पटना: महागठबंधन में किनारे लगा दिए गए पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी अब एक बार फिर एनडीए में वापसी को तैयार खड़े हैं. हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के जदयू से गठबंधन की बात लगभग तय हो गई है. मांझी ने अपनी पार्टी के कोर ग्रुप की बैठक 20 अगस्त को बुलाई है. संभवत: गुरुवार को पार्टी अध्यक्ष जीतन राम मांझी इसकी औपचारिक घोषणा करेंगे.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, जीतन राम मांझी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच जल्द ही मुलाकात होने वाली है. इस मुलाकात में मांझी के एनडीए में शामिल होने का फार्मूला तय किया जाएगा, जिसके बाद खुद जितना मांझी अपनी पार्टी के नेताओं को फैसले की जानकारी देंगे.
वहीं, गठबंधन के बाद पार्टी के कार्यकर्ताओं को इसके विलय की आशंका सता रही है. पिछले 2 दिनों से विभिन्न जिलों से कार्यकर्ताओं का मांझी के आवास 12-एम स्टैंड रोड आना लगातार जारी है. कार्यकर्ता विलय नहीं करने की बात पर दबाव दे रहे हैं.
मोर्चा के अंदरूनी सूत्रों ने दोबारा यह साफ कर दिया है कि जदयू के साथ पार्टी का विलय नहीं होगा. कई कार्यकर्ताओं की आशंकाओं को पार्टी नेतृत्व ने सिरे से खारिज कर दिया है. उनका कहना है कि पार्टी को समाप्त नहीं किया जाएगा. गठबंधन के बाद ही सीट शेयरिंग की बात की जाएगी.
दरअसल, महागठबंधन में राजद और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे को लेकर सहमति हो जाने के बाद मांझी के लिए वहां कोई रास्ता नहीं बचा है. जीतन राम मांझी जिन दो मुद्दों को लेकर वहां मांग कर रहे थे, उन पर आज तक राजद ने विचार नहीं किया.
अब मांझी नीतीश के साथ विधानसभा चुनाव लड़ने को तैयार दिख रहे हैं. हालांकि उन्हें एनडीए में कितनी सीटों पर एडजेस्ट किया जाएगा यह बड़ा सवाल है, बावजूद इसके मांझी के पास विकल्प सीमित है लिहाजा जदयू के बूते ही एनडीए में वासी करना चाह रहे हैं.
वैसे, 16 विधानसभा सीटों पर पार्टी ने पूरी तैयारी रखी है. बताया गया कि गठबंधन होता है तो पार्टी जदयू से इतनी ही सीटों की मांग भी करेगी. सीटों की संख्या में कुछ कमी बेशी कोर कमेटी की बैठक में तय किया जाएगा.
पार्टी ने अधिकतर मगध प्रमंडल के सीटों पर ही अपनी दावेदारी की है. वैसे पार्टी का शीर्ष नेतृत्व कोसी, पूर्णिया क्षेत्र के कुछ सीटों को अपने प्रभाव क्षेत्र में मान रहा है. चर्चा है कि हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा को अब नया चुनाव चिन्ह मिलेगा. पुराना चुनाव चिन्ह टेलीफोन अब बदल दिया जाएगा.
इसपर जीतन राम मांझी ने कहा कि नियमानुसार दो चुनावों में 4 फीसदी वोट नहीं मिलने और कम से कम 2 उम्मीदवार नहीं जीतने के कारण यह चुनाव चिन्ह बदला जा रहा है. चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार ही यह बदलाव होगा.
उन्होंने कहा कि दलितों के आरक्षण, प्रोन्नति में आरक्षण, समान शिक्षा, दलित उत्पीडन एक्ट को संविधान की नौवीं सूची अनुसूची में लाने के उनके संघर्ष में जो पार्टी साथ देगी, वे उसी के साथ रहेंगे.