उत्तर प्रदेश की दो लोकसभा (गोरखपुर और फूलपुर) सीट, बिहार की एक लोकसभा (अररिया) और दो विधानसभा (भभुआ और जहानाबाद) पर आगामी 11 मार्च को होने वाले उपचुनावों के लिए शुक्रवार को प्रचार थम गए। चुनाव प्रचारों में दिखा कि भले यह महज तीन लोकसभा व दो विधानसभओं के उपचुनाव हों पर देश की पूरी राजनीति को प्रभावित करेंगे।
इन चुनावों में उत्तर प्रदेश में 23 साल बाद समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच की खाई भर दी। बिहार में लालू प्रसाद यादव के जेल जाने के बाद उनके बेटे तेजस्वी यादव को आगे रखकर राष्ट्रीय जनता दल पहली बार चुनाव लड़ रही है। फिर गोरखपुर, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का गढ़ होने के चलते मोस्ट वांटेड सीट बन गई है। एसपी-बीएसपी ने इस पर पूरी ताकत झोंक दी है।
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फुलपुर योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्य की नाक सवाल बन गई है, क्योंकि आजादी के बाद पहली बार इस लोकसभा सीट पर बीजेपी को जीत मिली थी। लेकिन यूपी का उपमुख्यमंत्री बनने के लिए केशव प्रसाद मौर्य ने सीट छोड़ दी थी। गोरखपुर से योगी आदित्यनाथ सांसद थे। विधान परिषद में जाने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।
गोरखपुर में बीजेपी उम्मीदवार उपेंद्र शुक्ला की टक्कर बसपा के समर्थन वाली सपा के प्रत्याशी प्रवीण निषाद से है। फूलपुर में बीजेपी के कौशलेंद्र सिंह पटेल की टक्कर सपा के नागेंद्र सिंह पटेल से है।
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ऊधर, बिहार में सीमांचल के बड़े नेता तस्लीमुद्दीन की मौत के कारण आजेडी पर फिर से अपनी सीट बरकरार रखने का दबाव है। क्योंकि तस्लीमुद्दीन ने इस सीट को आरजेडी के लिए तब जीता था जब पूरे देश में मोदी लहर थी। अब आरजेडी ने उनके बेटे सरफराज आलम पर दांव खेला है।
जबकि भभुआ और जहानाबाद विधानसभा सीट पर विधायकों के आकस्मिक निधन के चलते दोबारा चुनाव कराए जा रहे हैं। जहानाबाद के विधायक मुंद्रिका सिंह यादव के निधन के बाद बेटे सुदय यादव को यहां से खड़ा किया है। यहां उनकी टक्कर जनता दल (यूनाइटेड) के अभिराम शर्मा से है। भभुआ में बीजेपी विधायक आनंद भूषण पांडेय के निधन से हो रहे उपचुनाव में उनकी बेटी रिंकी पांडेय मैदान में हैं। आरजेडी के समर्थन पर कांग्रेस ने यहां संभू नाथ सिंह पटेल से है।