टोक्यो ओलंपिकः भारतीय पहलवान रवि दहिया के हाथ से फिसला गोल्ड, फाइनल में जावुर युगुएव से हार के बाद सिल्वर से करना पड़ा संतोष
By अभिषेक पारीक | Published: August 5, 2021 04:25 PM2021-08-05T16:25:54+5:302021-08-05T17:04:22+5:30
टोक्यो ओलंपिक में भारतीय पहलवान रवि को रजत पदक से संतोष करना पड़ा है। कुश्ती के 57 किलोग्राम वर्ग भार के फाइनल मुकाबले में रूस ओलंपिक कमेटी के बैनर तले खेल रहे पहलवान जावुर युगुएव ने उन्हें हराया।
टोक्यो ओलंपिक में भारतीय पहलवान रवि को रजत पदक से संतोष करना पड़ा है। कुश्ती के 57 किलोग्राम वर्ग भार के फाइनल मुकाबले में रूस ओलंपिक कमेटी के बैनर तले खेल रहे पहलवान जावुर युगुएव ने उन्हें हराया। जिसके बाद गोल्ड जीतने का रवि का सपना टूट गया। रूसी पहलवान ने रवि दहिया को 7-4 से रवि को शिकस्त दी।
जावुर युगुएव दो बार के विश्व चैंपियन हैं। उन्होंने पहले राउंड से ही मुकाबले में अपनी पकड़ मजबूत कर ली थी। पहले राउंड में जवुर ने शानदार खेल का प्रदर्शन करते हुए 4-2 की बढ़त बना ली थी। हालांकि रवि ने प्रयास किए और उन्हें कड़ी टक्कर देने की कोशिश की लेकिन वे बढ़त को कम करने में सफल नहीं हो सके।
दूसरे राउंड में भी मुकाबले में रूसी पहलवान रवि पर भारी पड़े। रवि दहिया की मुश्किलें धीरे-धीरे बढ़ती गई और वे 4-7 से टोक्यो ओलंपिक के फाइनल में हार गए। हालांकि इस बार के बाद भी वे सिल्वर मेडल जीतने में कामयाब रहे हैं। इससे पहले भारतीय पहलवान सुशील कुमार ने 2012 के ओलंपिक के फाइनल में पहुंचे थे। सुशील भी फाइनल मुकाबला हार गए थे और उन्हें भी रजत से ही संतोष करना पड़ा था।
#TokyoOlympics | Wrestler Ravi Dahiya gets #Silver medal, loses to ROC's Zavur Uguev in men's Freestyle 57 kg final. pic.twitter.com/EUFWe1McAh
— ANI (@ANI) August 5, 2021
सेमीफाइनल में दर्ज की थी जबरदस्त जीत
रवि दहिया ने सेमीफाइनल के बेहद उतार-चढ़ाव वाले मुकाबले में जबरदस्त जीत दर्ज की थी। सेमीफाइनल में कजाकिस्तान के पहलवान नूरीस्लाम सनायेव ने मैच शुरू होने के कुछ ही वक्त बाद रवि दहिया के खिलाफ जबरदस्त बढ़त बना ली थी। एक वक्त नूरीस्लाम 10-2 से आगे थे। लग रहा था कि वह रवि दहिया को आसानी से हरा देंगे, लेकिन रवि ने जबरदस्त वापसी की और नूरीस्लाम को आखिरी एक मिनट में जबरदस्त पटखनी दी। जिसके बाद रवि के दांव से बचने के लिए नूरीस्लाम ने उनकी बाजू पर दांत गड़ा दिए। हालांकि इसके बाद भी रवि ने पकड़ ढीली नहीं की और उसे हराकर ही दम लिया। रवि ने कजाकिस्तान के पहलवान को चित्त करके यह मुकाबला जीता। इसे विक्ट्री बाय फाल कहा जाता है।