Happy Teachers Day Wishes 2023: टीचर्स डे पर भेजें ये खास, मैसेज और संदेश, गुरु के चेहरे पर आएगी मुस्कान

By संदीप दाहिमा | Published: September 5, 2023 07:12 AM2023-09-05T07:12:33+5:302023-09-05T07:12:33+5:30

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Happy Teachers Day 2023: भारत में हर साल 5 सितंबर को टीचर्स डे यानी शिक्षक दिवस मनाया जाता है। इसी दिन भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन हुआ था।

वे एक महान व्यक्ति और उम्दा शिक्षक थे। उनकी याद में हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है।

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को दक्षिण भारत के तिरूतनी नाम के एक गांव में हुआ था। उन्होंने दर्शन शास्त्र में एम.ए. की उपाधि ली थी और सन् 1916 में मद्रास रेजीडेंसी कॉलेज में दर्शनशास्त्र के सहायक प्राध्यापक नियुक्त हो गए थे।

राधाकृष्णन प्राध्यापक भी रहे। उन्होंने अपने लेखों और भाषणों के माध्यम से विश्व को भारतीय दर्शनशास्त्र से परिचित कराया। सारे विश्व में उनके लेखों की प्रशंसा की गई। वे भारतीय दर्शन शास्त्र परिषद्‍ के अध्यक्ष भी रहे। वे पेरिस में यूनेस्को नामक संस्था की कार्यसमि‍ति के अध्यक्ष भी बनाए गए।

सन् 1949 से सन् 1952 तक डॉ. राधाकृष्णन रूस की राजधानी मास्को में भारत के राजदूत पद पर रहे। सन् 1952 में वे भारत के उपराष्ट्रपति बनाए गए। इस महान दार्शनिक शिक्षाविद और लेखक को भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी ने देश का सर्वोच्च अलंकरण भारत रत्न प्रदान किया।

13 मई, 1962 को डॉ. राधाकृष्णन भारत के द्वितीय राष्ट्रपति बने। सन् 1967 तक राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने देश की अमूल्य सेवा की। उन्होंने अपना जन्मदिवस शिक्षकों के लिए समर्पित किया। इसलिए 5 सितंबर भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन 1962 में देश के राष्ट्रपति बने थे। उनके इस पद पर बैठने के बाद उनके कुछ विद्यार्थियों ने 5 सितंबर को देशभर में उनका जन्मदिवस मनाने के लिए निवेदन किया। डॉ राधाकृष्णन ने अपने विद्यार्थियों का निवेदन तो स्वीकार किया, परंतु उसमें अपनी भी सोच रखी।

उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि उनके जन्मदिवस को देशभर में 'शिक्षक दिवस' के रूप में मनाया जाना चाहिए। वे एक शिक्षक हैं और उन्हें इस बात की प्रसन्नता होगी अगर उनके जन्मदिन पर सभी शिक्षकों को आदर एवं सम्मान मिले। तब से लेकर आज तक 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।