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Health Insurance Policy: स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी खरीदने में आपकी मदद करेंगी ये 5 बातें

By स्वाति सिंह | Updated: September 15, 2020 08:43 IST

स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी खरीदते समय भी अपनी जरूरत का ख्याल रखना चाहिए। वैसी ही बीमा पॉलिसी लें जो आपकी बीमारी को कवर करती हो। 

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ठळक मुद्देअभी के समय में हर इंसान के पास हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी जरूर होनी चाहिएपॉलिसी खरीदते समय किन बातों पर ध्यान रखना चाहिए।

अभी के समय में हर इंसान के पास हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी जरूर होनी चाहिए। हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां अपनी कंपनियां भी इस जरूरत को समझती हैं इसलिए अपनी पॉलिसी बेचने के लिए बहुत सारे स्कीम का सहारा लेती हैं। अलग-अलग तरीके का ऑफर देकर ग्राहकों को पॉलिसी खरीदने के लिए मजबूर करती हैं। ऐसे में पॉलिसी खरीदते समय किन बातों पर ध्यान रखना चाहिए। आइए हम आपको बताते हैं। 

कम दाम वाले प्रीमियम को खरीदे-

सबसे पहले अपनी जरूरतों का आकलन करना चाहिए फिर अपनी जरूरत के हिसाब से पॉलिसी खरीदनी चाहिए। हमेशा स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी द्वारा दी जाने वाली लाभों को समधने की कोशिश करें। हमेशा वहीं स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी खरीदे जिससे आपको ज्यादा फायदा मिलने वाला है। वो नहीं जो कुछ चीजों को कवर करे।

कम बीमा राशि का चयन करें-

स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी खरीदते समय भी अपनी जरूरत का ख्याल रखना चाहिए। वैसी ही बीमा पॉलिसी लें जो आपकी बीमारी को कवर करती हो। 

बीमा के तहत आने वाले अस्पतालों के बारे में जाने-

बीमा खरीदने से पहले ये जरूर देखें कि बीमा पॉलिसी के अंदर कौन-कौन से अस्पताल आ रहे हैं। क्या लिस्ट में उन अस्पतालों का नाम है, जहां आप जाना पंसद करते हैं। साथ ही अस्पताल के साथ कैशलेस स्टेलमेंट है या नहीं। मान लीजिए कभी इलाज का खर्च बढ़ जाए और आपके पास पैसे नहीं हो तो ऐसे में कैशलेस स्टेलमेंट आपके काम आ सकता है।

तथ्यों का ना छिपाएं-

बीमा पॉलिसी खरीदते समय बीमारी को ना छिपाएं। अगर आप ऐसा करते हैं तो ये बाद में आपको मंहगा पड़ सकता है। हो सकता है आप बाद में पॉलिसी में क्लेम करें लेकिन बीमा कंपनी क्लेम देने से माना करें। क्योंकि आपने पहले नहीं बताया है।

को-पे या डिडक्टिबल प्रीमियम लें-

हाल में इंश्योरेंस के प्रीमियम लगातार बढ़ रहे हैं, ऐसे में लोग ज्यादा डिडक्टिबल या को-पे ऑप्शन चुनते हैं। जिनको नहीं पता उनके जानकारी के लिए को-पे ऑप्शन में इंश्योरेंस कराने वाला क्लेम का कुछ फीसदी देने के लिए राजी हो जाता है। मानों कोई 20 फीसदी देने को राजी हो गया तो अगर क्लेम 2 लाख का है तो इंश्योरेंस कंपनी 1.6लाख  देगी, बाकी इंश्योरेंस लेने वाला ही देगा।

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