1 / 5फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन की परंपरा निभाई जाती है। इस बार होलिका दहन 17 मार्च, गुरुवार को है। इसके अगले दिन 18 मार्च को रंगों का उत्सव होली मनाई जाएगी। होलिका दहन के समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है, जिन्हें जान लेना जरूरी है।2 / 5होलिका दहन शुभ मुहूर्त करें। हिन्दू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 17 मार्च को दोपहर 01:29 बजे से अगले दिन 18 मार्च को दोपहर 12:47 बजे तक रहेगी। होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त रात 9 बजकर 06 मिनट से लेकर रात 10 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। मुहूर्त की कुल अवधि 1 घंटा 10 मिनट रहेगी।3 / 5सबसे पहले तो होलिका दहन के लिए लकड़ी, कंडे या उपले एक जगह एकत्रित करें। इन सारी चीजों को शुभ मुहूर्त में जलाएं। इसमें छेद वाले गोबर के उपले, गेंहू की नई बालियां और उबटन डालें। ऐसी मान्यता है कि इससे साल भर व्यक्ति को आरोग्य कि प्राप्ति हो और सारी नकारात्मक शक्तियां इस अग्नि में भस्म हो जाती हैं।4 / 5होलिका की अग्नि को लेकर माना जाता है कि आप पुराने साल को जला रहे हैं। इसका अर्थ है कि आप पुराने साल के शरीर को जला रहे हैं। होलिका की अग्नि को जलते हुए शरीर का प्रतीक माना जाता है। इसलिए नवविवाहित कन्याओं को होलिका की जलती हुई अग्नि को देखने से बचना चाहिए5 / 5होलिका का पूजन करते समय सर ढक खड़े होना चाहिए, यानि सर पर रूमाल या अंगोढा आदि अवश्य रखें। होली का भुना गन्ना चूसें, होला और अन्न अवश्य खायें ये प्रसाद होता है।