मूर्खता के लिए केवल एक ही जगह है और उसे कांग्रेस कहते हैं: अमित शाह
By भाषा | Updated: September 28, 2018 18:11 IST2018-09-28T18:11:28+5:302018-09-28T18:11:28+5:30
सुप्रीम कोर्ट ने कोरेगांव-भीमा हिंसा प्रकरण के सिलसिले में पांच कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के मामले में हस्तक्षेप करने से शुक्रवार को इंकार कर दिया है।

मूर्खता के लिए केवल एक ही जगह है और उसे कांग्रेस कहते हैं: अमित शाह
नई दिल्ली, 28 सितंबर: भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी पर विपक्ष के हमलों के बीच शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस के रूख का पर्दाफाश हो गया है तथा मूर्खता के लिए केवल एक ही जगह है और उसे कांग्रेस कहते हैं।
अमित शाह ने अपने ट्वीट में कहा, ‘‘ जो लोग राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों के राजनीतिकरण करने के स्तर तक चले गए, उनका उच्चतम न्यायालय के फैसले से पर्दाफाश हो गया है । समय आ गया है कि कांग्रेस शहरी नक्सलवाद जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपना रूख स्पष्ट करे।’’
अमित शाह ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के ट्वीट के सहारे ही उन पर पलटवार किया। भाजपा अध्यक्ष ने राहुल पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि ‘मूर्खता के लिए केवल एक ही जगह है और उसे कांग्रेस कहते हैं।’
दरअसल, नक्सल मामलों में पांच कार्यकर्ताओं को नजरबंद किए जाने के विषय पर राहुल गांधी ने ट्वीट कर तंज किया था कि भारत में केवल एक एनजीओ के लिए जगह है और उसे आरएसएस कहते हैं।
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि भारत में मजबूत लोकतंत्र बहस की स्वस्थ परंपरा, चर्चा और असहमति जताने के कारण है, हालांकि देश के खिलाफ साजिश करना और अपने नागरिकों को नुकसान पहुंचाने की भावना इसमें शामिल नहीं है । उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने राजनीतिकरण की कोशिश की उन्हें माफी मांगनी चाहिए ।
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए शाह ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि भारत के 'टुकड़े टुकड़े गैंग', माओवादियों, नकली कार्यकर्ताओं और भ्रष्ट लोगों का समर्थन करो, जिन लोगों ने ईमानदारी और मेहनत से काम किया उन्हें बदनाम करो । राहुल गांधी की कांग्रेस का स्वागत है ।
उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने कोरेगांव-भीमा हिंसा प्रकरण के सिलसिले में पांच कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के मामले में हस्तक्षेप करने से शुक्रवार को इंकार करने के साथ ही इन गिरफ्तारियों की जांच के लिये विशेष जांच दल गठित करने का आग्रह भी ठुकरा दिया। महाराष्ट्र पुलिस ने इन कार्यकर्ताओं को पिछले महीने गिरफ्तार किया था परंतु शीर्ष अदालत के अंतरिम आदेश पर उन्हें घरों में नजरबंद रखा गया था।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने 2:1 के बहुमत के फैसले से इन कार्यकर्ताओं की तत्काल रिहाई के लिये इतिहासकार रोमिला थापर और अन्य की याचिकायें ठुकरा दीं।