भविष्य निधि गणना में विशेष भत्ता शामिल नहीं करने वाली कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करेगा EPFO
By भाषा | Updated: March 2, 2019 05:14 IST2019-03-02T05:14:38+5:302019-03-02T05:14:38+5:30
शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में यह व्यवस्था दी कि कर्मचारियों के भविष्य निधि गणना मामले में विशेष भत्ता मूल वेतन का हिस्सा है। कर्मचारियों को अपने मूल वेतन का 12 प्रतिशत हिस्सा ईपीएफ की सामाजिक सुरक्षा योजना मद में देना होता है। इतना ही योगदान नियोक्ता भी करता है।

भविष्य निधि गणना में विशेष भत्ता शामिल नहीं करने वाली कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करेगा EPFO
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने भविष्य निधि गणना में विशेष भत्ते को मूल वेतन में शामिल नहीं करने वाली कंपनियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्णय किया है। उच्चतम न्यायालय के ईपीएफ गणना में मूल वेतन के हिस्से में विशेष भत्ते को शामिल करने की व्यवस्था के एक दिन बाद ईपीएफओ ने यह निर्णय किया है।
शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में यह व्यवस्था दी कि कर्मचारियों के भविष्य निधि गणना मामले में विशेष भत्ता मूल वेतन का हिस्सा है। कर्मचारियों को अपने मूल वेतन का 12 प्रतिशत हिस्सा ईपीएफ की सामाजिक सुरक्षा योजना मद में देना होता है। इतना ही योगदान नियोक्ता भी करता है।
मामले से जुड़े एक सूत्र ने कहा, ‘‘फैसले को देखते हुए ईपीएफओ उन कंपनियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगा जो ईपीएफ योगदान के लिये विशेष भत्ते को उसमें शामिल नहीं करते। ईपीएफओ फैसले का अध्ययन कर रहा है और उसे लागू करने के लिये जल्दी ही विस्तृत योजना लाएगा।’’
सूत्र ने कहा, ‘‘ईपीएफओ ने शीर्ष अदालत में कहा है कि मूल वेतन को जानबूझकर कम रखा जाता है और इसी के आधार पर ईपीएफ की गणना होती है। इस प्रकार, इसीलिए निकाय के लिये यह जरूरी है कि इसे सही तरीके से लागू करे।’’
ईपीएफओ न्यासी तथा भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) के महासचिव ब्रजेश उपाध्याय ने कहा, ‘‘हम शीर्ष अदालत के निर्णय का स्वागत करते हैं। यह लंबित मामला है। वास्तव में ईपीएफओ का निर्णय लेने वाला शीर्ष निकाय केंद्रीय न्यासी बोर्ड ने ईपीएफ देनदारी कम करने के लिये वेतन को विभिन्न मदों में विभाजित करने के मामले तथा उससे निपटने के बारे में सुझाव देने को लेकर एक समिति बनायी थी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘समिति ने मसले से निपटने को लेकर अपना सुझाव दिया था। लेकिन उसी समय मामला न्यायालय में गया और विभिन्न भत्तों को मूल वेतन में शामिल करने की समिति की सिफारिशों को लागू नहीं किया जा सका।’’
शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में ईपीएफ की अपील की अनुमति दे दी। इसमें ईपीएफ योगदान की गणना के लिये विशेष भत्ते जैसे भत्तों को मूल वेतन में शामिल करने की अनुमति देने का आग्रह किया गया था।