बिहार: जीतनराम मांझी ने अपनी नई चाल से RJD की बढ़ाई बेचैनी, NDA में देखी जा रही है खुशी

By एस पी सिन्हा | Published: March 19, 2020 06:58 AM2020-03-19T06:58:07+5:302020-03-19T06:58:07+5:30

मंगलवार की देर शाम महागठबंधन के घटक दल हम के सुप्रीमो जीतनराम मांझी ने राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के घटक जदयू के सुप्रीमो व मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार से लंबी मुलाकात की. इसके बाद सियासी गलियारों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से हुई जीतन राम मांझी की मुलाकात को लेकर राजनीतिक चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है.

Bihar: Jitan Ram Manjhi increases RJD's discomfort with his new move, happiness seen in NDA | बिहार: जीतनराम मांझी ने अपनी नई चाल से RJD की बढ़ाई बेचैनी, NDA में देखी जा रही है खुशी

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और ’हम’ प्रमुख जीतनराम मांझी। (फाइल फोटो)

Highlightsबिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अभी से ही चुनावी बिसात बिछनी शुरू हो गई है. यही नहीं दलों के द्वारा और शह-मात का खेल जारी है.ऐसे में महागठबंधन में एकजुटता का जो दावा किया जा रहा था वो अब फेल होता दिख रहा है.

बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अभी से ही चुनावी बिसात बिछनी शुरू हो गई है. यही नहीं दलों के द्वारा और शह-मात का खेल जारी है. ऐसे में महागठबंधन में एकजुटता का जो दावा किया जा रहा था वो अब फेल होता दिख रहा है. सभी छोटे दल राजद पर दबाव बनाने की कोशिश में लगे हैं, तो वहीं पूर्व मुख्यमंत्री व ’हम’ के प्रमुख जीतनराम मांझी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात कर एक नया बखेड़ा खड़ा कर दिया है. जिससे अब महागठबंधन पर टूटना का खतरा मंडराने लगा है. 

यहां बता दें कि मंगलवार की देर शाम महागठबंधन के घटक दल हम के सुप्रीमो जीतनराम मांझी ने राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के घटक जदयू के सुप्रीमो व मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार से लंबी मुलाकात की. इसके बाद सियासी गलियारों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से हुई जीतन राम मांझी की मुलाकात को लेकर राजनीतिक चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है. माना जा रहा है कि महागठबंधन में राजद की ओर से समन्वय समिति नहीं गठित करने पर जीतन राम मांझी दबाव की राजनीति खेल रहे हैं. राजद को महागठबंधन के लिए कोआर्डिनेशन कमेटी गठित करने का अल्टीमेटम देने के बाद से मांझी चर्चा में हैं.

इस मुलाकात के ठीक एक दिन पहले मांझी ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को धमकी देते हुए कहा था कि अगर राजद का रवैया नहीं बदला तो वे मार्च के बाद बड़ा फैसला लेने के लिए स्‍वतंत्र होंगे. मांझी की नीतीश से मुलाकात को उनकी महागठबंधन में नाराजगी से जोड़ कर देखा जा रहा है. हालांकि, इस मुलाकात पर राजनीति गरमाती देख मांझी ने सफाई दी कि वे अपने विशेष सुरक्षा दस्‍ता की सुरक्षा में की गई कटौती के संबंध में मुख्‍यमंत्री से मुलाकात करने गए थे. 

हालांकि जानकारों का मानना है कि जीतन राम मांझी ने मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार से उनके आवास पर बंद कमरे में करीब 50 मिनट तक हुई बात कोई सामान्‍य मुलाकात नहीं हो सकती है. जब दो राजनेता मिलते हैं तो राजनीति की बात तो होती ही है. अब इस मुलाकात में राजनीति की क्‍या बातें हुईं? इसे लेकर सियासी कयास लगाए जा रहे हैं. ऐसे में यह माना जा रहा है कि मांझी व नीतीश की इस 50 मिनट लंबी की मुलाकात में और भी कई मामलों पर विमर्श हुआ होगा. कयासबाजी इसी को लेकर है. वहीं, इसपर राजद ने मांझी को दो टूक कह दिया है कि उसके सामने किसी दल की प्रेशर पॉलिटिक्स नहीं चलेगी. राजद का आरोप है कि मांझी किसी और से गाइड हो रहे हैं. इस पर हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के नेता दानिश रिजवान ने पलटवार करते हुए कहा कि राजद बताए कि तेजस्वी को कौन गाइड कर रहा है? 

जबकि राजद विधायक भाई वीरेंद्र ने कहा कि महागठबंधन राजद ने बनाया है? कौन क्या बयान देता है? इससे हमें मतलब नहीं है. कुछ लोगों की छटपटाहट है कि हमें ज्यादा सीट मिल जाए. जमीनी हकीकत जितनी होगी, महागठबंधन तय करेगा कि कितनी सीटें मिलनी चाहिए. हमें लगता है कि मांझी कहीं से गाइडेड हो रहे हैं और इसलिए इस तरह की बयानबाजी कर रहे हैं.

इसबीच, महागठबंधन में मची खींचतान के बीच बिहार एनडीए के नेता बेहद खुश नजर आ रहे हैं. जदयू के प्रधान महासचिव के सी त्यागी ने कहा कि हमारे एनडीए के मुकाबले महागठबंधन में समन्वय नहीं है और राजद का स्वभाव रहा है कि खाओ और खाने मत दो. इसी के चलते जनता दल में आधा दर्जन बार फूट हुई थी. राजद अकेले ही सम्पूर्ण सत्ता चाहती है, लिहाज़ा यह गठबंधन नहीं चलेगा. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के चलते पिछली बार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली 40 सीटें मिली थीं, जबकि लालू यादव 20 से ज़्यादा सीट कांग्रेस को देने के पक्ष में नहीं थे.

जबकि जदयू के मुख्य प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा कि दो बड़े नेता हैं, मुलाकात हुई तो कई बातें हुई होंगी. मैं तो बंद कमरे में था नहीं, लेकिन राजनीतिक संभावनाओं का खेल है, कब क्या हो जाए कौन जानता है? आगे-आगे देखिए कई और राजनीतिक धमाके होंगे. इस बीच, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने भी राजद को लेकर अपना सख्त रुख अपना लिया है. पार्टी के प्रधान महासचिव माधव आनंद ने कहा कि कुछ लोग चाहते हैं कि तेजस्वी यादव सीधा मुख्यमंत्री बन जाएं. लेकिन जब सभी लोग मिलेंगे तभी मुख्यमंत्री बन पाएंगे, नहीं तो किस्मत के धनी नीतीश कुमार फिर मुख्यमंत्री बन जाएंगे. उन्होंने कहा कि राजद को अहंकार त्यागना होगा. 

वहीं, भाजपा नेताओं ने भी चुटकी ली है. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा है कि मांझी, मुकेश सहनी, उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी के एनडीए में शामिल होने की संभावना नहीं है. उनके साथ गठबंधन का सवाल नहीं जिन्हें बिहार की जनता पहले ही अस्वीकार कर चुकी है. हालांकि संजय जायसवाल ने ये भी कहा कि भाजपा एक समुद्र है जिसमें कई छोटी-छोटी नदियां आकर मिलती हैं. भाजपा में शामिल होने के सिद्धांत को मानते हुए अगर ये लोग पार्टी में शामिल होना चाहें तो उनका स्वागत है. 

जबकि कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि इसमें किसी कोई तकलीफ नहीं है कि समन्वय समिति बने, लेकिन इस सवाल का जवाब राजद के लोग देंगे। सभी लोग बीजेपी के ख़िलाफ़ हैं इसलिए जाएंगे कहां? मिलजुल कर मुद्दों को सुलझाने की कोशिश करेंगे. मतभेद को ख़त्म करने की भी कोशिश होगी.

यहां उल्लेखनीय है कि मांझी लंबे समय से महागठबंधन में नाराज चल रहे हैं. महागठबंधन में समन्‍वय समिति के गठन तथा सभी बड़े फैसले समन्‍वय समिति द्वारा लेने की उनकी मांग की अभी तक अनसुनी होती रही है. बीते दिनों राजद के प्रदेश अध्‍यक्ष जगदानंद सिंह ने तो यहां तक कह दिया था कि महागठबंधन में लालू प्रसाद यादव ही नेता हैं और तेजस्‍वी यादव मुख्‍यमंत्री चेहरा. जिसे इसपर आपत्ति हो, बाहर जा सकता है. बाद में जगदानंद सिंह के बयान पर डैमेज कंट्रोल के बयान भी आए, लेकिन स्थित नहीं बदली. इससे जीतन राम मांझी नाराज हैं.

बता दें कि बीते दिन जीतनराम मांझी ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव का नाम लिए बिना धमकी देते हुए कहा था कि राजद महागठबंधन में बड़े भाई की भूमिका में है. लेकिन यह भूमिका ठीक से नहीं निभा रहा है. यही हाल रहा तो छोटे घटक दल मार्च के बाद बड़ा फैसला ले सकते हैं. वहीं, मांझी के उक्‍त बयान पर राजद विधायक भाई वीरेंद्र ने कहा था कि महागठबंधन को राजद ने बनाया है. कुछ लोगों विधानसभा चुनाव में अधिक सीटों के लिए दबाव की राजनीति कर रहे हैं. विधानसभा में विपक्ष का नेता ही मुख्यमंत्री का विकल्प होता है. जाहिर है, तेजस्वी यादव को सामने रखकर चुनाव लडा जाएगा. उन्होंने कहा कि कुछ लोग जमीनी हकीकत को भूल कर कुछ भी बोल देते हैं.

इसबीच, महागठबंधन में मचे रार के बीच घटक दल राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने भी राजद को अहंकार छोड़ने की नसीहत दी. रालोसपा के प्रधान महासचिव माधव आनंद ने कहा कि कुछ लोग चाहते हैं कि तेजस्वी यादव सीधे मुख्यमंत्री बन जाएं. लेकिन ऐसा तब तक संभव नहीं, जब तक सभी एकमत नहीं हों. अन्‍यथा नीतीश कुमार फिर मुख्यमंत्री बन जाएंगे. उधर, महागठबंधन के छोटे दलों को राजद अधिक भाव देने के मूड में नहीं है. वह इसे बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में अधिक सीट लेने के दांव के तौर पर ले रहा है. रालोसपा, हिन्दुस्तानी अवामी मोर्चा और विकासशील इंसान पार्टी ने महागठबंधन के लिए को आर्डिनेशन कमिटी बनाने की मांग की थी. राजद ने दो टूक कह दिया- सही प्लेटफार्म पर बातचीत की जा सकती है. नेता के सवाल पर बहस की गुंजाइश नहीं है. राजद का आंतरिक आकलन यह भी है कि इन तीनों दलों को कहीं से निर्देशित किया जा रहा है. इशारा कांग्रेस की ओर है.

वहीं, रालोसपा, हम व वीआइपी को राजद महज 40 से अधिक सीटें देना नहीं चाहता है. असली झगड़ा विधानसभा की 101 सीटों का माना जा रहा है. 2015 के चुनाव में महागठबंधन की ओर से विधानसभा की 101 सीटें जदयू को दी गई थी. जदयू के निकलने के बाद नए घटक दलों-रालोसपा, हम और विकासशील इंसान पार्टी की नजर इन्हीं सीटों पर है. इसमें कांग्रेस की भी दिलचस्पी है. वह भी 41 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है.

रणनीति यह है कि ये तीनों दल राजद पर दबाव बनाएं और कांग्रेस को पंचायती का मौका मिल जाए. इसी क्रम में कुछ अधिक सीटें कांग्रेस के पास भी आ जाए. इधर राजद कम से कम 150 सीटों पर लड़ने की तैयारी कर रहा है. उसकी झोली में रालोसपा के लिए 20 और हम तथा वीआइपी के लिए 10-10 सीटें हैं. बाकी सीटें कांग्रेस और वाम दलों के लिए है. राजद ने लोकसभा चुनाव में मधुबनी से वीआइपी के उम्मीदवार रहे बद्री पूर्वे को दल की सदस्यता दे दी है. इसतरह से राजद कहीं पे निगाहें और कहीं पर निशाने की तैयारी के साथ आगे बढ़ रही है. यही कारण है कि अब वहां छोटे दलों की बीच बेचैनी बढ़ती जा रही है.

Web Title: Bihar: Jitan Ram Manjhi increases RJD's discomfort with his new move, happiness seen in NDA

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