Tokyo Olympics में भारतीय मुक्केबाज लोवलिना बोर्गोहैन ने शुक्रवार को इतिहास रच दिया। लोवलिना बोर्गोहैन ने महिला वेल्टरवेट(64-69 kg) बॉक्सिंग के सेमीफाइनल में पहुंच भारत के लिए टोक्यो ओलिंपिक्स में मेडल पक्का कर लिया हैं। लोवलिना टोक्यो ओलिंपिक्स में भारत के लिए पदक पक्का करने वाली पहली बॉक्सर बन गईं हैं। अपने पहले ओलिंपिक में ही लोवलिना ने विक्ट्री पंच लगा देश का गौरव बढ़ाया है।
किक बॉक्सर से बॉक्सिंग तक का सफर
2 अक्टूबर 1997 को जन्मीं लोवलिना असम के गोलाघाट जिले से ताल्लुक रखतीं हैं। वह ओलिंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली असम की पहली महिला बॉक्सर हैं। अपनी दो बड़ी बहनों को किक बॉक्सिंग खेलता देख लोवलिना ने भी शुरुआत में किक बॉक्सिंग में किस्मत आजमाई लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने बॉक्सिंग रिंग में उतरने का फैसला किया। लोवलिना की जुड़वा बहनों ने भी राष्ट्रीय स्तर पर किक-बॉक्सिंग में असम का प्रतिनिधित्व किया है।
ओलिंपिक की तैयारी से लेना पड़ा ब्रेक
ओलिंपिक की तैयारी के दौरान अपनी मां की किडनी ट्रांसप्लांट ऑपरेशन के लिए लोवलिना को ब्रेक लेना पड़ा था। इसके बाद कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर के दौरान उनके कोचिंग स्टॉफ के सदस्य कोरोना पॉजिटिव हो गए लेकिन लोवलिना ने मेहनत जारी रखी और टोक्यो ओलिंपिक में विक्ट्री पंच लगाने में कामयब रहीं।
पहले दो बार जीता कांस्य, अब रंग बदलने का मौका
लोवलिना को 2020 में अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका हैं। इससे पहले 2018 और 2019 में महिला वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीत चुकीं हैं। 2018 में ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में आयोजित हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में भी लोवलिना ने भाग लिया था, लेकिन क्वार्टर फाइनल मुकाबले में उन्हें इंग्लैंड की सैंडी रायन से हार का सामना करना पड़ा था, रायन ने ही महिला वेल्टरवेट कैटेगरी में गोल्ड मेडल जीता था।
टोक्यो ओलिंपिक में शानदार प्रदर्शन करते हुए लोवलिना ने एक बार फिर कांस्य पदक तो पक्का कर ही लिया है, लेकिन अभी बचे मुकाबलों में उनके पास मेडल का रंग बदलने का भी मौका हैं।