नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा वित्त वर्ष 2018-19 के लिए पेश किए गये बज़ट से विपक्ष के साथ-साथ उसके सहयोगी दल भी नाराज नज़र आ रहे हैं। दक्षिण भारत में बीजेपी की सबसे बड़ी साझीदार तेलुगु देशम पार्टी (पीडीपी) ने बीजेपी के खिलाप युद्ध छेड़ने की धमकी दी है। टीडीपी सांसद टीजी वेंकटेशन ने शुक्रवार (2 फ़रवरी) को कहा कि उनकी पार्टी के पास तीन विकल्प हैं- 1- बीजेपी के साथ रहने की कोशिश और संघर्ष करते रहना, 2- टीडीपी के सभी सांसद इस्तीफा दे दें और 3- बीजेपी से गठबंधन तोड़ लेना। वेंकटेशन ने कहा कि वो रविवार (चार फरवरी) को टीडीपी सांसद आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और पार्टी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू से इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे।
नरेंद्र मोदी सरकार के इस बज़ट से केवल डीटीपी नाराज नहीं है। केंद्र और महाराष्ट्र सरकार में बीजेपी की साझीदार शिव सेना ने भी बज़ट पर तंज कसा है। शिव सेना के सांसद संजय राउत ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा कि ये बज़ट केवल काग़ज़ पर अच्छा है। राउत ने कहा कि किसान आत्महत्या कर रहे हैं और केंद्र सरकार के प्रस्ताव जल्द नहीं लागू होने वाले। राउत ने राजस्थान उप-चुनाव में दो संसदीय और एक विधान सभा सीट पर बीजेपी को मिली हार को लोक सभा 2019 की झांकी बताया। राउत ने एक बार फिर कहा कि उनकी पार्टी 2019 का लोक सभा चुनाव अकेले दम पर लड़ेगी।
संजय राउत ने एएनआई से कहा, "गुजरात चुनाव ट्रेलर थे, राजस्थान उप-चुनाव इंटरवल हैं और अब पूरी फिल्म 2019 में दिखेगी। साल 2019 में अकेले चुनाव लड़ने के फैसले को वापस लेने का कोई सवाल ही नहीं है, तीर एक बार कमान से निकल जाता है तो वापस नहीं आता।"
टीडीपी नेता और नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री वाईएस चौधरी ने कहा कि चंद्रबाबू नायडू अरुण जेटली द्वारा गुरुवार (1 फ़रवरी) को पेश किए गये बज़ट 2018 से "बहुत निराश" हैं। चौधरी ने कहा कि बज़ट 2018 में आंध्र प्रदेश के पोलावरम प्रोजेक्ट और राजधानी अमरावती के लिए धन का आवंटन नहीं किया गया है। चौधरी ने कहा कि उनकी पार्टी अपने हिस्से के लिए संघर्ष करेगी। चौधरी पिछले हफ्ते चौधरी माँगे पूरी न होने पर बीजेपी से गठबंधन तोड़ने की भी बात कह चुके हैं।