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पिता ने 1 किलो चावल देकर किया अलग, सब्जी की खेती से 6 भाइयों ने सुधारी जिंदगी

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: March 31, 2018 18:02 IST

मध्य प्रदेश एक किलो चावल से शुरू जिंदगी ने सब्जियों की खेती से रफ्तार पकड़ी। जानिए छह भाइयों की जिंदगी की दास्तां-

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बालाघाट, 31 मार्च (रिपोर्ट- सुधीर शर्मा): मध्य प्रदेश के ग्राम बेनेगांव के 6 भाइयों ने कठिन संघर्ष के बाद अपनी मेहनत के दम पर नया मुकाम हासिल कर लिया है। बहुत गरीबी में एक किलो चावल से शुरू हुई इन भाइयों की जिंदगी ने सब्जियों की खेती से रफ्तार पकड़ ली है। सभी भाई सब्जियों की खेती करते है और सभी ने अपने पक्के मकान बना लिये है। इन भाइयों का कठिन संघर्ष और कड़ी मेहनत से हासिल सफलता अन्य लोगों को भी ईमानदारी के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है। 

बालाघाट जिले के लांजी विकासखंड के ग्राम बेनेगांव में मुख्य सड़क के किनारे ही पिताम्बर महेश्वरे का मकान है। पिताम्बगर के 06 बेटे दिनेश, नरेन्द्र, करूणाकरण, जयनारायण, विनोद और सुरेन्द्र हैं, जो अब अपने स्वयं के खेतों में सब्जियों की खेती करते है। पिताम्बर ने अपने बेटों के बड़े होने पर शादी करने के बाद उन्हें अपनी मेहनत से कमाने के लिए एक-एक किलो चावल देकर अलग कर दिया था। लेकिन अपनी स्वयं की खेती अपने बेटों को नहीं दी थी। पिता से अलग होने के बाद सभी 6 भाइयों का अलग-अलग परिवार हो गया। सभी भाइयों को अपना परिवार पालने के लिए कठिन संघर्ष करना पड़ा। वे लोग गांव के ही अन्य किसानों के खेतों पर काम करके अपना परिवार पालते रहे। कुछ सालों के बाद जब पिता पिताम्बर को लगा कि उसके बेटे अपनी मेहनत से कमाने-खाने में सक्षम हो गये है तो उन्होंने अपनी स्वयं की खेती की जमीन सभी 6 बेटों में बराबर बांट दी है। 

पिताम्बर के बड़े बेटों दिनेश और नरेन्द्र ने बताया कि उनके पिता ने जब उन्हें अपनी जमीन खेती करने के लिए दी तो सभी भाइयों ने अपने-अपने हिस्से के खेतों में सब्जियों की खेती करना प्रारंभ किया। सब्जियों की खेती के लिए उद्यान विभाग के अधिकारियों का उन्हें हर समय मार्गदर्शन मिला है। सभी 6 भाई अपने खेतों में धान की खेती नहीं करते हैं, बल्कि वे बैगन, टमाटर, मिर्ची, भिंडी, पोपट, पालक, चौलई, उड़द की खेती करते हैं और अपने खेतों में नये-नये प्रयोग करते रहते है। दिनेश एवं नरेन्द्र ने बताया कि उन्होंने नया प्रयोग करते हुए बैगन के पौधों के बीच में उड़द की फसल लगाई है। सभी भाई सब्जियों की खेती में इतने पारंगत हो गये है कि बैगन, टमाटर, मिर्ची, भिंडी व अन्य सब्जियों की विभिन्न प्रजातियों के नाम मुंह-जबानी याद है। 

सभी भाई अपने खेतों में निकलने वाली सब्जियां दलालों के माध्यम से नहीं बेचते है, बल्कि स्वयं लांजी एवं आसपास के साप्ताहिक हाट-बाजारों में सब्जियां बेचने जाते है। सभी भाई अपने खेतों में कड़ी मेहनत करते हैं। दिनेश एवं नरेन्द्र ने बताया कि जब पिता ने हमें अलग कर दिया था तो हम लोग गांव में ही दूसरों के खेतों में काम करते रहे, लेकिन अपना गावं छोड़कर कमाने के लिए बाहर नहीं गये। आज सभी भाई सब्जियों की खेती से अच्छी कमाई कर रहे है। सभी भाइयों के सीमेंट-कांक्रीट के पक्के मकान बन गये है। सबसे बड़े भाई का मकान देखकर तो लगता है कि वह किसी बड़े आसामी का मकान होगा। सभी भाई अपने बच्चों से खेती के काम में मदद लेते है और उनको पढ़ा भी रहे है।

उद्यान विभाग के अधिकारियों ने इन 6 भाइयों को सलाह दी है कि वे अपने खेत में सब्जियों की सिंचाई के लिए बूंद-बूंद सिंचाई वाली ड्रिप सिंचाई प्रणाली लगा लें। इसमें उन्हें अनुदान भी मिलेगा। अभी जिस तरह से वे खेत में पानी देते हैं उससे पानी अधिक लगता है। दिनेश एवं नरेन्द्र को अधिकारियों की सलाह ठीक लग रही है और वे ड्रिप सिंचाई प्रणाली लगाने के लिए तैयार हो रहे है।

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