पटनाः हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने महागठबंधन से नाता तोड़ने का निर्णय ले लिया है. आज पटना में हम पार्टी के कोर कमिटी की बैठक हुई जिसमें फैसला लिया गया कि मांझी महागठबंधन से अलग होंगे.
फिलहाल अभी यह तय नहीं किया गया है कि आखिर मांझी कहां जाएंगे? लेकिन जानकार बताते हैं कि मांझी एनडीए में घर वापसी कर सकते हैं .दरअसल, मांझी काफी दिनों से महागठबंधन से नाराज चल रहे थे. महागठबंधन में समन्वय समति बनाने तथा उसके माध्यम से सभी बडे़ फैसले लेने की उनकी मांग को राजद कोई तवज्जो नहीं दे रहा था.
मांझी ने कहा कि आगे वे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में नीतीश कुमार के साथ जाएंगे या क्या करेंगे, इसकी घोषणा दो-तीन दिनों में कर देंगे. वैसे आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए मांझी का यह फैसला बेहद अहम है. पार्टी की कोर कमिटी की बैठक के बाद हम प्रवक्ता दानिश रिजवान ने पत्रकारों को महागठबंधन से अलग होने की जानकारी दी.
मांझी और कोर कमेटी ने सर्वसम्मति से यह फैसला लिया है
उन्होंने कहा कि महागठबंधन में निरंतर उपेक्षा और समन्वय समिति की गठन करने की बात नहीं माने जाने के बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी और कोर कमेटी ने सर्वसम्मति से यह फैसला लिया है. रिजवान ने बताया कि किसी अन्य गठबंधन में जाने के संबंध में अगले दो-तीन दिनों में ही निर्णय लिया जाएगा.
फिलहाल अभी यह तय नहीं किया गया है कि आखिर मांझी कहां जाएंगे? वहीं चर्चा है कि मांझी फिर से एनडीए में घर वापसी कर सकते हैं. उनकी जदयू के नेताओं से इस मामले में बातचीत भी हो चुकी है. वैसे चर्चा चल रही थी कि महागठबंधन से अलग होने के बाद मांझी की पार्टी का जदयू में विलय होगा.
हालांकि हम के अंदरूनी सूत्रों ने दोबारा यह साफ कर दिया है कि जदयू के साथ पार्टी का विलय नहीं होगा. कई कार्यकर्ताओं की आशंकाओं को पार्टी नेतृत्व ने सिरे से खारिज कर दिया है. उनका कहना है कि पार्टी को समाप्त नहीं किया जाएगा. गठबंधन के बाद ही सीट शेयरिंग की बात की जाएगी.
बिहार में अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं
यहां उल्लेखनीय है कि बिहार में अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं और इसको लेकर पाला बदलने का खेल भी तेज हो गया है. ऐसे में सभी पार्टियां अपनी-अपनी रणनीति तैयार करने में जुटी हुई हैं. इससे पहले मांझी ने कहा भी था कि राजनीति संभावनाओं का खेल है. कौन कब कहां किस पार्टी में जाएगा यह कहा नहीं जा सकता है, खासकर चुनाव के समय.
मांझी ने महागठबंधन का हिस्सा नहीं होने एलान किया और कहा कि बहुत आरजू-मिन्नत कर ली, लेकिन कोई फर्क नहीं पडा. राहुल गांधी और उपेंद्र कुशवाहा के कहने के बावजूद कॉर्डिनेशन कमेटी नहीं बनी, पता नहीं किसके प्रेशर में क्या निर्णय ले रहे है तेजस्वी यह पता नहीं चल रहा है. उन्होंन कहा कि जिस गठबंधन में लोकतांत्रिक मूल्यों का महत्व नहीं वहां रहने का कोई फायदा नहीं है.
जीतनराम मांझी महागठबंधन में एक समन्वय समिति चाहते थे. वे चाहते थे कि यही समिति सीट शेयरिंग से लेकर मुख्यमंत्री प्रत्याशी तक के सभी बडे़ फैसले करे. लेकिन राजद खुद को महागठबंधन का नेता और अपने नेता तेजस्वी यादव को महागठबंधन का मुख्यमंत्री प्रत्याशी बताता रहा.
उनकी मुलाकात सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी से नहीं हो सकी
अपनी मांग को लेकर जीतनराम मांझी दिल्ली भी गए. वहां उनकी मुलाकात सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी से नहीं हो सकी. लेकिन वे कांग्रेस आलाकमान तक अपनी बात चहुंचा चुके थे. इसके बावजूद कोई फैसला नहीं हो सका और धीरे-धीरे विधानसभा चुनाव भी नजदीक आता जा रहा है. इससे मांझी नाराज थे.
इधर, हाल के दिनों में मांझी और उनकी पार्टी लगातार इन दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तरफदारी में लगा रहा. तेजस्वी यादव के गोपालगंज मार्च की खिलाफत करने का बाद से भीषण महामारी कोरोना और बाढ़ की विपदा में भी जीतन राम मांझी लगातार नीतीश कुमार के समर्थन में खडे़ नजर आये.
उनकी पार्टी सरकार के खिलाफ बोलने से लगातार बचती रही है. सूत्र बताते हैं कि जीतन राम मांझी की बातचीत नीतीश कुमार से सीट को लेकर भी हो चुकी है. वैसे 16 विधानसभा सीटों पर पार्टी ने पूरी तैयारी रखी है. बताया जा रहा है कि गठबंधन होता है तो पार्टी जदयू से इतनी ही सीटों की मांग भी करेगी.
सीटों की संख्या में कुछ कमी बेशी कोर कमेटी की बैठक में तय किया जाएगा. पार्टी ने अधिकतर मगध प्रमंडल के सीटों पर ही अपनी दावेदारी की है. वैसे पार्टी का शीर्ष नेतृत्व कोसी और पूर्णिया क्षेत्र के कुछ सीटों को अपना प्रभाव क्षेत्र में मान रहा है.