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कांग्रेस सीडब्ल्यूसीः अशोक गहलोत और सचिन पायलट बोले-भाजपा की तानाशाही के सामने, राहुल गांधी लड़ने में सक्षम

By धीरेंद्र जैन | Updated: August 24, 2020 19:46 IST

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश प्रभारी अजय माकन, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट, प्रदेशाध्यक्ष गोविंद डोटासरा, सहित पार्टी के विधायक ओर नेताअें ने राहुल गांधी को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने के पक्ष तर्क दिया है कि वर्तमान में अलोकतांत्रिक ताकतें अपने चरम पर हैं।

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ठळक मुद्देभाजपा की तानाशाही के सामने डटकर लडने के लिए राहुल गांधी का नेतृत्व ही सक्षम है। कांग्रेस नेताओं द्वारा नेतृत्व को लेकर सोनिया गांधी को लिखे पत्र पर गहलोत ने जताई नाराजगी।पार्टी के साथ लंबे समय तक काम किया है, ऐसे में उनसे यह उम्मीद नहीं थी जिनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने ऐसा पत्र लिखा है।

जयपुरः कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के इस्तीफे की खबर बाहर आने के बाद से राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट सहित प्रदेश के कांग्रेस नेताओं ने गांधी परिवार के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त करते हुए राहुल गांधी को फिर से राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाये जाने के लिए सोशल मीडिया पर अभियान चलाकर उनका समर्थन किया है।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश प्रभारी अजय माकन, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट, प्रदेशाध्यक्ष गोविंद डोटासरा, सहित पार्टी के विधायक ओर नेताअें ने राहुल गांधी को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने के पक्ष तर्क दिया है कि वर्तमान में अलोकतांत्रिक ताकतें अपने चरम पर हैं। ऐसे में भाजपा की तानाशाही के सामने डटकर लडने के लिए राहुल गांधी का नेतृत्व ही सक्षम है।

कांग्रेस नेताओं द्वारा नेतृत्व को लेकर सोनिया गांधी को लिखे पत्र पर गहलोत ने जताई नाराजगी

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर 23 वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं द्वारा आलाकमान सोनिया गांधी को लिखे गये पत्र पर नाराजगी जताई है। मुख्यमंत्री ने ट्विटर पर लिखा कि आलाकमान को कांग्रेस नेताओं द्वारा पत्र लिखने की बात अविश्वसनीय है। यदि यह सत्य है तो अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण है। मीडिया में जाने की कोई आवश्यकता नहीं थी।उन्होंने कहा कि मेरा व्यक्तिगत मत है कि इस कठिन समय में जब लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई है, सोनिया गांधी को पार्टी का निरंतर नेतृत्व करते रहना चाहिए। उन्होंने हमेशा आगे बढ़कर चुनौतियांे से टक्कर ली है। उन्होंने 1998 में पार्टी की बागडोर संभाली  और सभी चुनौतियों के बावजूद पार्टी को एकजुट बनाए रखा हुआ है।

1998 में चुनौत्ीपूर्ण समय में उन्होंने पार्टी की बागडोर संभाली और उसकी रक्षक बनीं। आज उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं होने पर भी उन्होंने कांग्रेस के कुनबे को एकजुट बनाये रखा है। क्या यह कम है? आज लोकतंत्र संकट में है और इस बचाना गंभीर चुनौती है। ऐसे में हमें पीछे नहीं हटना चाहिए।मुख्यमंत्री ने कहा कि गांधी परिवार ने पार्टी को हमेशा एकजुट रखा है और इस संकट सके समय में हमें उनकी आवश्यकता है। उन नेताओं ने पार्टी के साथ लंबे समय तक काम किया है, ऐसे में उनसे यह उम्मीद नहीं थी जिनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने ऐसा पत्र लिखा है।

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