लाइव न्यूज़ :

Happy Ravidas Jayanti 2023: जाति-जाति में जाति है, जो केतन के पात..., संत रविदास जयंती पर पढ़ें उनके 7 मशहूर दोहे

By रुस्तम राणा | Updated: February 4, 2023 21:22 IST

Open in App
1 / 8
Happy Ravidas Jayanti 2023: माघ पूर्णिमा के दिन संत गुरु रविदास की जयंती देशभर में धूमधाम के साथ मनाई जाती है। इस साल 5 फरवरी को रविदास जयंती है। उनका जन्म वाराणसी के पास एक गांव में हुआ था। उन्हें संत रैदास भी कहा जाता है। वह 15वीं सदी के महान समाज सुधारक, दार्शनिक कवि और ईश्वर के अनुयायी थे। उन्होंने दुनिया को भेदभाव से ऊपर उठकर समाज को प्रेम और एकता की सीख दी। उनके दोहे में समाज की कुरीतियों पर गहरी चोट करते हैं। साथ ही उनकी रचना में भगवान के प्रति अगाध प्रेम झलकता है। आईए रविदास जंयती के मौके पर पढ़ते हैं उनके कुछ प्रचलित दोहे...
2 / 8
1. जाति-जाति में जाति हैं, जो केतन के पात, रैदास मनुष ना जुड़ सके जब तक जाति न जात। भावार्थ - अगर केले के तने को छिला जाये पत्ते के नीचे पत्ता ही निकलता है और अंत में पूरा खाली निकलता है।  पेड़ मगर खत्म हो जाता है। वैसे ही इंसान को जातियों में बांट दिया गया है। इंसान खत्म हो जाता है मगर जाति खत्म नहीं होती है। जब तक जाति खत्म नहीं होगीं, तब तक इंसान एक दूसरे से जुड़ नही सकता है, कभी भी एक नहीं हो सकता है।
3 / 8
2. रैदास कहै जाकै हदै, रहे रैन दिन राम सो भगता भगवंत सम, क्रोध न व्यापै काम। भावार्थ - जिसके दिल में दिन-रात राम रहते है। उस भक्त को राम समान ही मानना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि न तो उनपर क्रोध का असर होता है और न ही काम की भावना उस पर हावी होती है।
4 / 8
3. मन चंगा तो कठौती में गंगा। भावार्थ - अगर आपका मन और दिल दोनो साफ हैं, तो आपको ईश्वर की प्राप्ति हो सकती है अर्थात उनके मन अंदर निवास कर सकते हैं।
5 / 8
4. हरि-सा हीरा छांड कै, करै आन की आस ते नर जमपुर जाहिंगे, सत भाषै रविदास। भावार्थ - जो मनुष्य ईश्वर की भक्ति छोड़कर दूसरी चीजों को ज्यादा महत्व देता है, उसे अवश्य ही नर्क में जाना पड़ता है। इसलिए इंसान को हमेशा भगवान की भक्ति में ध्यान लगाना चाहिए और इधर-उधर भटकना नहीं चाहिए।
6 / 8
5. कृस्न, करीम, राम, हरि, राघव, जब लग एक न पेखा वेद कतेब कुरान, पुरानन, सहज एक नहिं देखा। भावार्थ - राम, कृष्ण, हरी, ईश्वर, करीम, राघव ये सभी एक ही ईश्वर के अलग-अलग नाम है। वेद, कुरान, पुराण में भी एक ही परमेश्वर का गुणगान है। सभी भगवान की भक्ति के लिए सदाचार का पाठ सिखाते है।
7 / 8
6. जा देखे घिन उपजै, नरक कुंड में बास प्रेम भगति सों ऊधरे, प्रगटत जन रैदास। भावार्थ- जिस रविदास को देखने से लोगों को घृणा आती थी। उनका निवास नर्क कुंद के समान था। ऐसे रविदास का ईश्वर की भक्ति में लीन हो जाना सच में फिर से उनकी मनुष्य के रूप में उत्पत्ति हो जाने जैसी है।
8 / 8
7. 'रविदास' जन्म के कारनै, होत न कोउ नीच, नर कूँ नीच करि डारि है, ओछे करम की कीच। भावार्थ- इंसान कभी जन्म से नीच नहीं होता है। वह अपने बुरे कर्मों से ही नीच बनता है।
टॅग्स :पूर्णिमाहिंदू त्योहार
Open in App

संबंधित खबरें

भारतयूनेस्को विरासत में भारत का सांस्कृतिक आलोक

पूजा पाठKharmas 2025: 16 दिसंबर से रुक जाएंगे विवाह, मुंडन समेत सभी मांगलिक कार्य, जानें खरमास में क्या करें, क्या नहीं

पूजा पाठMargashirsha Purnima 2025 Date: कब है मार्गशीर्ष पूर्णिमा? जानिए तिथि, दान- स्नान का शुभ मुहूर्त, चंद्रोदय का समय और महत्व

पूजा पाठDecember Vrat Tyohar 2025 List: गीता जयंती, खरमास, गुरु गोबिंद सिंह जयंती, दिसंबर में पड़ेंगे ये व्रत-त्योहार, देखें पूरी लिस्ट

पूजा पाठVivah Panchami 2025: विवाह पंचमी 25 नवंबर को, वैवाहिक जीवन में प्रेम बढ़ाने के लिए इस दिन करें ये 4 महाउपाय

पूजा पाठ अधिक खबरें

पूजा पाठShani 2026 Predictions: नए साल में शनि इन 3 राशियों के लिए बनेगा वरदान, करियर में ग्रोथ और आर्थिक लाभ के बड़े संकेत

पूजा पाठKanya Rashifal 2026: कन्या राशिवालों के लिए वरदान होने वाला है नया साल, पढ़ें पूरे साल की भविष्यवाणी

पूजा पाठPanchang 20 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 20 December 2025: आज ये चार राशि के लोग बेहद भाग्यशाली, चौतरफा प्राप्त होंगी खुशियां

पूजा पाठSingh Rashifal 2026: नए साल में सिंह राशिवालों की कटेगी चांदी, पढ़ें अपना विस्तृत राशिफल