भारत की महिला वेटलिफ्टर संजीता चानू ने 21वें कॉमनवेल्थ गेम्स के दूसरे दिन भारत को दूसरा गोल्ड मेडल दिलाया। संजीता ने शानदार प्रदर्शन करते हुए महिलाओं की 53 किलोग्राम कैटेगरी स्पर्धा में यह मेडल जीता। इससे पहले मीराबाई चानू ने 48 किलोग्राम वर्ग में भारत को पहला गोल्ड मेडल दिलाया था।
दूसरे दिन संजीता चानू ने स्नैच में 84 किलोग्राम का सर्वश्रेष्ठ भार उठाया, जो गेम रिकॉर्ड रहा। वहीं क्लीन एंड जर्क में उन्होंने 108 किलोग्राम का सर्वश्रेष्ठ भार उठाया और कुल 192 के कुल स्कोर के साथ गोल्ड मेडल अपने नाम करने में सफल रहीं।
कौन हैं संजीता चानू ?
24 साल की संजीता चानू मणिपुर की रहने वाली हैं और भारतीय रेलवे में कर्मचारी हैं। स्वभाव से शर्मीली संजीता की नजर हमेशा ही गोल्ड मेडल पर रही है। इससे पहले वो साल 2014 में आयोजिस ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स में 48 किलोग्राम वर्ग में भारत को गोल्ड दिलाया था। उस समय संजीता ने मीराबाई चानू को हराया था और मीरा को सिल्वर मेडल से संतोष करना पड़ा था। (यह भी पढ़ें- CWG 2018: मीराबाई चानू को ट्रेनिंग के लिए करनी पड़ती थी 60 KM की यात्रा, बहन की शादी छोड़ भारत को दिलाया था 'गोल्ड')
सरकार से टक्कर लेकर आईं सुर्खियों में
कई मेडल जीत चुकी संजीता 2017 में उस समय भी सुर्खियों में आई थीं, जब अर्जुन पुरस्कार पाने वालों की सूची में उनका नाम नहीं था और उन्होंने इसका विरोध किया था। इसके लिए उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में अपील भी की थी, लेकिन उनकी अपील खारिज कर दी गई थी। संजीता को अर्जुन अवॉर्ड तो नहीं मिला, लेकिन उन्होंने अपना जवाब पिछले साल कॉमनवेल्थ वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में 53 किलोवर्ग में गोल्ड मेडल जीतकर दिया। (यह भी पढ़ें- CWG 2018: ट्रक ड्राइवर के बेटे ने इंडिया को दिलाया पहला मेडल, कभी नहीं होते थे डाइट के पैसे)
मीराबाई और संजीता हैं अच्छी दोस्त
मणिपुर की रहने वाली संजीता चानू और मीराबाई चानू के बीच खेल में हमेशा कड़ा मुकाबला रहता है, लेकिन गेम के बाहर दोनों अच्छी दोस्त हैं। दोनों ही खिलाड़ी भारत की पूर्व वेटलिफ्टर कुंजारानी देवी को अपना रोल मॉडल मानती हैं।