नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद और पार्टी के प्रवक्ता मनीष तिवारी ने एक गंभीर सवाल उठाया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने पूछा है कि क्या 2014 में कांग्रेस की हार के लिए संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) जिम्मेदार है? मनीष तिवारी ने लिखा है यह एक उचित सवाल है और इसका जवाब जरूर मिलना चाहिए। कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने शुक्रवार (31 जुलाई) को किए अपने ट्वीट में UPA के भागीदारी पर कई सवाल उठाए हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी द्वारा ट्वीट के जरिए उठाए गए सवाल ये हैं...
पहला सवाल- क्या 2014 में कांग्रेस की हार के लिए UPA जिम्मेदार है, यह उचित सवाल है और इसका जवाब मिलना चाहिए?
दूसरा सवाल- अगर सभी एक समान रूप से जिम्मेदार हैं, तो UPA को अलग क्यों रखा जा रहा है?
तीसरा सवाल- 2019 की हार पर भी मंथन होना चाहिए।
चौथा सवाल- सरकार से बाहर हुए तकरीबन 6 साल हो गए हैं लेकिन UPA पर कोई सवाल नहीं उठाए गए। सवाल तो UPA पर भी उठाए जाने चाहिए?
जानिए क्या है संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA)
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (United Progressive Alliance) देश की कई राजनीतिक पार्टियों का गठजोड़ है। जिसको लीड कांग्रेस पार्टी करती है। 2004 से लेकर 2014 कर केंद्र में UPA की ही सरकार थी। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी UPA चेयरपर्सन हैं।
मौजूदा वक्ता में UPA में कांग्रेस, डीएमके, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP), राष्ट्रीय जनता दल (RJD), इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC), शिवसेना, झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM),जनता दल सेक्युलर (JDS), एमडीएमके, आरएसपी, एआईयूडीएफ, वीसीके और कुछ निर्दलीय राजनेता शामिल हैं।
सोनिया के साथ कांग्रेस के राज्यसभा सदस्यों की बैठक में उठी राहुल गांधी को फिर से अध्यक्ष बनाने की मांग
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गुरुवार (30 जुलाई) को पार्टी के राज्यसभा सदस्यों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये बैठक की, जिसमें कई सदस्यों ने राहुल गांधी को फिर से पार्टी अध्यक्ष बनाए जाने की मांग की। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में रिपुन बोरा, पीएल पूनिया, छाया वर्मा तथा कुछ अन्य सदस्यों ने राहुल को फिर से पार्टी की कमान सौंपने की पैरवी की।
बैठक से अवगत एक सूत्र ने 'पीटीआई-भाषा' को बताया, बोरा, पूनिया, छाया वर्मा और कुछ अन्य सदस्यों ने कहा कि मौजूदा समय में पार्टी कार्यकर्ताओं की भावना है कि राहुल गांधी को फिर से कांग्रेस अध्यक्ष बनाया जाए। इन्होंने यह भी कहा कि राहुल गांधी ही विपक्ष में इकलौती आवाज हैं, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती दे रहे हैं।
सूत्रों का कहना था कि पार्टी के कई राज्यसभा सदस्यों की इस मांग पर सोनिया गांधी की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। गत 11 जुलाई को सोनिया ने कांग्रेस के लोकसभा सदस्यों के साथ डिजिटल बैठक की थी और उसमें भी पार्टी के कई सांसदों ने राहुल गांधी को फिर से पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेदारी देने की मांग की थी।
पिछले साल लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद राहुल गांधी ने इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद सोनिया गांधी को पार्टी का अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया था।