभा में कुल सीटों का आंकड़ा 80 के करीब पहुंच सकता है. कांग्रेस को प्रदेश के अन्य इलाकों में तीन अथवा चार कोणीय मुकाबला करना होता है. विदर्भ की अधिकांश सीटों पर उसका सीधा भाजपा से मुकाबला होता है. कांग्रेस को लगता है कि ऐसे में वन टू वन संघर्ष वाले विदर्भ पर अधिक ध्यान केंद्रित करने से उसे अधिक फायदा होगा.