Bihar Legislative Assembly Elections: लालू यादव की कमी खलने लगी, नेता बदलने लगे हैं पाला, मुश्किल में RJD, 12 विधायक JDU में
By एस पी सिन्हा | Published: September 9, 2020 05:04 PM2020-09-09T17:04:30+5:302020-09-09T17:04:30+5:30
राज्य में मुख्य विपक्षी दल की भूमिका निभा रही राजद की मुश्किलें भी लगातार बढ़ती ही जा रही हैं. विधानसभा चुनाव के ठीक पहले राजद के कई नेता पार्टी छोड़ चुके है. यही नहीं कई और दल को बाय-बाय कहने की तैयारी में बताये जा रहे हैं.
पटनाः बिहार की चुनावी राजनीति अब धीरे-धीरे परवान चढ़ने लगी है. लेकिन राजद में पार्टी प्रमुख लालू प्रसाद यादव की कमी अब खलने लगी है. उनके नहीं रहने से खुद को अलग-थलग समझ दल के कई नेता अब राजद को बाय-बाय कहने लगे हैं.
इस तरह से राज्य में मुख्य विपक्षी दल की भूमिका निभा रही राजद की मुश्किलें भी लगातार बढ़ती ही जा रही हैं. विधानसभा चुनाव के ठीक पहले राजद के कई नेता पार्टी छोड़ चुके है. यही नहीं कई और दल को बाय-बाय कहने की तैयारी में बताये जा रहे हैं. अभी राजद को बाय-बाय कहने वाले कई विधायक और विधान पार्षद भी शामिल हैं. जिन्होंने चुनाव के पहले दल को छोड़ अपना पाला बदल लिया है.
यहां बता दें कि राजद के अबतक 12 बडे़ नेताओं ने राजद छोड़ जदयू का दामन थाम लिया है. जबकि अभी कई और लोगों के राजद से मोहभंग होने की सुगबुगाहट सुनाई देने लगी है. पार्टी से जुडे़ लोगों की मानें तो उन्हें पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से सामंजस्य बैठाने में नहीं बैठ रहा.
राजद की कमान अब तेजस्वी यादव के हाथों में
राजद की कमान अब तेजस्वी यादव के हाथों में है. लेकिन उनके द्वारा पार्टी का नेतृत्व करने का तरीका वैसा नहीं है जैसा कभी राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के द्वारा होता था. राजद के अंदरूनी सूत्रों की अगर मानें तो आज भी कार्यकर्ता अपनी बातों को रखने लालू प्रसाद यादव के पास ही जाना पसंद करते हैं. उन्हें आज भी लालू प्रसाद यादव के पास ही अपनी समस्याओं का समाधान दिखता है.
वहीं पार्टी को छोड़ने वाले कई नेताओं ने भी नेतृत्व की खामियों का ही हवाला दिया है. अभी हाल ही में राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डा. रघुवंश प्रसाद सिंह ने भी पद त्याग दिया था. लेकिन उन्हें मनाने की कोई ठोस पहल तेजस्वी यादव के तरफ से नहीं हुई. साथ ही एक हकीकत सामने आई कि लालू प्रसाद यादव के समय से पार्टी के दिग्गज रहे नेताओं को अब अंदर तालमेल बैठाने में कठिनाई होने लगी है.
वहीं, तेजस्वी यादव के द्वारा नेतृत्व की व्यवस्था को लचर बताते हुए महागठबंधन में भी दरार हुई. हाल में ही बिहार के पुर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने अपने दल को महागठबंधन अलग कर लिया. जिसके बाद उन्होंने तेजस्वी यादव के उपर आरोपों की बौछार कर दी और कहा कि उन्हें बार-बार नजरंदाज किया गया.
यहां उल्लेखनीय है कि हम प्रमुख व पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और रालोसपा प्रमुख उपेन्द्र कुशवाहा लगातार दिल्ली का चक्कर काटते रहे, लेकिन उनकी कोई सुध नहीं ली गई. राजद के विधान पार्षद जब दल से अलग हो रहे थे, उस वक्त तेजस्वी यादव का एक बयान सामने आया था.
जिसमें उन्होंने कहा था कि चुनाव के मौसम में यह आम बात है. नेताओं का आना-जाना लगा रहता है. वहीं इसके ठीक विपरीत लालू प्रसाद यादव अपने सभी नेताओं को एकसूत्र में पिरोए रहते थे. जिसके कारण लगाव हमेशा कायम रहता था. ऐसे में अब यह माना जा रहा है कि निकट भविष्य में राजद की और मुश्किलें बढ़ सकती हैं.