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जयंती विशेष: एनी बेसेंट ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ चलाया था आंदोलन, जानें जीवन से जुड़ीं कुछ दिलचस्प बातें

By धीरज पाल | Updated: October 1, 2018 05:44 IST

1867 में एनी बेसेंट ने फ्रैंक बेसेंट नामक एक पादरी के साथ विवाह किया। दोनों के विचारों में असमानता थी।उनका वैवाहिक जीवन ज्यादा समय तक नहीं चल सका और वे 1873 में कानूनी तौर पे अलग हो गए।

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1893 में जब एनी बेसेंट लंदन से भारत पहुंची तबतक अंग्रेजों ने देश के हर कोने-कोने में अपना अधिकार जमा लिया था। अंग्रेजों की क्रुरता अपनी चरम सीमा पर थी। भारत आने से पहले ही एनी बेसेंट ने कई ऐसे लेख लिखे्ं जिसमें भारत के लोगों के प्रति अपनी उदारता व्यक्त किया। उन्होंने जब देश का भ्रमण कर रहीं थी तो अंग्रेजों के शासन में देश की लोगों की हालात देखकर दंग रह गईं। उन्हें समाज, शिक्षा और स्वास्थ्य की मूलभूत सुविधाओं से कैसे दूर रखा जा रहा था। खासकर समाज में महिलाओं के अधिकारों का हनन उनको नागवार गुजरा। एक अंग्रेज महिला होते हुए उन्होंने मानवता को प्राथमिकता देकर, लोगों की अधिकारों के लिए उन्होंने अंग्रेजों के शासन के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की। भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए उन्होंने देश को अपना दूसरा घर बना लिया। लोग इन्हें आयरल लेडी के नाम से जानते हैं। 1 अक्टूबर को उनकी जयंती पर आज उनसे जुड़ी कुछ दिलचस्प बाते बताएंगे। 

एनी बेसेंट का जन्म 

एनी बेसेंट का जन्म 1 अक्टूबर 1847 में लंदन के एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। वह आयरिश मूल की थीं। कहा जाता है कि जब वह पांच साल की थीं तभी उनके पिता का देहांत हो गया था। परिवार के पालन-पोषण के लिए एनी की मां ने हैरो में लड़कों के लिए एक छात्रावास खोला। अल्पायु में ही उन्होंने पूरे यूरोप की यात्रा की जिससे उनके दृष्टिकोण में वृद्धि हुई।

विचारों की असमानता के कारण पति से तलाक

1867 में एनी बेसेंट ने फ्रैंक बेसेंट नामक एक पादरी के साथ विवाह किया। दोनों के विचारों में असमानता थी।उनका वैवाहिक जीवन ज्यादा समय तक नहीं चल सका और वे 1873 में क़ानूनी तौर पे अलग हो गए। एनी के दो संतान थे। अपने पति से अलग होने के पश्चात एनी ने न केवल लंबे समय से चली आ रही धार्मिक मान्यताओं बल्कि पारंपरिक सोचपर भी सवाल उठाने शुरू किये। उन्होंने ने चर्च पर हमला करते हुए उसके काम करने के तरीको और लोगों की जिंदगियों को बस में करने के बारे में लिखना शुरू किया। एनी का मानना था कि लड़कियों की शादी 16 साल में और लड़कों की शादी 18 साल में होनी चाहिए। 

1893 में भारत पहुंची एनी बेसेंट

 पति के तलाक के बाद एनी बेसेंट ने सामाजिक कार्यों में जुट गईं। भारत आने से पहले ही उन्होंने महिलाओं के अधिकारों, धर्मनिरपेक्षता, गर्भ निरोध, फेबियन समाजवाद और मजदूरों के हक़ के लिए लड़ाई लड़ी। वह थियोसोफिकल सोसाइटी जाति, रंग, वर्ग में भेदभाव के खिलाफ थी। मानव की सेवा करना उन्हें सुकून पहुंचाता था। इसलिए उन्होंने मानवाता की सेवा आपना परम उद्देश्य बनाया। उनके इस पवृति ने भारत की ओर खींच लिया। भारतीय थियोसोफिकल सोसाइटी के एक सदस्य के मदद से वो वर्ष 1893 में भारत पहुंचीं।

बनारस में बीताया अधिक समय 

भारत आने के बाद एनी बेसेंट देश की शिक्षा, गरीबी और समाजिक कुरीतियां और अंग्रेजी हुकूमत से उनका परिचय हुआ। एनी भारत में सबसे वाराणसी में सबसे ज्यादा अपना समय बीताया।  शिक्षा देने के लिए उन्होंने 1898 में वाराणसी में सेन्ट्रल हिन्दू स्कूल की स्थापना की। वह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भी शामिल हुईं और वर्ष 1916 में ‘होम रूल लीग’ जिसका उद्देश्य भारतियों द्वारा स्वशासन की मांग था। 

कांग्रेस महिला की पहली अध्यक्ष

 भारत की स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं की लिस्ट में एनी बेसेंट का नाम शीर्ष पर आता है। उन्होंने अग्रेंजों के खिलाफ कई आंदोलन किए। उन्होंने ‘होम रूल लीग’ में शामिल होकर भारतीयों द्वारा स्वशासन की मांग का भी समर्थन किया। होम रूल आंदोलन में उन्होंने अपनी सक्रिय भागीदारी निभाई। सन 1917 में वो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष बनीं। इस पद को ग्रहण करने वाली वह प्रथम महिला थीं। उन्होंने "न्यू इंडिया" नामक समाचार पत्र प्रकाशित किया जिसमे उन्होंने ब्रिटिश शासन की आलोचना की और इस विद्रोह के कारण उन्हें जेल जाना पड़ा। गांधी जी के भारतीय राष्ट्रीय मंच पर आने के पश्चात, महात्मा गांधी और एनी बेसेंट के बीच मतभेद पैदा हुए जिस वजह से वह धीरे-धीरे राजनीति से अलग हो गईं।

एनी बेसेंट के विचार

- भारत एक ऐसा देश है जिसमें हर महान धर्म के लिए जगह है।- हिन्दू धर्म विश्व में सबसे प्राचीन ही नहीं, सबसे श्रेष्ठ भी है।- कोयले की ऊष्मा खुद कोयले से अलग है, वैसे ही स्मृति, धारणा, फैसला, भावना और इच्छा करना, दिमाग जो सोचने का औजार है, से अलग हैं।- पहले से चिंतन किये बिना विवेकपूर्ण राजनीति नहीं हो सकती।- देश के वर्तमान को समझने एवं उसका भविष्य तय करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को देश के अतीत के बारे में सही ज्ञान होना जरुरी है।- एक कानूनी पत्नी के अलावा परदे के पीछे कई प्रेमिकाएं होना एक पत्नीक विवाह (मोनोगेमी) नहीं है।- हर व्यक्ति, हर कौम, हर देश, के अपने खास मूल सिद्धांत होते हैं, जो जीवन व मानवता को सामान्य बंधन में रखते है।- यदि आप कार्य करने के लिए तैयार नहीं हैं; तो चुप रहना बेहतर है, कार्य के बारे में नहीं ही सोचना बेहतर है।- सूर्य-पूजा और शुद्ध रूपों में प्रकृति की पूजा उनकी दिनचर्या थे, महान धर्मों में, अत्यधिक प्रतीकात्मक लगे, पर ये गहन सत्य और ज्ञान से भरे हैं।

काशी में प्रभावित हुई अस्थियां

20 सितम्बर 1933 को अड्यार (मद्रास) में एनी बेसेंट का निधन हो गया। बताया जाता था कि बनारस में अधिक समय रहने की वजह से उनकी इच्छा के अनुसार उनकी अस्थियों को गंगा में प्रवाहित कर दिया गया।

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