जन्मदिन विशेष: 10 साल तक रहे मध्य प्रदेश के सीएम, हारकर अगले 10 साल निभाई ये कसम
By कोमल बड़ोदेकर | Updated: February 28, 2018 08:25 IST2018-02-28T08:25:21+5:302018-02-28T08:25:21+5:30
साल 1993 में मध्य प्रदेश की जनता ने दिग्विजय सिंह को बतौर मुख्यमंत्री अपना सिरमौर चुना और लगातार 10 सालों तक वह प्रदेश के मुखिया रहे।

जन्मदिन विशेष: 10 साल तक रहे मध्य प्रदेश के सीएम, हारकर अगले 10 साल निभाई ये कसम
नई दिल्ली, 28 फरवरी: अक्सर अपनी तीखे बयानों के चलते सुर्खियों में रहने वाले दिग्गज नेता, कांग्रेस महासचिव और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह आज 71वां जन्मदिन मना रहे हैं। अपनी जिंदगी के 71 बसंत देख चुके दिग्विजय सिंह का जन्म 28 फरवरी 1947 को इंदौर में हुआ था। 'दिग्गी राजा' के नाम से मशहूर दिग्विजय राघोगढ़ के राजा हैं और अब यह उनका चुनावी क्षेत्र भी है। उनके जन्मदिन पर पढ़ें उनके जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातें।
शुरुआती जीवन और परिवार
दिग्विजय सिंह का जन्म राघोगढ़ में एक सामंती परिवार में हुआ था। आजादी से पहले तक राघोगढ़, ग्वालियर राज्य के अधीन आने वाला एक छोटा सा रियासती राज्य था, लेकिन आजादी के बाद सभी रियासतों की तरह राघोगढ़ का विलय भी भारतीय संघ में हो गया। साल 1969 में उनकी शादी आशा सिंह से हुई। आशा सिंह का 2013 में निधन हो गया। साल 2015 में दिग्विजय सिंह ने पत्रकार अमृता राय से दूसरी शादी की।
शिक्षा और राजनीतिक करियर
दिग्विजय सिंह की प्रारंभिक शिक्षा उनके जन्मस्थल इंदौर से में ही हुई और और फिर उन्होंने इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की, लेकिन बदलते वक्त के साथ दिग्गी राजा का झुकाव राजनीति की ओर हुआ। इसके बाद उनहोंने साल 1971 में राजनीति में कदम रखा।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में 10 साल
साल 1977 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी के टिकट पर राघोगढ़ विधानसभा से चुनाव जीता और 1978-79 के बीच वे कांग्रेस प्रदेश युवा के महासचिव भी रहे। इसके बाद 1984 के लोकसभा चुनाव में राघोगढ़ सीट से सासंद चुने गए। इससे पहले वह साल 1980 से 1984 तक कैबिनेट मंत्री भी रहे थे लेकिन दिग्विजय की राजनीति में बड़ा मोड़ तब आया जब उन्हें साल 1993 में मध्य प्रदेश की जनता ने बतौर मुख्यमंत्री अपना सिरमौर चुना और वह लगातार 10 सालों तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे।
हार के बाद दिल्ली कूच किया
2003 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को बीजेपी से करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा और दिग्गी को मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ा। मध्य प्रदेश विधान सभा चुनाव 2003 के प्रचार के दौरान दिग्विजय सिंह ने जनता से वादा किया था कि अगर वो चुनाव हार गये तो 10 सालों तक चुनाव नहीं लड़ेंगे। बीजेपी के हाथों हारने के बाद दिग्गी राजा ने सचमुच ही अपना वादा निभाया। उन्होंने उसके बाद न तो विधान सभा चुनाव लड़ा और न ही लोक सभा चुनाव। कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह को केंद्रीय संगठन में राष्ट्रीय महासचिव पद की जिम्मेदारी दे दी। फिलहाल वह राज्यसभा सदस्य हैं।
छह महीने की नर्मदा यात्रा
दिग्गी अक्सर अपने विवादित बयानों के चलते सुर्खियों में रहे हैं, लेकिन बीते कुछ दिनों से वह नर्मदा यात्रा में व्यस्त हैं। दिग्विजय भले ही कहते आए हो कि यह उनकी आध्यात्मिक यात्रा है लेकिन राजनीति गलियारों में इस बात की हलचल है कि दिग्गी राजा इस तीन हजार किलोमीटल लंबी पद यात्रा से अपनी प्रदेश में एक बार फिर अपनी राजनीतिक जमीन तलाश रहे हैं। इस यात्रा में दिग्विजय सिंह के साथ उनकी पत्नी अमृता राय भी शामिल हैं। एक दिन में उन्होंने 15 से 20 किलोमीटर पैदल चलने का लक्ष्य रखा है। आगामी महिनों में मध्य प्रदेश की कुल 230 सीटों पर विधानसभा चुनाव होने हैं और उनकी यह यात्रा कहीं न कहीं एक राजनीतिक यात्रा है।
क्या एक बार फिर होंगे कांग्रेस के सीएम उम्मीदवार?
नर्मदा के दोनों छोरों की परिक्रमा करने वाली इस यात्रा में वह 100 से भी ज्यादा विधानसभा सीटों से गुजरेंगे। बीते साल विजयादशमी के मौके पर शुरू की गई 6 महीन में खत्म होगी। नर्मदा के दोनों छोरों की परिक्रमा करने वाली इस यात्रा में वह 100 से भी ज्यादा विधानसभा सीटों से गुजरेंगे। जाहिर है कहीं न कहीं वह इस यात्रा के बहाने वह प्रदेश में एक बार फिर अपनी पकड़ बनाने की जुगत में है। लेकिन देखना होगा कि क्या कांग्रेस उन्हें प्रदेश में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करेगी।