रिटायरमेंट फंड में टैक्स फ्री योगदान पर सीमा से सिर्फ 60 लाख सालाना वेतन वाले ही होंगे प्रभावित

By भाषा | Published: February 4, 2020 06:45 AM2020-02-04T06:45:00+5:302020-02-04T06:45:00+5:30

राजस्व सचिव अजय भूषण पांडे ने कहा कि लाभांश कर उसका भुगतान करने वाली कंपनियों के बजाए उसे प्राप्त करने वालों पर लगाना सबसे न्यायोचित है क्यों कि इस स्थिति में कर की दर प्राप्तकर्ता की कुल आय के स्लैब के अनुसार लागू होती है।

60 lakh annual salary will be affected by the limit on tax free contribution to retirement fund | रिटायरमेंट फंड में टैक्स फ्री योगदान पर सीमा से सिर्फ 60 लाख सालाना वेतन वाले ही होंगे प्रभावित

रिटायरमेंट फंड में टैक्स फ्री योगदान पर सीमा से सिर्फ 60 लाख सालाना वेतन वाले ही होंगे प्रभावित

राजस्व सचिव अजय भूषण पांडे ने सोमवार को कहा कि बजट में नियोक्ताओं द्वारा कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ), राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) और सेवानिवृत्ति कोष में वार्षिक संचयी कर मुक्त योगदान को 7.5 लाख रुपये तक सीमित करने से 60 लाख रुपये से अधिक सालाना वेतन पाने वाले लोग ही प्रभावित होंगे।

उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव भारत के लिये कोई अनूठा नहीं है, दूसरे देशों में भी ऐसी व्यवस्था है। पांडे ने यह भी कहा कि लाभांश कर उसका भुगतान करने वाली कंपनियों के बजाए उसे प्राप्त करने वालों पर लगाना सबसे न्यायोचित है क्योंकि इस स्थिति में कर की दर प्राप्तकर्ता की कुल आय के स्लैब के अनुसार लागू होती है।

बजट में कर्मचारियों के एनपीएस, भविष्य निधि और सेवानिवृत्ति फंड में नियोक्ताओं द्वारा कर मुक्त योगदान की सीमा 7.5 लाख रुपये तय किये जाने के बारे में उन्होंने कहा कि अगर कोई सीमा नहीं होती है तो इससे उन्हें वेतन को इस प्रकार से विभिन्न मदों में इस तरह गठित किया जाएगा ताकि कर देनदारी कम हो।

पांडे ने बजट के बाद उद्योग मंडल फिक्की द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कहा, ‘‘अगर आप 7.5 लाख रुपये की सीमा पर विचार करें, इससे केवल उन लोगों पर असर पड़ेगा, जिनका सालाना वेतन 60 लाख रुपये से अण्धिक है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘कोई सीमा नहीं होने पर वेतन को विभिन्न मदों में बांटने की आजादी होगी...इससे कर देनदारी कम होगी। हमने जो सीमा तय की है, वह कोई अनूठी पहल नहीं है। दुनिया के कई देशों में इस प्रकार की व्यवस्था है।’’

मौजूदा प्रावधान के तहत नियोक्ता अगर वेतन का 12 प्रतिशत से अधिक योगदान भविष्य निधि में करता है तो वह कर योग्य माना जाता है। बजट में लाभांश वितरण (डीडीटी) वापस लेने के प्रावधान के बारे में उन्होंने कहा कि कर इससे प्राप्तकर्ता को कर का भुगतान करना होगा। फिलहाल कंपनियां शेयरधारकों को किये गये लाभांश भुगतान पर 15 प्रतिशत की दर से कर देती हैं। इस पर अधिभार और उपकर अलग से लगता है। कुल दर 20.5 प्रतिशत बैठती है। यह कंपनी के लाभ पर लगने वाले कर के अलावा आता है।

पांडे ने कहा कि उद्योग के विभिन्न तबकों से यह मांग रही है कि डीडीटी खासकर खुदरा /छोटे निवेशकों के लिये काफी प्रतिगमी है जो निम्न कर की श्रेणी में आते हैं। इसीलिए सरकार ने प्राप्तकर्ता से लाभांश कर लेने का निर्णय किया है। पुन: विदेशी निवेशक अपने देश में उसके लाभ का दावा नहीं कर पाते क्योंकि डीडीटी आयकर के रूप में नहीं आता।

सचिव ने कहा, ‘‘हमने विभिन्न देशों में लगने वाले लाभांश कर का अध्ययन किया। इस पर उस दर से कर लगता है, जिसके दायरे में संबंधित व्यक्ति आता है। इसका बेहतर विकल्प है कि इसे प्राप्तकर्ता से वसूला जाए और इसका आकलन आय के आधार पर होना चाहिए क्योंकि जो भी आय है, उस पर निर्धारित दर से कर लगे। इससे किसी को समस्या नहीं होगी। डीडीटी 20 साल से प्रभाव में है। वर्ष 2002 में इसे समाप्त कर दिया गया था लेकिन 2003 में इसे फिर से लागू किया गया।

Web Title: 60 lakh annual salary will be affected by the limit on tax free contribution to retirement fund

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