IIT बॉम्बे: कैंटीन के बाहर 'सिर्फ शाकाहारी' वाले पोस्टर लगने पर छिड़ा विवाद, एपीपीएससी ने निंदा कर फाड़ा मैसेज
By आजाद खान | Published: July 31, 2023 08:06 AM2023-07-31T08:06:56+5:302023-07-31T08:24:04+5:30
वहीं इस पूरे मामले में छात्रावास के महासचिव ने सभी छात्रों को ईमेल कर लिखा है कि ''इस तरह का बर्ताव अस्वीकार्य है और किसी छात्र को किसी अन्य छात्र को कैंटीन के किसी भी हिस्से से भगाने का अधिकार नहीं है। अगर ऐसी घटना दोहराई जाती है तो हम इसमें शामिल छात्रों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए मजबूर होंगे।''
मुंबई: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-बॉम्बे (IIT-B) की एक छात्रावास की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है। इस प्रतिष्ठित संस्थान के छात्रावास-12 की कैंटीन के गेट पर एक पोस्टर चस्पा हुआ है जिसमें 'सिर्फ शाकाहारियों को ही यहां बैठने की अनुमति हैं' लिखा हुआ है।
रविवार को एक छात्र प्रतिनिधि द्वारा इस घटना की जानकारी दी गई है। हालांकि ये पोस्टर किसने लगाई है, इसकी अभी जानकारी नहीं मिल पाई है। लेकिन इस पोस्टर की तस्वीर वायरल होने के बाद यहां पर खाने के मुद्दे पर कई सवाल उठ रहे है।
संस्था के अधिकारी ने क्या कहा
मामले में बोलते हुए संस्था के एक अधिकारी ने दावा किया है कि उन्हें एक ऐसा पोस्टर मिला है लेकिन इस पोस्टर को किसने लगाया है, उन्हें और संस्था को इसकी जानकारी नहीं है। अधिकारी के अनुसार, यहां पर अलग-अलग तरह के भोजन करने वालों के लिए कोई एक निश्चित सीट नहीं है।
उधर छात्र समूह आम्बेडकर पेरियर फुले स्ट्डी सर्किल (एपीपीएससी) के प्रतिनिधियों ने इस घटना की निंदा की है और दीवार पर लगे उस पोस्टर को फाड़ दिया है। मामले में बोलते हुए एपीपीएससी ने कहा है कि ''छात्रावास के महासचिव को लिखी गई आरटीआई और ई-मेल के माध्यम से यह सामने आया है कि संस्थान में अलग-अलग भोजन के लिए कोई नीति नहीं है। कुछ छात्रों ने कैंटीन के कुछ हिस्सों को 'केवल शाकाहारियों' के रूप में नामित कर दिया, जिसकी वजह से दूसरे छात्रों को वहां से जाने के लिए मजबूर होना पड़ा।''
छात्रावास के महासचिव ने क्या कहा
घटना पर बोलते हुए छात्रावास के महासचिव ने सभी छात्रों के लिए एक ईमेल भेजा है जिसमें उन्होंने लिखा है कि ''छात्रावास की कैंटीन में जैन वितरण का एक काउंटर है लेकिन जैन भोजन करने वाले लोगों के लिए ऐसी कोई निर्धारित जगह नहीं है।''
महासचिव ने बताया कि उन्हें ऐसी खबरे मिल रही है कि कुछ छात्रों ने कैंटीन में बैठने और खाने के कुछ जगहों को 'जैन के बैठने वाली जगह' के रूप में नामित किया है। ऐसे में जो छात्र मांस लाते है उन्हें इस जगह पर बैठने नहीं दिया जा रहा है।
महासचिव ने मेल में आगे लिखा है कि ''इस तरह का बर्ताव अस्वीकार्य है और किसी छात्र को किसी अन्य छात्र को कैंटीन के किसी भी हिस्से से भगाने का अधिकार नहीं है और वह भी इस आधार पर कि कोई जगह किसी विशेष समुदाय के लिए आरक्षित है। अगर ऐसी घटना दोहराई जाती है तो हम इसमें शामिल छात्रों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए मजबूर होंगे।''