Holi Festival 2020: लड़की को भगाकर शादी करने से अंगारे फेंकने तक, भारत में होली खेलने के अनोखे तरीके

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 6, 2020 01:01 PM2020-03-06T13:01:59+5:302020-03-06T13:01:59+5:30

Next

होली मौज-मस्ती और रंगों का त्योहार है। इस बार होली 10 मार्च को है। इस दिन हम एक-दूसरे पर रंग डालते हैं और शुभकामनाएं देते हैं। आम तौर पर होली मनाने का यही तरीका है। हालांकि, भारत में कई ऐसी जगहें भी हैं जहां होली मनाने की अपनी-अपनी अनोखी परंपरा है। आईए जानते हैं।

मध्य प्रदेश के भील आदिवासियों के युवक-युवतियों के लिए होली अपने जीवनसाथी के चुनाव का भी मौका होता है। इस दिन एक बाजार लगाया जाता है। यहां लड़के-लड़कियां आते हैं। लड़के यहां डांस और खास तरह का वाद्ययंत्र बजाते हुए किसी लड़की को गुलाल लगा देते हैं। अगर लड़की ने भी उस लड़के गुलाल लगाया दोनों रजामंदी के साथ भागकर शादी करते हैं।

राजस्थान के बांसवाड़ा में रहने वाली जनजातियां होली के मौके पर होलिका दहन की राख पर चलती हैं। ये लोग राख के अंदर दबी आग को एक-दूसरे पर फेंकते हैं और पत्थरबाजी भी करते हैं। मान्यता है कि होली खेलने पर खून निकलने से व्यक्ति का आने वाला समय अच्छा और बेहतर होता है।

कुछ ऐसी ही परंपरा मध्य प्रदेश के मालवा और कर्नाटक के कुछ क्षेत्रों में भी है। यहां होली के दिन एक दूसरे पर जलते हुए अंगारे फेंकने का रिवाज है। कहते हैं कि ऐसा करने से होलिका राक्षसी की मृत्यु होती है।

बरसाने की लठमार होली पूरी दुनिया में प्रचलित है। इसमें नंदगांव के पुरुष बरसाना जाते हैं, जहां महिलाएं उनपर लाठियां बरसाती हैं। लठमार होली में अगर पुरुष महिलाओं की पकड़ में आ जाएं तो उन्हें महिलाओं के कपड़े पहनकर नाचना भी होता है। पौराणिक कथाओं में बरसाना को राधा जी का गांव बताया गया है।

वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर चिता भस्म से होली खेलने की परंपरा है। ऐसा फाल्गुन के शुक्ल एकादशी के अगले दिन किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि फाल्गुन के शुक्ल एकादशी को भगवान शिव गौरी माता को विदा कराकर लाते हैं। मान्यता है कि इसी की खुशी में अगले दिन बाबा विश्वनाथ अपने अड़भंगी बारातियों के साथ महाश्मशान पर दिगंबर रूप में होली खेलते हैं। दुनिया भर में ये मसाने की होली के नाम से प्रचलित है।

मथुरा में फूलों की होली खेलने की भी परंपरा काफी पुरानी है। यहां होली एक सप्ताह तक मनाई जाती है। वृंदावन में भी फूलों की होली खेली जाती है और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। ये होली फाल्गुन की एकादशी से शुरू होती है।

पंजाब की होला-मोहल्ल होली भी बेहद खास और अपने आप में अलग है। इस दिन लोग एकत्र होकर तलवारबाजी, कुश्ती, मार्शल आर्ट्स आदि का आयोजन और प्रदर्शन करते हैं। इन सब चीजों का आयोजन गुलाल और रंगों के बीच होता है।

गोवा की होली भी काफी प्रसिद्ध है। यहां इस दिन को शिगमोत्सव के नाम से जाना जाता है। इसे दो हफ्ते तक मनाये जाने की परंपरा है। साथ ही इस दिन जुलूस और झाकियां भी निकाली जाती है। इस दौरान भी रंगों और गुलाल से होली खेली जाती है।

उत्तर प्रदेश के कुंडरा गांव में होली एक अलग अंदाज में मनायी जाती है। इस गांव में पुरूषों को होली खेलने की इजाजत नहीं होती है। इस दिन पूरे गांव की महिलाएं स्‍थानीय राज जानकी मंदिर में इकट्ठी होती है और फाग गाते हुए होली खेलती है। (प्रतीकात्मक तस्वीर)