बीजेपी ने सीएम कमलमाथ से मांगा इस्तीफा, शिवराज बोले- लोकतंत्र का काला दिन

By राजेंद्र पाराशर | Published: January 9, 2019 02:48 AM2019-01-09T02:48:59+5:302019-01-09T02:48:59+5:30

राज्य विधानसभा में प्रोटेम स्पीकर द्वारा कार्यसूची में शामिल पहले चारों प्रस्तावों को लेकर विधानसभा अध्यक्ष के चयन की प्रक्रिया पूरी करने का विरोध करते हुए भाजपा ने पहले तो सदन से बहिर्गमन किया और विधानसभा परिसर में सरकार के खिलाफ हंगामा कर नारेबाजी की।

Congress' NP Prajapati Elected MP Assembly Speaker, BJP Not Allowed to Nominee and wants kamalnath regine | बीजेपी ने सीएम कमलमाथ से मांगा इस्तीफा, शिवराज बोले- लोकतंत्र का काला दिन

बीजेपी ने सीएम कमलमाथ से मांगा इस्तीफा, शिवराज बोले- लोकतंत्र का काला दिन

विधानसभा में 8 जनवरी को अध्यक्ष पद के चुनाव के चयन को लेकर नाराज भाजपा ने विधानसभा से राजभवन तक पैदल मार्च किया और मुख्यमंत्री कमलनाथ के इस्तीफे की मांग कर डाली। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आज जो सदन में हुआ लोकतंत्र के लिए काला दिन था।

राज्य विधानसभा में प्रोटेम स्पीकर द्वारा कार्यसूची में शामिल पहले चारों प्रस्तावों को लेकर विधानसभा अध्यक्ष के चयन की प्रक्रिया पूरी करने का विरोध करते हुए भाजपा ने पहले तो सदन से बहिर्गमन किया और विधानसभा परिसर में सरकार के खिलाफ हंगामा कर नारेबाजी की। इसके बाद नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में सभी भाजपा के विधायक पैदल मार्च करते हुए राजभवन पहुंचे। रास्ते भर विधायकों ने कांग्रेस सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग करते रहे। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आज जो हुआ वह लोकतंत्र के लिए काला दिन था। उन्होंने मुख्यमंत्री कमलनाथ से इस्तीफा देने की मांग कर डाली। उन्होंने कहा कि आज सदन में लोकतंत्र की हत्या हुई है। यह अलोकतांत्रिक प्रक्रिया है। वहीं पैदल मार्च करते हुए नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि विपक्ष की ओर से हमने विजय शाह को प्रत्याशी बनाया था, मगर सत्ता पक्ष नहीं चाहता था कि इस पद के लिए वोटिंग हो। उन्होंने कहा कि आज जो फैसला लिया गया वह अलोकतांत्रिक है, इस फैसले से लोकतंत्र की हत्या हुई है। इसके विरोध में हमने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा है।

अदालत भी जा सकते हैं हम: नरोत्तम

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मुलाकात करने के बाद पूर्व मंत्री डा। नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि हमने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर मांग की है कि अध्यक्ष पद का चुनाव फिर से कराया जाए, आज जो सदन में प्रोटेम स्पीकर ने प्रक्रिया अपनाई वह अलोकतांत्रिक प्रक्रिया थी। उन्होंने कहा कि भाजपा इस मामले को लेकर अदालत भी जा सकती है। साथ ही हम इस पूरे घटनाक्रम को लेकर कानूनी सलाह भी ले रहे हैं। इसके बाद आगे कदम उठाएंगे।

दो बार हो चुके हैं अध्यक्ष पद के लिए चुनाव

मध्य प्रदेश विधानसभा में चुनाव की स्थिति पहले दो बार बनी जब वोटिंग के जरिए विधानसभा अध्यक्ष का निर्वाचन हुआ था। पहले स्पीकर पद के लिए चुनाव की नौबत 27 मार्च, 1962 को आई थी। ये पहली बार था, जब अध्यक्ष पद के लिए विधानसभा में मतदान हो रहा था। भगवंतराव मंडलोई उस वक्त राज्य के मुख्यमंत्री थे और अध्यक्ष पद के लिए मुकाबला हुआ पं। कुंजीलाल दुबे और रामेश्वर अग्निभेज के बीच। मतदान के बाद पं। कुंजीलाल दुबे लगातार तीसरी बार मध्य प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष बनाए गए। 24 मार्च, 1967 को बनी थी, जब स्पीकर चयन के लिए मतदान का सहारा लेना पड़ा था। इस चुनाव में काशीप्रसाद पांडे और चंद्रप्रताप तिवारी उम्मीदवार थे और मतदान हुआ जिसमें काशीप्रसाद पांडे के पक्ष में 172 वोट गिरे, जबकि चंद्रप्रताप तिवारी को 117 मत मिले। इस प्रकार पहली बार विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए हुए चुनावी मुकाबले में काशीप्रसाद पांडे विजयी रहे।

सदन बिना हंगामे के चले : प्रजापति

मध्यप्रदेश विधानसभा के नव निर्वाचित सदस्य एनपी प्रजापति ने कहा कि उनकी यह कोशिश होगी कि सदन बिना हंगामें के चले। विधानसभा का हर क्षण हर घंटा बहुमूल्य है। विधानसभा अध्यक्ष निर्वाचित होने के बाद सदन को संबोधित करते हुए प्रजापति ने कहा कि मध्यप्रदेश को विधानसभा के नेता के तौर पर एक ऐसे व्यक्ति मिले हैं, जिनका राजनीति में सुधीर अनुभव है। वे केंद्र में मंत्री रहे हैं और अब मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। उनके नेतृत्व में मध्यप्रदेश सर्वांगीण विकास करेगा। आपने कहा कि इस विधानसभा में बड़ी संख्या में नए विधायक चुनकर आए हैं। उनके उद्बोधन के लिए जल्द ही सत्र आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने विधानसभा की अध्यक्षीय दीर्घा में मौजूद पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और सुरेश पचौरी का जिक्र करते हुए कहा कि उनका मार्ग दर्शन नव निर्वाचित सदस्यों को मिलेगा। आपने कहा कि हम लोगों की जन अपेक्षाओं पर खड़े उतरेंगे।

विधानसभा में श्रेष्ठ परंपरा: भार्गव

मध्यप्रदेश विधानसभा के नव निर्वाचित नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने के दौर में ही उनके स्वागत के प्रतिउत्तर में कहा कि मैं विधानसभा में श्रेष्ठ परंपरा हो इसके लिए प्रयास करूंगा। मध्यप्रदेश की विधानसभा अपने श्रेष्ठ परंपराओं के लिए विख्यात है। नेता प्रतिपक्ष भार्गव ने कहा कि प्रदेश के विकास में प्रतिपक्ष हमेशा सहयोगी की भूमिका निभाएगा। जहां गलती होगी वहां हम चेतावनी देंगे और जहां अच्छा लगेगा वहां बधाई भी देंगे। आपने आग्रह किया कि विधानसभा में मंत्री सही उत्तर दें उनकी यह अपेक्षा रहेगी। इसके पूर्व नेता प्रतिपक्ष का सदन के नेता और मुख्यमंत्री कमलनाथ के द्वारा स्वागत किया गया।

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