1 / 6Jagannath Rath Yatra 2023: जगन्नाथ रथ यात्रा हिंदू धर्म का विश्व प्रसिद्ध त्योहार है जिसे काफी धूम-धाम से मनाया जाता है। ओडिशा के पुरी में इसे बेहद भव्य तरीके से निकाला जाता है। इसलिए इसे पुरी रथ यात्रा और रथ महोत्सव के नाम से भी जाना जाता हैं। जगन्नाथ रथ यात्रा में देश-विदेश से आए लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं। 2 / 6हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष रथ यात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया तिथि को प्रारंभ होती है और इस बार ये तिथि 20 जून (मंगलवार) को है। इस कारण यात्रा 1 जुलाई को प्रारंभ होगी। जबकि शुक्ल पक्ष के11 वें दिन यात्रा का समापन होता है।3 / 6पौराणिक मान्यता है कि ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन जगत के नाथ श्री जगन्नाथ पुरी का जन्मदिन होता है। उस दिन प्रभु जगन्नाथ को बड़े भाई बलराम जी और बहन सुभद्रा के साथ रत्नसिंहासन से उतार कर मंदिर के पास बने स्नान मंडप में ले जाया जाता है। 108 कलशों से उनका शाही स्नान होता है। 4 / 6इस स्नान से प्रभु बीमार हो जाते हैं उन्हें ज्वर आ जाता है। तब 15 दिन तक प्रभु जी को एक विशेष कक्ष में रखा जाता है। जिसे ओसर घर कहते हैं। इस 15 दिनों की अवधि में महाप्रभु को मंदिर के प्रमुख सेवकों और वैद्यों के अलावा कोई और नहीं देख सकता। इस दौरान मंदिर में महाप्रभु के प्रतिनिधि अलारनाथ जी की प्रतिमा स्थपित की जाती हैं तथा उनकी पूजा अर्चना की जाती है। 5 / 615 दिन बाद भगवान स्वस्थ होकर कक्ष से बाहर निकलते हैं और भक्तों को दर्शन देते हैं। जिसे नव यौवन नैत्र उत्सव भी कहते हैं। इसके बाद द्वितीया के दिन महाप्रभु श्री कृष्ण और बड़े भाई बलराम जी तथा बहन सुभद्रा जी के साथ बाहर राजमार्ग पर आते हैं और रथ पर विराजमान होकर नगर भ्रमण पर निकलते हैं।6 / 6धार्मिक रूप से यात्रा का बड़ा महत्व है। पुरी हिंदू धर्म के चार सबसे पवित्र धामों में से एक है। यहां भगवान जगन्नाथ विराजमान हैं। मान्यता है कि जो कोई भक्त इस इनकी इस यात्रा में शामिल होता है भगवान जगन्नाथ उनके समस्त दुखों को हर लेते हैं। श्रद्धालुओं को मोक्ष प्राप्त करता है।