रवि दहिया पर पुरस्कारों की बौछार, 4 करोड़ रुपये, आधी कीमत पर जमीन, क्लास वन की नौकरी
By सतीश कुमार सिंह | Updated: August 5, 2021 21:07 IST2021-08-05T21:03:38+5:302021-08-05T21:07:47+5:30
Tokyo Olympics: रवि दहिया का गांव नाहरी दिल्ली से 65 किमी दूर है लेकिन वहां अब भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है।

रवि दहिया गुरुवार को ओलंपिक खेलों में रजत पदक जीतने वाले केवल दूसरे भारतीय पहलवान बने।
Tokyo Olympics: हरियाणा सरकार ने तोक्यो ओलंपिक में रजत पदक जीतकर इतिहास रचने वाले पहलवान रवि दहिया पर गुरुवार को इनामों का ढेर लगा दिया। मनोहर लाल खट्टर सरकार ने कहा कि दहिया को क्लास वन श्रेणी की सरकारी नौकरी के अलावा 4 करोड़ रुपये दिए जाएंगे।
इतना ही नहीं चैंपियन पहलवान को हरियाणा सरकार की नीति के अनुसार प्रदेश में कहीं भी 50 प्रतिशत रियायत पर जमीन का प्लॉट भी मिलेगा। पुरस्कारों की सूची में दहिया के गांव नाहारी में एक इनडोर खेल सुविधा भी शामिल है। इससे पहले हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने दहिया को उनके इस कारनामे पर बधाई दी थी।
सीएम खट्टर ने हिंदी में ट्वीट किया, "बेटे रवि दहिया ने न केवल हरियाणा बल्कि पूरे भारत का दिल जीत लिया है। रजत पदक जीतने पर उन्हें बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं। शुभकामनाएं।" पहली श्रेणी की नौकरी और हरियाणा में जहां चाहे, 50% रियायत पर जमीन का एक भूखंड दिया जाएगा।
हमने तिरंगा फहराना-देश के संग हरियाणा
— Manohar Lal (@mlkhattar) August 5, 2021
बेटे रवि दहिया ने #Tokyo2020 में लट्ठ गाढ़कर न सिर्फ हरियाणा का बल्कि पूरे हिंदुस्तान का दिल जीत लिया है। रजत पदक जीतने पर उन्हें बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं।
आप सफलता की नई ऊंचाइयों को हासिल करें, यही कामना करता हूँ।#Cheer4Indiapic.twitter.com/70wCfoSCxk
हरियाणा सरकार की घोषणा के अनुसार उन्हें रजत पदक विजेताओं के लिए नामित 4 करोड़ रुपये भी दिए जाएंगे। रवि दहिया गुरुवार को ओलंपिक खेलों में रजत पदक जीतने वाले केवल दूसरे भारतीय पहलवान बने।
शायद इस बार मैं रजत का हकदार ही था, पेरिस में स्वर्ण की कोशिश करूंगा : रवि दहिया
युवा भारतीय पहलवान रवि दहिया ने गुरुवार को कहा कि तोक्यो ओलंपिक में वह शायद रजत पदक जीतने के ही हकदार थे लेकिन वह पेरिस ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने का अपना सपना पूरा करने की कोशिश करेंगे। इस 23 वर्षीय खिलाड़ी ने पुरुष वर्ग के 57 किग्रा फाइनल के बाद कहा कि यह रजत पदक उन्हें कभी संतोष नहीं देगा हालांकि उनका प्रदर्शन भारतीय कुश्ती के लिये काफी मायने रखता है। दहिया ने जापान की राजधानी से फोन पर कहा, ‘‘मैं रजत पदक के लिये तोक्यो नहीं आया था। इससे मुझे संतुष्टि नहीं मिलेगी।
शायद इस बार मैं रजत पदक का ही हकदार था क्योंकि युगुएव आज बेहतर पहलवान था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं जो चाहता था, वह हासिल नहीं कर पाया। ’’ दहिया ने विश्व चैंपियन युगुएव के रक्षण को तोड़ने के लिये अपनी तरफ से भरसक प्रयास किया लेकिन रूसी पहलवान ने उन्हें कोई मौका नहीं दिया। दो बार के मौजूदा एशियाई चैंपियन ने कहा, ‘‘उसकी शैली बहुत अच्छी थी। मैं अपने हिसाब से कुश्ती नहीं लड़ पाया। मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या कर सकता हूं। उसने बहुत चतुरता से कुश्ती लड़ी।’’
#Tokyo2020 में रजत पदक जीतने पर रवि दहिया को हरियाणा सरकार द्वारा 4 करोड़ की ईनाम राशि और सरकार में क्लास वन की नौकरी व कंसेशनल रेट पर HSVP का प्लॉट देने की घोषणा करता हूँ।
— Manohar Lal (@mlkhattar) August 5, 2021
बेटे रवि दहिया को हार्दिक शुभकामनाएं। pic.twitter.com/yrFoAiC9rm
दहिया से जब पूछा गया कि उनका रजत पदक भारतीय कुश्ती के लिये क्या मायने रखता है तो वह उत्साहित हो गये। उन्होंने कहा, ‘‘वो तो ठीक है लेकिन रजत पदक लेकर चुप नहीं बैठ सकता। मुझे अपनी एकाग्रता बनाये रखनी होगी और अपनी तकनीक पर काम करना होगा तथा अगले ओलंपिक खेलों के लिये तैयार रहना होगा।’’
रवि के पिता राकेश ने उन्हें यहां तक पहुंचाने के लिये काफी बलिदान दिये। वह अब भी परिवार को चलाने के लिये पट्टे पर लिये गये खेतों पर काम करते हैं। हरियाणा सरकार ने उनके लिये चार करोड़ रुपये के नकद पुरस्कार की घोषणा की है और दहिया ने कहा कि वह केवल पैसे के बारे में नहीं सोच रहे थे और उनका ध्यान केवल ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतने पर था। उन्होंने इसके साथ ही कहा कि वह अपने पिता पर खेतों में काम नहीं करने के लिये दबाव नहीं बनाएंगे।
दहिया ने कहा, ‘‘उन्हें काम करने में खुशी मिलती है। यह उन पर निर्भर है कि वह आराम चाहते हैं या नहीं। मैं उन पर किसी तरह का दबाव नहीं बनाऊंगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मेरे गांव ने तीन ओलंपियन दिये हैं और वह मूलभूत सुविधाओं का हकदार है। मैं नहीं बता सकता कि पहले क्या चाहिए। गांव को हर चीज की आवश्यकता है। हर चीज महत्वपूर्ण है चाहे वह अच्छे स्कूल हों या खेल सुविधाएं।’’ दहिया का गांव नाहरी दिल्ली से 65 किमी दूर है लेकिन वहां अब भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है।