बैंक के दीवालिया होने पर क्या आपके पैसे हैं सुरक्षित? यहां जाने सबकुछ
By स्वाति सिंह | Published: October 7, 2019 02:52 PM2019-10-07T14:52:45+5:302019-10-07T14:52:45+5:30
केंद्रीय बैंक द्वारा 23 सितंबर को बैंक पर लगायी गायी पाबंदी के बाद यह दूसरा मौका है जब नियामक ने निकासी सीमा बढ़ायी है। यहां हम आपको बताएंगे की अगर भारत में बैंक विफल हो जाते हैं तो अकाउंटहोल्डर के लिए क्या विकल्प है? और इंश्योरेंस डिपॉजिट कैसे काम करता है।
पिछले हफ्ते भारतीय रिजर्व बैंक ने घोटाला प्रभावित पंजाब एंड महाराष्ट्र को-आपरेटिव बैंक (पीएमसी) के खाताधारकों के लिए नकद निकासी सीमा को 10,000 रुपये से बढ़ाकर 25,000 रुपये कर दिया। बैंक के खाताधारक छह माह के दौरान 25,000 रुपये तक की निकासी कर सकेंगे।
केंद्रीय बैंक द्वारा 23 सितंबर को बैंक पर लगायी गायी पाबंदी के बाद यह दूसरा मौका है जब नियामक ने निकासी सीमा बढ़ायी है। यहां हम आपको बताएंगे की अगर भारत में बैंक विफल हो जाते हैं तो अकाउंटहोल्डर के लिए क्या विकल्प है? और इंश्योरेंस डिपॉजिट कैसे काम करता है।
बैंक के विफल होने पर अकाउंटहोल्डर के पैसे का क्या होता है?
अगर भारत में जब एक बैंक का बंद करना होता है जमाकर्ता के डिपोजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कारपोरेश्यान (डीआईसीजीसी) प्रति ग्राहक एक लाख रुपये की जमा पर ही बीमा उपलब्ध कराता है, भले ही उसने खाते में कितनी भी राशि क्यों न जमा कर रखी हो।
डीआईसीजीसी पूरी राशि का भुगतान नहीं करता है, ये केवल ब्याज और मूल राशि सहित एक लाख रुपये तक का भुगतान करती है।
उदहारण के लिए अगर आप ने एक बैंक 'ए' में 80,000 रुपये का जमा कराए हैं, जिसमें 9,000 रुपये की ब्याज राशि भी शामिल है। लेकिन जब बैंक 'ए' पूरी राशि नहीं दे पाता तो डीआईसीजीसी आप को 89,000 हजार रुपए भुगतान करेगी। लेकिन अगर फिक्स्ड डिपॉजिट 2 लाख रुपए हैं, तो आप को सिर्फ 1 लाख रुपये ही मिलेंगे।
डिपोजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कारपोरेश्यान (डीआईसीजीसी) देश में प्राइवेट और पब्लिक सभी बैंक का बीमा कराते हैं। हालांकि इसे यह बहुत छोटे स्थानीय सहकारी बैंकों के तगा कहना थोड़ा मुश्किल है।