नाराज लड़की का दिल बहलाने के लिये जाते थे रेंज और अब मिला स्वर्ण : अवनि के पिता

By भाषा | Published: August 30, 2021 04:41 PM2021-08-30T16:41:40+5:302021-08-30T16:41:40+5:30

Range used to entertain angry girl's heart and now got gold: Avni's father | नाराज लड़की का दिल बहलाने के लिये जाते थे रेंज और अब मिला स्वर्ण : अवनि के पिता

नाराज लड़की का दिल बहलाने के लिये जाते थे रेंज और अब मिला स्वर्ण : अवनि के पिता

अवनि लेखरा के पिता प्रवीण जब 2015 में पहली बार उन्हें निशानेबाजी रेंज ले गए तो उनका मकसद कार दुर्घटना के अपाहिज हुई उनकी बेटी की जिंदगी से नाराजगी कम करके उसका दिल बहलाना था । उन्हें क्या पता था कि उनका यह प्रयास उनकी बेटी की जिंदगी हमेशा के लिये बदल देगा । नाराजगी कम करने के लिये की गई पहल की परिणित आज तोक्यो पैरालम्पिक में अवनि के ऐतिहासिक स्वर्ण पदक के रूप में हुई । प्रवीण लेखरा ने पीटीआई से कहा ,‘‘ उस दुर्घटना के पहले वह काफी सक्रिय थी और हर गतिविधि में भाग लेती थी लेकिन उस हादसे ने उसकी जिंदगी बदल दी ।’’ उन्होंने कहा ,‘‘वह हालात से काफी खफा थी और किसी से बात नहीं करना चाहती थी । माहौल बदलने के लिये मैं उसे जगतपुरा में जेडीए निशानेबाजी रेंज ले जाता था जहां से उसे निशानेबाजी का शौक पैदा हुआ ।’’ उन्होंने इसके बाद अपनी बेटी को ओलंपिक चैम्पियन निशानेबाज अभिनव बिंद्रा की आत्मकथा ‘ अ शॉट एट हिस्ट्री : माय आब्सेसिव जर्नी टू ओलंपिक गोल्ड’ खरीदकर दी । अवनि ने किताब पढना शुरू किया और ओलंपिक में भारत के पहले व्यक्तिगत स्वर्ण पदक विजेता बिंद्रा से प्रेरित होने लगी । शुरूआत में उसे दिक्कतें आई लेकिन उनके पिता ने कहा,‘‘ उसके कोच ने उसका पूरा साथ दिया और वह अच्छा प्रदर्शन करने लगी । उसने राज्य स्तर पर स्वर्ण और 2015 में राष्ट्रीय स्तर पर कांस्य पदक जीता । आज उसने पैरालम्पिक में स्वर्ण जीता है जिसकी उससे अपेक्षा की जा रही थी ।’’ अवनि के पदक जीतने के बाद से उनके पिता का फोन लगातार बज रहा है । दूसरी ओर करौली जिले के छोटे से गांव देवलेन में भी जश्न का माहौल है जहां के रहने वाले सुंदर सिंह गुर्जर ने भालाफेंक में कांस्य पदक जीता । उनके भाई हरिओम गुर्जर ने कहा ,‘‘ पूरा गांव खुश है । उसे स्वर्ण की उम्मीद थी हालांकि वह चूक गया ।’’ उन्होंने बताया कि गांव भर के लोग या तो उनके घर पर टीवी देखने जमा थे या मंदिर में विशेष पूजा करके उसकी सफलता की कामना कर रहे थे । कांस्य जीतने के बाद मिठाइयां बांटी गई । हरिओम ने कहा ,‘‘ सुंदर के दो बच्चे हैं और एक का जन्म पिछले साल जन्माष्टमी पर हुआ । वहीं इस जन्माष्टमी पर सुंदर ने देश के लिये पदक जीता ।’’ सुंदर की मां ग्राम पंचायत में सरपंच है । भालाफेंक में रजत जीतने वाले देंवद्र झाझरिया भी राजस्थान से हैं । मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत ने खिलाड़ियों को बधाई देते हुए स्वर्ण पदक पर तीन करोड़, रजत जीतने वाले को दो करोड़ और कांस्य जीतने वाले को एक करोड़ रूपये नकद पुरस्कार देने का ऐलान किया।

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Web Title: Range used to entertain angry girl's heart and now got gold: Avni's father

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