950 करोड़ रुपय के चारा घोटाले को लेकर आज स्पेशल सीबीआई कोर्ट अपना फैसला सुनाया। चारा घोटाले के इस मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव समेत 22 अन्य लोग आरोपी थे। इसमें लालू समेत 15 लोगों को दोषी करार दिया गया। जगन्नाथ मिश्र समेत सात लोगों को बरी कर दिया गया है।
आरोपी बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने कहा 'हमें न्याय व्यवस्था पर भरोसा है और हम उसका सम्मान करते हैं। बीजेपी की साजिशों को हम कामयाब नहीं होने देंगे। जैसा 2जी में हुआ, अशोक चव्हाण के मामले में हुआ, वैसा ही हमारे मामले में होगा।'
लालू के छोटे बेटे तेजस्वी यादव ने कहा है कि ये घोटाला 1977 का लेकिन लालू जी 1990 में मुख्यमंत्री बने थे. तेजस्वी ने कहा है कि हमें उम्मीद है कि फैसला हमारे पक्ष में आएगा।
इस केस में 22 अन्य लोग भी आरोपी हैं और इसपर रांची स्थित सीबीआई की स्पेशल कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी।
क्या है चारा घोटाला
चारा घोटाले 1996 में सार्वजानिक तौर पर उजागर हुआ। इस घोटाले में जानवरों के खिलाये जाने वाले और पशुपालन से जुडी चीजों के नाम पर 950 करोड़ का फर्जीवाड़ा सामने आया। चारा घोटाला बिहार के सबसे बहु चर्चित घोटालों में एक है।
साल 1990 से 1994 के बीच देवघर कोषागार से 89 लाख, 27 हजार रुपये की उलटफेर करके अवैध ढंग से पशु चारे के नाम पर इस इस घोटाले में कुल 38 लोग आरोपी थे जिनके खिलाफ सीबीआई ने 27 अक्तूबर, 1997 को मुकदमा संख्या आरसी 64ए 1996 दर्ज किया था।
इस मुकदमे में पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव, पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा, पूर्व मंत्री विद्यासागर निषाद, पीएसी के तत्कालीन अध्यक्ष जगदीश शर्मा एवं ध्रुव भगत, आर के राणा, तीन आईएएस अधिकारी फूलचंद सिंह, बेक जूलियस एवं महेश प्रसाद, कोषागार के अधिकारी एस के भट्टाचार्य, पशु चिकित्सक डा. के के प्रसाद और अन्य लोग इस घोटाले के आरोपी थे।
इस ममाले के कुल 38 आरोपी थे। इनमें से 11 की मौत हो चुकी है। तीन आरोपी सरकारी गवाह बन गए थे और दो ने गुनाह कबूल कर लिया था। गुनाह कबूल करने वाले दोषियों को सजा मिल गई थी।
चारा घोटाले में कुल 3 मामले हैं। इन तीनों मामलों में ही लालू प्रसाद यादव आरोपी हैं। इन तीनों मामलो में लालू यादव को कोर्ट ने दोषी ठहराया जा सकता है, जिसके बाद उन्हें जेल जाना पड़ सकता है। सीबीआई अपनी जांच में उन्हें पहले ही दोषी करार दे चुकी है।