आप जानते हैं क्या है रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट, आम लोगों पर कैसे पड़ता इसका असर
By सुमित राय | Updated: April 17, 2020 15:32 IST2020-04-17T15:32:03+5:302020-04-17T15:32:03+5:30
रिजर्व बैंक ने रिवर्स रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की है, लेकिन क्या आपको पता है कि इसका असर आमलोगों पर कैसे पड़ता है?

क्या आप जानते हैं कि रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट क्या है ? (प्रतीकात्मक तस्वीर)
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कोरोना वायरस की वजह से महामंदी की आशंका जताई है। इससे निपटने के लिए आरबीआई लगातार नए कदम उठा रहा है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को तत्काल प्रभाव से रिवर्स रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की, जिसके बाद यह 4 प्रतिशत से कम 3.75 प्रतिशत हो गया।
हालांकि आरबीआई ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। तो क्या आपको पता है कि रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट क्या होता है। इसका आम लोगों पर क्या असर पड़ता है। तो चलिए हम आपको बताते हैं रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट और इससे आम लोगों पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में।
क्या होता है रेपो रेट
जैसे आम लोग अपने काम के लिए बैंकों से लोन लेते है, उसी तरह बैंक अपने काम के लिए रिजर्व बैंक से लोन लेते हैं। इस लोन बैंक जिस रेट से ब्याज चुकाते हैं उसे रेपो रेट कहते हैं।
आम लोगों पर क्या पड़ता है असर
रेपो रेट का सीधा असर आम लोगों पर पड़ता है, क्योंकि अगर रेपो रेट ज्यादा होगा तो बैंकों को महंगा लोन मिलेगा और वो अपने ग्राहकों को ज्यादा रेट पर लोन देंगे। वहीं अगर रेपो रेट कम होगो तो कों को कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध होगा और वो भी ग्राहकों को सस्ता कर्ज दे सकते हैं।
क्या होता है रिवर्स रेपो रेट
रेपो रेट का एकदम उल्टा होता है रिवर्स रेपो रेट। यानि बैंक अपने दिनभर के काम के बाद बची हुई रकम को रिजर्व बैंक के पास जमा कर देते हैं और उस पर मिलने वाले ब्याज को रिवर्स रेपो रेट कहा जाता है।
रिवर्स रेपो रेट का आम आदमी पर असर
रिवर्स रेपो रेट का सीधा असर लोगों पर तो नहीं पड़ता, लेकिन इसका सीधा असर बाजार पर पड़ता है। अगर रिवर्स रेपो रेट ज्यादा हो तो बैंक ज्यादा पैसे रिजर्व बैंक के पास जमा करा देते हैं और बाजार में नकदी की कमी हो जाती है। रिवर्स रेपो रेट कम होने पर बाजार में कैश फ्लो बढ़ जाता है।