वाजपेयी और राजकुमारीः एक रिश्ता जिसमें सबकुछ था सिर्फ नाम नहीं!

By आदित्य द्विवेदी | Published: December 25, 2017 07:50 AM2017-12-25T07:50:54+5:302017-12-25T13:53:02+5:30

अटल बिहारी वाजपेयी और राजकुमारी कौल ने साबित किया कि कुछ रिश्तों का नाम देना जरूरी नहीं... उनका होना ही काफी है!

Atal Bihari Vajpeyi and Rajkumari Kaul: An untold story of unnamed relationship! | वाजपेयी और राजकुमारीः एक रिश्ता जिसमें सबकुछ था सिर्फ नाम नहीं!

वाजपेयी और राजकुमारीः एक रिश्ता जिसमें सबकुछ था सिर्फ नाम नहीं!

4 मई 2014। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के आवास में चहल-पहल बढ़ी हुई थी। लोकसभा चुनाव प्रचार की व्यस्तता के बीच भी तमाम राजनीतिक हस्तियों का आना-जाना लगा था। लालकृष्ण अडवाणी, राजनाथ सिंह, सोनिया गांधी, ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे दिग्गज नेता उस रिश्ते की अंतिम यात्रा पर आए थे जिसे उम्र भर कोई नाम नहीं मिला। ऐसा बेनाम रिश्ता जिसने जीवन के आखिरी पलों तक एक दूसरे का साथ निभाया। ऐसा अद्भुत रिश्ता जो सिर्फ एहसासों की बुनियाद पर खड़ा हुआ था। ये राजकुमारी कौल की अंतिम यात्रा थी। राजकुमारी कौल, जिन्हें लोग 'मिसेज कौल' के नाम से जानते हैं।

मिसेज कौल की मौत पर द टेलीग्राफ के के.पी. नायर ने लिखा,

'The Greatest love story of Indian Politics' (भारतीय राजनीति की सबसे महान प्रेम कहानी)

वाजपेयी और मिसेज कौल के बीच का यह रिश्ता क्या सच में भारतीय राजनीति की सबसे महान प्रेम कहानी है? अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन पर कहानी उस रिश्ते की जिसे उन्होंने हमेशा दुनिया से दूर रखा लेकिन दिल के करीब। 'खामोशी' फिल्म में गुलज़ार की लिखी ये खूबसूरत नज़्म अटल बिहारी वाजपेयी की ज़िंदगी के उस अनछुए पहलू को अच्छी तरह सामने लाती है।

'हमने देखी है इन आंखों की महकती खुशबू
हाथ से छूके इसे रिश्तों का इल्ज़ाम ना दो,
सिर्फ एहसास है ये रूह से महसूस करो
प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम ना दो!'

ग्वालियर के नामी विक्टोरिया कॉलेज (अब लक्ष्मीबाई कॉलेज) में अटल बिहारी वाजपेयी पढ़ाई कर रहे थे। वहीं पर राजकुमारी नाम की लड़की से उनकी दोस्ती हो गई। ये 1940 का दौर था जब लड़का और लड़की की दोस्ती बहुत अच्छी नहीं मानी जाती थी। आंखों ही आंखों में हुआ दोनों का प्यार कभी जुबान पर लफ्ज बनकर नहीं आ सका। शायद दोनों के बीच जाति और कई असमानताएं रिश्ते में रोड़ा थी। राजकुमारी के पिता गोविंद नारायण हस्कर सरकारी अधिकारी थे। वाजपेयी उन्हीं दिनों जनसंघ की राजनीति से जुड़ गए थे। गोविंद नारायण ने अपनी बेटी  राजकुमारी का रिश्ता बृजनारायण कौल से कर दिया। इसी के साथ वाजपेयी और राजकुमारी के बेनाम रिश्ते के पहले भाग का अंत हो गया।

मिसेज कौल की शादी के बाद वाजपेयी पूरी तरह से राजनीति में कूद गए और शादी का विचार ही त्याग दिया। इस बीच बीएन कौल दिल्ली यूनिवर्सिटी के रामजस कॉलेज में फिलॉसफी के प्रोफेसर बन गए लिहाजा मिसेज कौल को भी दिल्ली आना पड़ा। वाजपेयी भी 1957 में पहली बार सांसद बनकर दिल्ली आए। यहीं एकबार फिर वाजपेयी और मिसेज कौल की मुलाकात हुई और पुरानी दोस्ती के एहसास जिंदा हो उठे। उस वक्त रामजस कॉलेज में पढ़ रहे लोग बताते हैं कि प्रोफेसर बीएन कौल हॉस्टल वार्डेन थे इसलिए परिवार के साथ वहीं रहते थे।  

मिसेज कौल के आवास में वाजपेयी का आना-जाना लगा रहता था। माना जाता है कि बाद के दिनों में वाजपेयी ने वहीं रहना भी शुरू कर दिया था। प्रधानमंत्री बनने के बाद मिसेज कौल अपनी दोनों बेटियों के साथ वाजपेयी के साथ उनके पीएम आवास में ही रही थी। वाजपेयी ने कॉलेज के दिनों की अपनी दोस्त राजकुमारी कौल के साथ रिश्तों को लेकर कभी कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया। सैवी पत्रिका को दिए एकमात्र इंटरव्यू में राजकुमारी कौल ने कहा था,

मैंने और अटल बिहारी वाजपेयी ने कभी इस बात की ज़रूरत नहीं महसूस की कि इस रिश्ते के बारे में कोई सफ़ाई दी जाए।

कुछ अरसा पहले राजकुमारी कौल की दोस्त तलत ज़मीर ने एक साक्षात्कार में बताया, 'मैं जब भी उनसे मिलने प्रधानमंत्री निवास जाती थी, तो देखती थी कि वहां सब लोग उन्हें माता जी कहा करते थे। वाजपेयी के खाने की सारी ज़िम्मेदारी उनकी थी। रसोइया आकर उनसे ही पूछता था कि खाने में क्या बनाया जाए।'

2014 में मिसेज कौल की मौत ने अल्जाइमर ग्रसित अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन को और सूना कर दिया। इन दोनों के करीबी रहे एक शख्स ने मीडिया रिपोर्ट में कहा कि राजकुमारी कौल को सिर्फ वाजपेयी के परिवार का सदस्य कहना ज्यादती है। असल में उस महिला ने वाजपेयी के जीवन को दिशा दी। राजकुमारी एक ऐसी शख्सियत थीं जिनके भावनात्मक सहारे के बिना अटल बिहारी वाजपेयी शायद उस शीर्षता को नहीं पहुंचते जो उन्होंने अपने जीवन में हासिल किया।

अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने जीवन में लीक से हटकर काम किए हैं। राजकुमारी से उनका बेनाम रिश्ता भी एक ऐसी ही कोशिश है। वाजपेयी और राजकुमारी ने साबित करके दिखाया कि कुछ रिश्तों का नाम देना जरूरी नहीं... उनका होना ही काफी है!

Web Title: Atal Bihari Vajpeyi and Rajkumari Kaul: An untold story of unnamed relationship!

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