PM मोदी ने किया नए संसद भवन का शिलान्यास: बनाने में आएगा 971 करोड़ का खर्च, जानें सेंट्रल विस्टा की खास बातें By स्वाति सिंह | Published: December 10, 2020 05:26 PM 2020-12-10T17:26:03+5:30 2020-12-10T17:26:03+5:30
Next Next आज देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन की आधारशिला रखी है। लेकिन, भूमि पूजन और शिलान्यास के बाद भी इमारत का निर्माण शुरू नहीं हो सकेगा। वजह है सुप्रीम कोर्ट की रोक। सुप्रीम कोर्ट ने नई संसद समेत कई अहम सरकारी इमारतों वाले सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में किसी भी निर्माण पर फिलहाल रोक लगा रखी है।
समारोह दोपहर 12:55 बजे शुरू हुआ, भूमि पूजन और शिलान्यास दोपहर 1 बजे हुआ। प्रधानमंत्री दोपहर 2.15 बजे लोगों को संबोधित करेंगे।
प्रस्तावित चार मंजिला इमारत का 64,500 वर्ग मीटर के क्षेत्र में निर्माण होगा और इसकी अनुमानित लागत 971 करोड़ होगी। अगस्त 2022 में देश के 75वें स्वतंत्रता दिवस के लिए निर्माण समय पर पूरा होने की उम्मीद है।
सेंट्रल विस्टा में प्रस्तावित भवन में संयुक्त सत्र के दौरान 1,224 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था के साथ ही लोकसभा चैंबर में 888 सदस्यों के लिए बैठने की क्षमता होगी। राज्यसभा कक्ष में 384 सदस्यों के बैठने की क्षमता होगी। संसद के बढ़ी हुई क्षमता को भविष्य को देखते हुए बनाया गया है। वर्तमान में, लोकसभा में 543 सदस्यों और राज्यसभा 245 की अनुमोदित शक्ति है।
संसद के प्रत्येक सदस्य को नए श्रम शक्ति भवन में 40 वर्ग मीटर का कार्यालय स्थान प्रदान किया जाएगा, जो 2024 तक पूरा हो जाएगा। नए भवन में देश भर के प्रसिद्ध कारीगरों और मूर्तिकारों के योगदान के जरिए देश की शानदार विरासत का प्रदर्शन होगा।
वर्तमान समय की जरूरत को देखते हुए नए संसद भवन की आवश्यकता महसूस की गई। पुराना संसद भवन ब्रिटिश काल में बनाया गया था। वर्षों से इस पुराने संसद भवन में हो रहे कार्य की वजह से कई बार दो विभागों के काम-काज में समस्या होती थी, ऐसे में कई सदस्यों ने आधुनिक, उच्च तकनीक सुविधाओं की आवश्यकता व्यक्त की है।
मौजूदा 93 वर्षीय इमारत के संरचना को नुकसान पहुंचाए बिना आधुनिक संचार व सुरक्षा व्यवस्था से संपन्न भूकंपरोधी भवन को तैयार किया गया है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा था कि पुराने संसद भवन को संरक्षित किया जाएगा क्योंकि यह देश की एक पुरातात्विक संपत्ति है।
मौजूदा संसद भवन निर्माण के छह साल बाद 18 जनवरी 1927 को खोला गया था। 144 बलुआ पत्थरों के स्तंभों वाली विशाल गोलाकार इमारत को सर एडवर्ड लुटियन ने डिजाइन किया था। इसी वैज्ञानिक ने दिल्ली के दिल यानी कनाट प्लेस व सांसदों के रहने वाले हिस्से को भी डिजाइन किया था।
पिछले हफ्ते, सुप्रीम कोर्ट ने नरेंद्र मोदी सरकार पर बयान देते हुए कहा था कि सरकार नए संसद भवन निर्माण को लेकर आक्रामक तरीके से आगे बढ़ रही है, जबकि अभी यह मामला कोर्ट में है और फैसला लंबित है। अदालत ने कहा कि आप शिलान्यास कर सकते हैं, आधारशिला रख सकते हैं, आप कागजी कार्रवाई भी कर सकते हैं, लेकिन फैसला आए बिना कोई निर्माण या विध्वंस नहीं होगा, कोई पेड़ नहीं कटेंगे।