कभी जूते के लिए भी नहीं थे पैसे, नंगे पैर दौड़ने को थे मजबूर, अब ओलंपिक में दौड़कर ऊंचा करेंगे भारत का नाम

By दीप्ती कुमारी | Updated: July 8, 2021 15:13 IST2021-07-08T15:13:40+5:302021-07-08T15:13:40+5:30

भारत की तरफ से ओलंपिक में प्रतिनिधतिव करने वाले पी नागानाथन की कहानी किसी प्रेरणा से कम नहीं है , जो बताती है कि आपके इरादे मजबूत होने चाहिए, मंजिल मिल ही जाएगी । कभी पैसों के अभाव में उन्हें नंगे पैर दौड़ना पड़ा था ।

meet this chennai cop who ran barefoot in poverty now he will run for country in tokyo olympic | कभी जूते के लिए भी नहीं थे पैसे, नंगे पैर दौड़ने को थे मजबूर, अब ओलंपिक में दौड़कर ऊंचा करेंगे भारत का नाम

फोटो सोर्स - सोशल मीडिया

Highlightsओलंपिक में 4 गुणा 400 रिले दौड़ में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे पी नागानाथनकभी नागानाथन के पास दौड़ने के जूते नहीं होते थे नागानाथन ने परिवार की मदद के लिए मजदूरी भी की

चेन्नई : इंसान की इच्छाशक्ति से बड़ी कोई ताकत नहीं होती है । इसकी सबसे बड़ी मिसाल भारत का टोक्यो ओलंपिक में प्रतिनिधित्व करने वाले 25  वर्षीय पी नागानाथन है । इनकी संघर्ष की कहानी जितनी संघर्षपूर्ण है , उतनी ही प्रेरणादायक भी है । कभी एक जोड़ी जूते की कमी के कारण वह नंगे पैर दौड़े थे क्योंकि उनके पास जूते खरीदने तक के पैसे नहीं थे।

नागानाथन चेन्नई पुलिस में कांस्टेबल है लेकिन कभी ऐसे भी दिन उन्होंने देखे हैं , जब अपनी परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए उन्होंने मजदूरी की थी । नागनाथन के पिता पांडी एक निर्माण श्रमिक थे और माता पंचवर्णम एक गृहिणी थीं।

इस बारे में नागानाथन कहते हैं कि 'जब मैंने स्कूल में दौड़ लगाना शुरू किया तो मैं ज्योति नहीं खरीद सकता था इसलिए मैं नंगे पैर ही थोड़ा जो मैं डिस्ट्रिक्ट स्पोर्ट्स मीट में गया तो मेरे स्कूल में मुझे जोड़ी जूते गिफ्ट किए ।' 

ओलंपिक में 4 गुणा 400  रिले में करेंगे भारत का प्रतिनिधित्व

अब नागनाथन 4 गुणा 400  रिले में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे । इसमें उनके साथ  त्रिची के आरोकियाराज, केरल के मोहम्मद अनस और दिल्ली के अमोस जैकब शामिल है । दरअसल नागानाथन का सपना इंजीनियर बनने का था लेकिन पैसों की किल्लत की वजह से वह इंजीनियरिंग की पढ़ाई नहीं पढ़ पाए। अंत में उन्होंने बीए इतिहास की पढ़ाई की । वह बताते हैं कि 'मैं कॉलेज की फीस भरने के लिए पार्ट टाइम काम करता था । सेमेस्टर के अंत में खेल में मेरी परफॉर्मेंस को देखते हुए मेरी फीस कम कर दी जाती थी।'

अंत में नागनाथन की मेहनत रंग लाई और 2017 में उन्हें खेल कोटा से सशस्त्र रिजल्ट कॉन्स्टेबल की जॉब मिली और उन्होंने 2019 ऑल इंडिया पुलिस मीट में गोल्ड मेडल जीता । उसके बाद जीत का सिलसिला शुरू हो गया । इसके बाद उन्होंने  जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में सीएम ट्राफी जीती । फरवरी में पटियाला में फेडरेशन कप में भाग लिया. जहां वह दूसरे स्थान पर रहे । इसके बाद उन्हें  भारतीय टीम का हिस्सा बनने का मौका मिला । 45 दिनों की कड़ी ट्रेनिंग  के बाद उनका सिलेक्शन हुआ ।

इस पर नागनाथन कहते हैं कि 'मैंने कभी सपने में नहीं सोचा था कि मुझे ओलंपिक में भाग लेने का मौका मिलेगा । मैं अपनी सफलता का श्रेय अपने पुलिस कोच प्रभाकरन, चेन्नई पुलिस स्पोर्ट्स इंचार्ज और सब इंस्पेक्टर पॉल डोमिनिक और शिवलिंग को देता हूं।'

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