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बिहार विधानसभा में भारी बवाल, हाथापाई तक पहुंची नौबत, तेज प्रताप के अंगुली दिखाने से भड़के सत्ता पक्ष के विधायक

By एस पी सिन्हा | Updated: March 13, 2021 21:17 IST

बिहार विधानसभा में शनिवार को भारी हंगामा देखने को मिला. मामला इतना बिगड़ गया कि बात हाथापाई तक पहुंच गई.

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ठळक मुद्देशराबबंदी के बीच शराब की अवैध बिक्री पर विपक्ष ने किया था विधानसभा में हंगामाहंगामे के बीच विपक्ष के विधायक विधानसभा अध्यक्ष के नजदीक वेल तक पहुंच, वहां रखी कुर्सी गिरा दीतेज प्रताप यादव ने सत्‍तारूढ दलों के नेता की ओर अंगुली दिखाकर कुछ ऐसा कहा, जिस पर बात और बिगड़ गई

पटना:बिहार विधानसभा में शनिवार को दूसरी पाली की कार्यवाही के दौरान सदन अखाड़े में तब्दील हो गया, जहां पक्ष और विपक्ष आपस में भिड़ गये। बात हाथापाई तक पहुंच गई. कार्यवाही जैसे ही शुरू हुई विपक्ष ने शराबबंदी को लेकर जमकर हंगामा करना शुरू कर दिया. 

इसी बीच सत्ता पक्ष के द्वारा टिप्पणी किये जाने पर विपक्ष इतना भड़क गया कि नौबत हाथापाई तक पहुंच गई. विपक्ष के विधायक विधानसभा अध्यक्ष के नजदीक वेल तक पहुंच गए और उन्होंने वहां रखी कुर्सी पलट दी. 

दरअसल, उप मुख्‍यमंत्री तारकशिोर प्रसाद ने गुस्‍से में तेजस्‍वी यादव को मुद्दे पर बात करने को कहा. इस पर तेजस्‍वी ने उप मुख्‍यमंत्री की तरफ देखकर कह दिया कि नेता प्रतिपक्ष का पद संवैधानिक होता है. लेकिन उप मुख्‍यमंत्री का पद संवैधानिक नहीं होता है. इसपर सत्तारूढ़ दल के विधायक भड़क गए.

तेज प्रताप यादव की बात से और बिगड़ गई बात

 भाजपा नेता और मंत्री संजय सरावगी और जनक सिंह ने कड़ी आपत्ति जताई. इसके बाद सदन में पहले दिन पहुंचे तेजस्‍वी के बड़े भाई व विधायक तेज प्रताप यादव ने सत्‍तारूढ दलों के नेता की ओर अंगुली दिखाकर कुछ ऐसी नागवार बात कह दी, जिससे दोनों तरफ के विधायक आमने-सामने आ गए.

विधायक आपस में गाली-गलौच करते हुए भिड़ गए. तेजस्‍वी भी बोलते जा रहे थे. उन्‍होंने कह दिया कि मेरे मुंह खोलते ही सत्‍तारूढ़ दल कांपने लगता है. देखते-ही देखते मिनटों में और बवाल मच गया. विपक्षी सदस्य वेल पहुंचे इसके बाद सत्ता पक्ष ने भी विरोध कर दिया. 

इस दौरान बीच-बचाव के लिए मंत्री सुमित सिंह और नीरज बबलू भी वेल में आ गए. उनके साथ मार्शल भी वेल में पहुंचे. इस पर टोकाटोकी शुरू हो गई. वेल में पहुंचने पर सत्ता पक्ष और विपक्षी सदस्यों में हाथापाई भी हुई. वीडियो में साफ-साफ दिख रहा है कि दोनों पक्ष आपस में उलझे हुए हैं. बात इतनी बढ़ी कि मार्शल ने विधायकों को अलग किया.

विधानसभा अध्यक्ष ने दी सभी विधायकों को हिदायत

यह वाकया तब हुआ जब नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने विधानसभा अध्यक्ष से शराबबंदी को लेकर बोलने की इजाजत मांगी. इसपर विधानसभा अध्यक्ष ने उनसे कहा कि इस मामले पर बोलने के लिए सोमवार का दिन निश्चित किया गया है. 

हालांकि उन्होंने इसपर दो मिनट का समय मांगा. इसी दौरान सदन में हंगामा हो गया. इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही 3.30 बजे दिन तक स्थगित कर दी. उसके बाद फिर से सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि आज की घटना से सबसे अधिक लज्जा हुई. 

उन्होंने कहा कि एक्शन लेने के लिए हमें मजबूर मत करें. अध्‍यक्ष ने सख्‍त और गंभीर लहजे में कहा जो आज विधान सभा में हुआ वो नहीं होना चाहिए. विधान सभा की गरिमा बनाए रखनी चाहिए. उन्होंने गुस्‍से में कहा कि कार्यवाही में इस तरह की चीजें बर्दाश्‍त नहीं की जाएगी. 

उन्‍होंने कहा कि यदि फिर कभी इस तरह की नौबत आई तो कडे कदम उठाए जाएंगे. सत्‍ता पक्ष और विपक्ष मर्यादा का ख्‍याल रखें. उन्होंने सभी दल के नेताओं से साफ-साफ कहा कि आपलोग अपने विधायकों को कार्य संचालन नियमावली के बारे में साफ-साफ बता दें. सदन में अगर व्यवहार सही नहीं होगा तो कार्रवाई होगी. हमें एक्शन लेने पर मजबूर न करें. 

शराब कानून को तोड़ने का आरडेजी विधायक के खिलाफ भी है केस

इस बीच ये बात सामने आई है कि राजद के जिस विधायक ने सदन में शराबबंदी को फेल बता कर विधानसभा में कार्य स्थगन का प्रस्ताव दिया है, उन पर ही शराब कानून को तोड़ने का केस दर्ज है. 

विधायक रेखा देवी ने कार्यस्थगन प्रस्ताव के माध्यम से मांग किया है कि बिहार में शराबबंदी फेल है और मंत्री ही शराब के कारोबार में लगे हैं. वैसे मंत्रियों पर कार्रवाई हो और सदन में इस पर चर्चा हो और सरकार इस पर जवाब दे. हालांकि जो विधायक शराबबंबदी को फेल बता रही थी वे ही शराब के धंधे में संलिप्त हैं. 

राजद विधायक रेखा देवी पर शराब अधिनियम में केस दर्ज है. खुद मसौढी की विधायक ने अपने शपथ पत्र में उल्लेख किया है. रेखा देवी पर 2017 में धनरूआ थाने में शराब एवं उत्पाद अधिनियम के तहत केस दर्ज हुआ था. 

शपथ पत्र में उन्होंने उल्लेख किया है कि धनरूआ थाना में कांड संख्या 356-2-17 दर्ज है. उसमें 30 ए और 45 बिहार मद्य निषेध एवं उत्पाद अधिनियम 2016 दर्ज है. विधायक पर मद्य निषेध अधिनियम का उल्लंघन का आरोप है.

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