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बजट से पहले मोदी सरकार पर कांग्रेस का हमला, आने वाले बजट से नहीं कोई उम्मीद

By शीलेष शर्मा | Updated: January 28, 2021 14:16 IST

पी चिदंबरम का मानना है कि कोरोना महामारी ना भी होती, तो भी मोदी सरकार अपने लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर पाती... 

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ठळक मुद्देकांग्रेस का मोदी सरकार पर हमला।देश की अर्थव्यवस्था को मंदी के दौर में बताया।

चार दिन बाद पेश होने वाले बजट को लेकर पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने मोदी सरकार पर तीखा हमला बोलते हुये आरोप लगाया कि सरकार की गलत आर्थिक नीतियों के कारण इस सरकार ने जो लक्ष्य निर्धारित किये थे उनको हासिल करने में सरकार पूरी तरह असफल रही है।

कांग्रेस ने बताई विफलता की बड़ी वजह

पार्टी ने साफ़ किया कि इस विफलता की बड़ी बजह थी कि अर्थव्यवस्था मंदी के दौर में है, 2021-22 के लिए जीडीपी वृद्धि की दर बहुत कम यानी 5 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होगी.

बेरोज़गारी की मौजूदा दर ग्रामीण इलाके में 9.2 प्रतिशत और शहरी इलाके में 8.9 प्रतिशत है। 2021-22 में बेरोज़गारी की दर अधिक बनी रहेगी, चिदंबरम ने कहा बचत पर कम ब्याज दर, अपर्याप्त ऋण वृद्धि, संरक्षणवाद, मित्र पूँजीपतियों को बढ़ावा देने, एकाधिकारवाद को बढ़ावा देने, अविश्वास का माहौल फैलाने एवं बदले की भावना से की जाने वाली प्रशासनिक कार्यवाही के चलते औद्योगिक क्षेत्र ज्यादा निवेश संभव नहीं होगा.

'अर्थव्यवस्था में ‘वी’ आकार का सुधार नहीं'

महंगाई की वर्तमान दर तीव्र व कष्टदायक है और यह संभव है कि मुद्रास्फ़ीति दर पर लगाम लगाने के लिए रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया दर बढ़ाकर हस्तक्षेप करे। मोदी सरकार ने पिछले सात सालों में हमारी अर्थव्यवस्था एवं तीव्र आर्थिक वृद्धि की संभावनाओं को नेस्तनाबूद कर दिया है। चिदंबरम ,जय राम रमेश और मल्लिकार्जुन खड़गे का मानना था कि आने वाले समय में हमें देश की अर्थव्यवस्था में ‘वी’ आकार का सुधार नहीं दिखता। कांग्रेस ने अर्थव्यवस्था सुधार के लिये सरकार को सलाह दी कि अर्थव्यवस्था में गिरावट को रोकने एवं सुधार को गति देने के लिए देर से ही सही, अर्थव्यवस्था को बड़ा वित्तीय प्रोत्साहन दिया जाए। इस तरह के प्रोत्साहन से लोगों के हाथों में पैसा जाएगा और मांग बढ़ेगी।  

पेट्रोल-डीज़ल के टैक्स दरों में कटौती की मांग

अर्थव्यवस्था में सबसे नीचे स्थित 20 से 30 प्रतिशत परिवारों के हाथों में कम से कम छह माह तक सीधे पैसा जाए। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों  (एमएसएमई) को पुर्नजीवित करने की योजना बनाकर लागू की जाए,  टैक्स दरों, खासकर जीएसटी एवं अन्य अप्रत्यक्ष टैक्स दरों यानी पेट्रोल व डीज़ल के टैक्स दरों में कटौती की जाए।  

सरकारी पूंजीगत व्यय बढ़ाए जाएं।निराशा व्यक्त करते हुये इन नेताओं ने टिप्पणी की कि यह सरकार किसी सुझाव और सलाह को मानने में विश्वास नहीं रखती अतः उम्मीद करना बेकार है। 

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