'टाइगर जिंदा है' Movie Review: ऊपर वाला सिर देखकर सरदारी देता है!

By आदित्य द्विवेदी | Published: December 22, 2017 04:35 PM2017-12-22T16:35:26+5:302017-12-24T00:28:14+5:30

अली अब्बास जफर ने सलमान खान के फैन्स के लिए ही ये फिल्म बनाई है। पढ़िए टाइगर जिंदा है का रीव्यू...

Tiger Zinda hai Movie Review in Hindi: Typical Salman Khan film | 'टाइगर जिंदा है' Movie Review: ऊपर वाला सिर देखकर सरदारी देता है!

'टाइगर जिंदा है' Movie Review: ऊपर वाला सिर देखकर सरदारी देता है!

सितारेः सलमान खान, कटरीना कैफ, सुदीप, अंगद बेदी, परेश रावल, कुमुद मिश्रा, गिरश कर्नाड, अनुप्र‌िया, प्रदीप रावत
निर्देशकः अली अब्बास जफर
संगीतः जूलियस पैकिअम, विशाल शेखर
बैनर/निर्माताः यशराज फिल्म्स/आदित्य चोपड़ा

साल 2012 में आई फिल्म 'एक था टाइगर' की मेकिंग वीडियो में सलमान खान ने कहा था कि फिल्में एंटरनेटमेंट के लिए बनाई जाती हैं। अगर मुझे मैसेज देना होगा तो मैं ट्वीट कर दूंगा। सलमान के इसी बयान को 'टाइगर जिंदा है' मूवी का डिस्क्लेमर मान लेना चाहिए। ये 'भाई' की फिल्म है और सिर्फ 'भाई' की ही फिल्म है। इस फिल्म का एक डायलॉग है, 'ऊपर वाला सिर देखकर सरदारी देता है'। ये डायलॉग सलमान खान पर बिल्कुल सटीक बैठता है। सिर्फ सल्लू भाई ही हैं जो इस कमजोर कहानी और बिना लॉजिक की फिल्म को चला सकते हैं।

'टाइगर जिंदा है' शुरू होती है इराक के इतरिक शहर से। जहां आतंकी संगठन ISC ने अमेरिका के एक पत्रकार की हत्या कर दी है। अमेरिका को ये बात नागवार गुजरती है और वो हवाई हमले करना शुरू कर देता है। इस घटनाक्रम में भारत की 25 और पाकिस्तान की 15 नर्सों को आतंकी बंधक बना लते हैं। एक अस्पताल को बेस बनाकर सभी नर्सों को यहीं रखा जाता है। अमेरिका इस बेस पर ड्रोन हमला करने जा रहा है और भारत के पास अपनी नर्सों को बचाने के लिए सिर्फ सात दिन का वक्त है। इतनी जल्दी इतने बड़े ऑपरेशन को कौन अंजाम दे सकता है। RAW चीफ के जुबान से एक ही आवाज निकलती है... टाइगर।

'टाइगर जिंदा है' मूवी 2012 में आई 'एक था टाइगर' का सीक्वल है। कहानी वहीं से शुरू होती है जहां 2012 में खत्म हुई थी। टाइगर और जोया ऑस्ट्रिया में खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं। उनका एक जूनियर टाइगर भी पैदा हो गया है। मूवी में इंट्री सीन के साथ ही सलमान छा जाते हैं। ये फिल्म सलमान खान के फैन्स के लिए बनाई गई है। इस पूरी फिल्म में लॉजिक खोजने वाला अपना सिर पकड़ लेगा।

टाइगर सीरीज की पहली फिल्म कबीर खान ने निर्देशित की थी। एक्शन सीन के बावजूद वो ज्यादा रियलिस्टिक लग रही थी। टाइगर जिंदा है फिल्म अली अब्बास जफर के निर्देशन में बनी है। इसमें धमाकेदार एक्शन सीन हैं। इतना धमाका कि उनका लॉजिक से कोई लेना-देना ही नहीं है। लेकिन हमने स्टोरी की शुरुआत में ही डिस्क्लेमर दे दिया है। ये 'भाई' की फिल्म है।

 सलमान खान एकबार फिर 'लार्जर दैन लाइफ' कैरेक्टर निभा रहे हैं। एक ऐसा कैरेक्टर जो आतंकियों के गढ़ में उनकी पूरी सेना से भिड़ जाता है। जो मशीन गन लेकर खुलेआम गोलियों की बौछार करता है। हर तरफ आतंकियों से घिरे होने के बावजूद जिसे ना कभी गोली लगती है ना ही घायल हो सकता है। 

फिल्म में परेश रावल, अंगद बेदी, गिरिश कर्नाड जैसे कलाकार हैं। सलमान खान के सामने उनके लिए ज्यादा स्कोप नहीं था। लेकिन फिर भी उन्होंने अपना रोल बखूबी निभाया है। कटरीना कैफ के हिस्से भी कम लेकिन कुछ अच्छे एक्शन सीन आए हैं। सलमान खान की एक्टिंग में उनका स्टारडम हावी है। कुछ एक  सीन में उनकी डायलॉग डिलिवरी अटपटी लगती है लेकिन स्क्रीन प्रेजेंस इतनी दमदार है कि ये बातें बौनी साबित हो जाती हैं। जब वो स्क्रीन पर होते हैं तो एक्टिंग की बारिकियों पर ध्यान देना छोड़ देना चाहिए। और हॉल में बैठी ऑडिएंस को भी वही पसंद भी आता है। एक सीन में तो सलमान खान शर्टलेस भी हो गए।

फिल्म में ऐसे डायलॉग की कमी है जो सिनेमा हॉल से निकलने के बाद भी याद रह जाएं। कई बार संवाद में 'टाइगर जिंदा है' का दोहराव किया गया है और सहज नहीं लगता। एक सीन आता है जिसमें सलमान के साथ काम करने वाले ऑफिसर को बम डिफ्यूज करना होता है। वो कहता है कि यह असंभव है। मुझसे नहीं हो पाएगा। सलमान बोलते हैं...'ऊपर वाला सिर देखकर सरदारी देता है.' और बम डिफ्यूज कर दिया गया। 

एक सीन में आईएससी कमांडर को मारते वक्त सलमान बोलते हैं, 'ऊपर वाला तुझे माफ करे या ना करे उसकी मर्जी, लेकिन मेरा काम है तुझे ऊपर वाले तक पहुंचा देना।' ये डायलॉग थोड़े असरदार जरूर लगते हैं लेकिन नए बिल्कुल नहीं हैं।

टाइगर जिंदा है फिल्म में तीन गाने हैं। 'दिल दी या गल्लां' शुरुआती 15 मिनट में ही आ जाता है। उसके बाद फिल्म के फाइट सीक्वेंस में एक गाना बैकग्राउंड में चलता है। क्रेडिट्स स्वैग से स्वागत के साथ पेश किए जाते हैं।  रोमांस के नाम पर पूरी फिल्म में 'दिल दी या गल्लां' भर है। सलमान और कटरीना के बीच की केमिस्ट्री देखने गए लोगों को थोड़ी निराशा जरूर हो सकती है। हालांकि दोनों ने साथ में एक्शन सीन अच्छे दिए हैं। सलमान और कटरीना पांच साल बाद किसी फिल्म में साथ आए हैं। 

फिल्म से कोई संदेश निकालने की कोशिश ना ही करें तो अच्छा है। हालांकि भारत-पाकिस्तान के बीच की दीवार को कम करने की कोशिश की गई है लेकिन ये बचकाना लगता है। तिरंगे झंडे का एंगल फिल्म में जबरदस्ती घुसाया हुआ है। खुफिया एजेंसी के कुछ जासूस अपनी नर्सों को बचाने गए हैं तो वो अपना मिशन पूरा करके वापस आएंगे या पराए मुल्क में अपना झंडा फहराने लगेंगे? ये बात समझ से परे है। लेकिन हम फिर याद दिला दें ये 'भाई' की फिल्म है।

Final Comment: अगर आप सलमान खान के फैन हैं तो फिर आपके पास कोई ऑप्शन ही नहीं है। फिल्म देखने एकबार जरूर जाना चाहिए। सिनेमाई क्राफ्ट के लिए फिल्म देखने जाने वाले लोग अगर टाइगर जिंदा है नहीं भी देखेंगे तो कुछ नुकसान नहीं होगा। मैं इस फिल्म को 5 में से 3 स्टार दे रहा हूं।

Web Title: Tiger Zinda hai Movie Review in Hindi: Typical Salman Khan film

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