कांग्रेस का बीजेपी पर हमला, कहा- तुम हमें सत्ता दिलाओ, हम तुम्हें पद देंगे
By रामदीप मिश्रा | Published: March 18, 2020 02:50 PM2020-03-18T14:50:27+5:302020-03-18T14:50:27+5:30
कांग्रेस ने ट्वीट के साथ तस्वीर साझा की, जिसमें दावा किया कि बीजेपी का ये रिटर्न गिफ्ट था। उसने कहा कि सरकार ने लाभ के तौर पर विनोद राय को बीसीसीआई प्रमुख और पद्म भूषण दिया गया।
पूर्व प्रधान न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किए जाने के बाद से कांग्रेस लगातार हमलावर है और वह सरकार को भी आड़े हाथ ले रही है। इस बीच बुधवार को उसने पूर्व नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) विनोद राय का उदाहरण देकर बीजेपी पर हमला किया। दरअसल, वे यूपीए सरकार में उस समय सुर्खियों में आए थे जब उन्होंने टूजी स्पेक्ट्रम घोटाला एवं कोयला घोटाला की सनसनीखेज रिपोर्टों का खुलासा किया था।
कांग्रेस ने ट्वीट कर कहा, 'बीजेपी: तुम हमें सत्ता दिलाओ, हम तुम्हें पद देंगे। एक काल्पनिक घोटाले के जरिए पूरे देश को भ्रमित किया गया और इस पटकथा को अंजाम देने वाले को उसका इनाम गया।'
कांग्रेस ने ट्वीट के साथ तस्वीर साझा की, जिसमें दावा किया कि बीजेपी का ये रिटर्न गिफ्ट था। उसने कहा कि सरकार ने लाभ के तौर पर विनोद राय को बीसीसीआई प्रमुख और पद्म भूषण दिया गया। इसके पीछे की वजह यूपीए-2 सरकार के खिलाफ काल्पनिक टू जी घोटाले के आविष्कार है।
भाजपा : तुम हमें सत्ता दिलाओ, हम तुम्हें पद देंगे
— Congress (@INCIndia) March 18, 2020
एक काल्पनिक घोटाले के जरिए पूरे देश को भ्रमित किया गया और इस पटकथा को अंजाम देने वाले को उसका इनाम गया।#BJPKaReturnGiftpic.twitter.com/TI2JPElvyN
कांग्रेस ऐसे आरोप उस समय लगा रही है जिस समय रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया है। इससे पहले पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता आनंद शर्मा ने ट्वीट कर कह चुके हैं, 'न्यायमूर्ति गोगोई को मनोनीत किया जाना न्यायपालिका की स्वतंत्रता से समझौता करने और सरकार को खुश करने के लिए अहम संवैधानिक मामलों की सुनवाई में देरी का इनाम है।'
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने ट्वीट करके कहा था, 'हमें मिलीभगत नहीं चाहिए। हमें संवैधानिक सिद्धांतों और प्रावधानों को बरकरार रखने के लिए निर्भीकता और स्वतंत्रता की जरूरत है।'
पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि मोदी सरकार ने पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली के उस कथन का भी ख्याल नहीं रखा जिसमें उन्होंने न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति के बाद पदों पर नियुक्ति का विरोध किया था। हमारे संविधान के तहत न्यायपालिका एक तरफ होकर काम करती है तथा कार्यपालिका और विधायिका दूसरी तरफ होते हैं। संविधान में शक्तियों का स्पष्ट बंटवारा किया गया है।
उन्होंने दावा किया था, 'यह धारणा कुछ वर्षों से बन रही थी कि हमारी कार्यपालिका के आक्रमण से न्यायपालिका में कमजोरी आ रही है। यह धारणा और बढ़ेगी। मिथ्या प्रचार किया जा रहा है कि हमने भी ऐसा किया था। न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्रा का उदाहरण दिया जाता है। लेकिन यह नहीं बताया जाता कि प्रधान न्यायाधीश का पद छोड़ने के छह वर्ष बाद वह राज्यसभा पहुंचे थे। लेकिन गोगोई के मामले में छह महीने का समय है।'
दरअसल, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया। गोगोई 17 नवंबर 2019 को उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्त हुए थे।