हॉकी में ड्रैग फ्लिक्स के लिए मशहूर संदीप सिंह पर भाजपा का दांव, इनेलो-कांग्रेस का गढ़, BJP कभी नहीं जीती

By भाषा | Published: October 9, 2019 01:34 PM2019-10-09T13:34:49+5:302019-10-09T13:34:49+5:30

भाजपा इस विधानसभा क्षेत्र में कभी जीत दर्ज नहीं कर पायी है। कांग्रेस 1967 के बाद से इस सीट पर पांच बार विजयी रही है जबकि इनेलो इस सीट से दो बार विजयी रहा है। कुरुक्षेत्र जिले में पेहोवा ही एकमात्र ऐसा विधानसभा क्षेत्र है जहां भाजपा 2014 का विधानसभा चुनाव हारी थी।

BJP's bet on Sandeep Singh, famous for drag flicks in hockey, INLD-Congress stronghold, BJP never won | हॉकी में ड्रैग फ्लिक्स के लिए मशहूर संदीप सिंह पर भाजपा का दांव, इनेलो-कांग्रेस का गढ़, BJP कभी नहीं जीती

वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यों से ‘‘प्रेरित’’ हैं और इसी कारण वह चुनाव मैदान में उतरे हैं।

Highlightsपेहोवा विधानसभा : इनेलो, कांग्रेस का गढ़ तोड़ने के लिये भाजपा ने खिलाड़ी को चुनाव में उतारा।कांग्रेस अपने खो चुके गढ़ में फिर से पैठ बनाने की कोशिश करेगी।

हरियाणा में सत्तारूढ़ भाजपा ने इंडियन नेशनल लोक दल (इनेलो) और कांग्रेस का गढ़ समझे जाने वाले पेहोवा विधानसभा क्षेत्र में अपनी पैठ जमाने के लिये भारतीय हॉकी कैप्टन संदीप सिंह पर दांव आजमाते हुए उन्हें चुनाव मैदान में उतारा है।

हॉकी में अपने ड्रैग फ्लिक्स के लिये मशहूर संदीप सिंह राजनीति में अभी नये-नवेले हैं और वह एक अलग क्षेत्र से आये हैं जबकि इनेलो और कांग्रेस का गढ़ फतह करने के लिये भाजपा उन पर काफी भरोसा जता रही है।

भाजपा इस विधानसभा क्षेत्र में कभी जीत दर्ज नहीं कर पायी है। कांग्रेस 1967 के बाद से इस सीट पर पांच बार विजयी रही है जबकि इनेलो इस सीट से दो बार विजयी रहा है। कुरुक्षेत्र जिले में पेहोवा ही एकमात्र ऐसा विधानसभा क्षेत्र है जहां भाजपा 2014 का विधानसभा चुनाव हारी थी।

इनेलो उम्मीदवार जसविंदर संधू ने भाजपा के जय भगवान शर्मा को 9,347 मतों से हराया था, जबकि पूर्व वित्त मंत्री हरमोहिंदर सिंह चाठा के पुत्र कांग्रेस उम्मीदवार मंदीप सिंह चाठा तीसरे स्थान पर रहे थे। हरमोहिंदर चाठा लगातार दो बार इस सीट से प्रतिनिधि रहे थे।

इनेलो में दो फाड़ होने और इस साल जनवरी में मौजूदा विधायक संधू के निधन के बाद पार्टी के लिये चीजें थोड़ी मुश्किल कर दी हैं। वहीं, कांग्रेस अपने खो चुके गढ़ में फिर से पैठ बनाने की कोशिश करेगी। ऐसा प्रतीत होता है कि सीधा-सीधा मुकाबला संदीप सिंह (भाजपा) और मंदीप चाठा (कांग्रेस) के बीच ही होने वाला है। वर्ष 2006 में एक ट्रेन में दुर्घटनावश गोलीबारी का शिकार होने के बाद से संदीप सिंह (33) लकवाग्रस्त हैं और पिछले दो साल से वह व्हीलचेयर पर हैं।

उन्होंने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यों से ‘‘प्रेरित’’ हैं और इसी कारण वह चुनाव मैदान में उतरे हैं। संदीप ने कहा, ‘‘मैं देश की सेवा करना चाहता हूं...पहले मैं देश के लिये खेलता था और अब मैं पेहोवा की जनता के लिये करूंगा।’’ संदीप सिंह के मुख्य प्रतिद्वंद्वी मंदीप चाठा 2014 में इनेलो के संधू के हाथों हार के बाद एक बार फिर से अपना जमीनी आधार हासिल करने के लिये चुनाव लड़ रहे हैं।

मंदीप चाठा ने कहा कि जहां तक विकास की बात है तो पेहोवा में पिछले पांच साल में कोई उल्लेखनीय बदलाव नहीं हुआ है। उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस के शासन के दौरान 65 नयी सड़कें बनायी गयीं जबकि भाजपा युवाओं की क्षमता के अनुसार उन्हें रोजगार देने में नाकाम रही। पेहोवा एक प्रमुख धार्मिक स्थान है और देश भर से लोग यहां आते हैं लेकिन पर्यटन स्थल के तौर पर इसे विकसित करने के लिये कोई खास प्रयास नहीं किया गया।’’ 

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