भारत कें रिटायरमेंट के बाद आने वाली पैसों की जरूरतों की प्लानिंग ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है। ब्रिजिंद द गैप ने एक रिपोर्ट में इसका खुलासा किया था कि महज 33 फीसदी ही ऐसे लोग जिन्होंने रिटायरमेंट के बाद के लिए योजना बना रखी है। असल में इसकी एक बड़ी वजह ये है कि भारत में छोटी अवधि में लाभ देखने की मानसिकता रही है। लंबी अवधि को लेकर लोगों में धैर्य नहीं होता। उसी रिपोर्ट में यह भी जानकारी सामने आई थी कि 56 फीसदी भारतीय अपनी कमाई से बचत नहीं कर पाते। बिना बचत के निवेश का सवाल ही नहीं उठता।
ब्रिजिंद द गैप ने यह बताया था कि 53 फीसदी कमाई करने वाले छोटी अवधि के निवेश के लिए ही आगे बढ़ते हैं। लेकिन 54 फीसदी लोग ऐसे हैं जो भविष्य के लिए पैसे बचाने से ज्यादा रिटायरमेंट के बाद भी काम करने की इच्छा रखते हैं। वह कमाई के दौरान पैसे बचाने से ज्यादा तरजीह अपने बिजनेस शुरू करने को देते हैं। हालांकि इसमें सफल होने की प्रतिशतता बेहद कम है।
लेकिन इस परिस्थिति से बचने के लिए मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट एडवाइजरी के डायरेक्टर धवल कपाड़िया से बातचीत पर आधारित मनीकंट्रोल ने एक बेहतर जानकारी प्रकाशित की है। धवल कपाड़िया के अनुसार बड़े जोखिम की तुलना में एफडी में निवेश करना काफी सुरक्षित होता है। लेकिन सिर्फ एफडी में निवेश से मुद्रास्फीति और महंगाई से नहीं उबरा जा सकता।
विशेषज्ञ ने बताया कि एफडी के बाद रिटायरमेंट के लिए इक्विटी में निवेश करना सबसे लाभकारी होता है। इसमें 90 फीसदी लोग इक्विटी म्यूचल फंड का रास्ता चुनते हैं, जो कि सर्वोत्तम है। लंबी अवधि के निवेश के लिहाज से यह सबसे बेहतर होता है। जबकि 10 से फीसदी लोग ही डेट का रुख करते हैं। लेकिन यह भी जरूरी है। कुछ पैसे इसमें भी डालें। इसमें निवेश से टैक्स में भी बचत होती है।