ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में चल रहे कॉमनवेल्थ गेम्स में पहला दिन भारत के लिए खास रहा। वेटलिफ्टिंग में गुरु राजा के सिल्वर मेडल के बाद वेटलिफ्टर सिखोम मीराबाई चानू ने भारत को पहला गोल्ड दिलाया। उन्होंने 48 किग्रा कैटेगरी में 196 किग्रा (स्नैच में 86 किग्रा और क्लीन एंड जर्क में 110 किग्रा) वजन उठाकर यह मेडल अपने नाम किया। इस दौरान उन्होंने स्नैच में अपना ही दो बार रिकॉर्ड तोड़ा। हाल ही में मीराबाई चानू को बेहतरीन खेल के लिए उन्हें कुछ दिन पहले पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।
वर्ल्ड चैम्पियन बनने वालीं दूसरी भारतीय हैं चानू
भारत की सैखोम मीराबाई चानू ने वर्ल्ड चैंपियन वेटलिफ्टर बनने वाली दूसरी महिला हैं। उन्होंने पिछले साल अमेरिका के अनाहाइम शहर में आयोजित वर्ल्ड चैंपियनशिप में महिलाओं के 48 किलोग्राम वर्ग में गोल्ड हासिल किया था। भारत की झोली में यह गोल्ड 22 साल बाद आया था। इससे पहले वर्ल्ड चैंपियनशिप में भारत की आखिरी विजेता कर्णम मल्लेश्वरी थीं, जिन्होंने साल 1994 और 1995 में वर्ल्ड वेटलिफ्टिंग चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था।
सगी बहन की शादी छोड़ जीता था गोल्ड
मीराबाई चानू ने 194 किलोग्राम उठाकर वर्ल्ड वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में गोल्ड जीता था। 48 किलो का वजन बनाए रखने के लिए चानू ने उस दिन खाना भी नहीं खाया था। इस मेडल की सबसे खास बात यह थी कि इस दिन की तैयारी के लिए चानू अपनी सगी बहन की शादी तक में नहीं गई थीं।
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कुंजरानी देवी को मानती हैं प्रेरणा
चानू भारत की पूर्व वेटलिफ्टर कुंजरानी देवी को अपनी प्रेरणा मानती हैं। चानू ने एक इंटरव्यू में बताया था कि जब बचपन में मैं कुंजरानी देवी को वेटलिफ्टिंग करते देखती थी तो यह मुझे काफी आकर्षक लगा। मैं ये सोचती थी कि वो इतना वजन कैसे उठा पा रही हैं।
ट्रेनिंग के लिए करनी पड़ती थी 60 KM की यात्रा
चानू ने बताया था कि इसके बाद उन्होंने वेटलिफ्टिंग के लिए अपने माता-पिता को मनाया। हालांकि मैंने तय कर लिया था कि वेटलिफ्टिर बनना है, लेकिन मेरे गांव में कोई वेटलिफ्टिंग नहीं था और मुझे ट्रेनिंग के लिए साठ किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती थी।
डायट ने लिए नहीं होते थे पैसे
चानू के परिवार की आर्थिक स्थिति कुछ ठीक नहीं थी, इसलिए डायट चार्ट के मुताबिक खाना नहीं खा पाती थीं। इसका असर की बार उनके खेल पर भी पड़ा। चानू बताती हैं कि हमारे कोच हमें जो डाइट चार्ट देते थे, उसमें चिकन और दूध अनिवार्य हिस्सा थे। मेरे घर की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि मैं हर दिन चार्ट के मुताबिक खाना खा सकूं और कई बार अपर्याप्त पोषण के बावजूद वेटलिफ्टिंग करना पड़ा।
मणिपुर के पूर्वी इम्फाल में हुआ जन्म
सैखोम मीराबाई चानू का जन्म 8 अगस्त 1994 को मणिपुर के पूर्वी इम्फाल में हुआ था। 4 फीट 11 इंट लंबाई वाली चानू 48 किलोग्राम वर्ग में हिस्सा लेती हैं। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत साल 2007 में इम्फाल में आयोजित खुमस लंपक स्पोर्ट्स कॉमनवेल्थ से की थी।
मीराबाई चानू की उपलब्धियां
चानू को साल 2013 में गुवाहाटी में आयोजित जूनियर नेशनल चैंपियनशिप में बेस्ट लिफ्टर चुना गया था। इसके बाद चानू ने साल 2011 में इंटरनेशनल यूथ चैंपियनशिप और दक्षिण एशियाई जूनियर गेम्स में गोल्ड मेडल अपने नाम किया था। चानू ने साल 2014 में ग्लासगो में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर मेडल जीता था। साल 2016 में दक्षिण एशियाई खेलों में चानू ने गोल्ड मेडल पर कब्जा किया था। अब उन्होंने वर्ल्ड वेटलिफ्टिंग चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल अपना नाम किया है।