अखिलेश यादव ने कहा- देशभर में बेबस मजदूर टिकट दिखा रहे हैं, लेकिन भाजपाई कह रहे पैसे नहीं लिए, गरीब विरोधी बीजेपी का अंत शुरू
By रामदीप मिश्रा | Updated: May 5, 2020 14:41 IST2020-05-05T14:41:54+5:302020-05-05T14:41:54+5:30
देश की नरेंद्र मोदी सरकार ने कहा है कि सरकार ने प्रवासी मजदूरों से टिकट के पैसे लेने की कोई बात नहीं की है क्योंकि उनके परिवहन का 85 फीसदी हिस्सा रेलवे वहन कर रहा है जबकि 15 फीसदी खर्च राज्य सरकारें उठा रही हैं।

अखिलेश यादव ने कहा कि गरीब विरोधी बीजेपी का अंत शुरू। (फाइल फोटो)
नई दिल्लीः समाजवादी पार्टी (एसपी) के मुखिया व उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लॉकडाउन के कारण दूसरे राज्यों में फंसे श्रमिकों को ट्रेन के जरिए वापस लाने के दौरान वसूले जा रहे किराये को लेकर एक बार फिर नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोला है। साथ ही साथ उन्होंने कहा है कि गरीब विरोधी बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी) का अंत शुरू हो गया है।
अखिलेश यादव ने ट्वीट करते समय एक तस्वीर शेयर की है, जिसमें देखा गया है कि प्रवासी मजूदर ट्रेन से सफर कर रहे हैं और उनके हाथ में रेलवे की टिकट है। इसको लेकर उन्होंने लिखा, 'पूरे देश में भाजपाई ये कहते घूम रहे हैं कि सरकार ने मजदूरों से टिकट के पैसे नहीं लिए हैं, जबकि देशभर में बेबस मजदूर अपनी टिकट दिखा रहे हैं। लोग कह रहे हैं कि अगर ये टिकट नहीं है तो क्या बंधक मजदूरों को छोड़ने पर ली गयी फिरौती की सरकारी रसीद है। गरीब विरोधी भाजपा का अंत शुरू।'
इससे पहले उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, 'असंवेदनशील केंद्र सरकार व रेलवे मुंबई के मजदूरों की ट्रेन चलाने की पुकार न जाने कब सुनेगी। संकट के समय मजदूर भावनात्मक रूप से अपने घर और घरवालों से दूरी महसूस कर रहे हैं। गुजरात में भी कई जगह अशांति है। देशभर के मजदूरों को लग रहा है कि अब वो भाजपा सरकार के बंधक बन गये हैं।'
पूरे देश में भाजपाई ये कहते घूम रहे हैं कि सरकार ने मज़दूरों से टिकट के पैसे नहीं लिए हैं जबकि देशभर में बेबस मज़दूर अपनी टिकट दिखा रहे हैं. लोग कह रहे हैं कि अगर ये टिकट नहीं है तो क्या बंधक मज़दूरों को छोड़ने पर ली गयी फिरौती की सरकारी रसीद है.
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) May 5, 2020
ग़रीब विरोधी भाजपा का अंत शुरु! pic.twitter.com/f6UsOLq9Lp
वहीं, मायावती ने ट्वीट में कहा, 'यह अति दुर्भाग्यपूर्ण है कि केन्द्र एवं राज्य सरकारें प्रवासी मजदूरों को ट्रेनों और बसों आदि से भेजने के लिए उनसे किराया भी वसूल रही हैं। सभी सरकारें यह स्पष्ट करें कि वे उन्हें भेजने के लिए किराया नहीं दे पायेंगी। यह बसपा की माँग है। ऐसी स्थिति में बसपा का यह भी कहना है अगर सरकारें प्रवासी मजदूरों का किराया देने में आनाकानी करती हैं तो फिर वह अपने सामर्थ्यवान लोगों से मदद लेकर उनको भेजने की व्यवस्था करने में अपना थोड़ा योगदान जरूर करेगी।'
बता दें, सरकार ने प्रवासी मजदूरों से टिकट के पैसे लेने की कोई बात नहीं की है क्योंकि उनके परिवहन का 85 फीसदी हिस्सा रेलवे वहन कर रहा है जबकि 15 फीसदी खर्च राज्य सरकारें उठा रही हैं। कोविड-19 के कारण जारी लॉकडाउन के दौरान प्रवासी श्रमिकों को घर ले जाने के लिए रेलवे द्वारा मजदूरों से कथित तौर पर टिकट का पैसा लेने के विवादों के बीच केंद्र सरकार ने सोमवार को यह बात कही थी।