महाराष्ट्र बीजेपी में मुंडे और महाजन युग खत्म, पार्टी ने वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार कर दिया कड़ा संदेश

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 7, 2019 08:28 IST2019-10-07T08:28:57+5:302019-10-07T08:28:57+5:30

Munde and Mahajan era end in Maharashtra BJP, party has given tough message to senior leaders | महाराष्ट्र बीजेपी में मुंडे और महाजन युग खत्म, पार्टी ने वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार कर दिया कड़ा संदेश

महाराष्ट्र बीजेपी में मुंडे और महाजन युग खत्म, पार्टी ने वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार कर दिया कड़ा संदेश

विधानसभा चुनाव के लिए विनोद तावड़े, एकनाथ खड़से, प्रकाश मेहता और राजपुरोहित को उम्मीदवारी नहीं देकर भाजपा ने पुराने नेताओं को कड़ा और साफ संदेश दिया है. इनमें से कुछ नेता प्रमोद महाजन और गोपीनाथ मुंडे के समकालीन रहे हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 1990 के दशक में पार्टी के इन प्रमुख नेताओं के युग का उदय हुआ था.

तावड़े और खड़से 1995 में  भाजपा से उस समय जुड़े जब पार्टी ने शिवसेना के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बनाई थी. इन लोगों ने उस समय भाजपा को मजबूत करने में अहम भूमिका अदा की जब पार्टी राज्य में अपने पैर जमा रही थी. कमोबेश ऐसे ही राजनीतिक माहौल मेहता और पुरोहित के साथ भी रहा. मेहता, मनोहर जोशी के साथ जुड़े और गुजराती समुदाय को पार्टी के पक्ष में करने का कार्य किया.

भाजपा के मुलुंड के कार्यकर्ता ने बताया कि किरीट सोमैया ने भी भाजपा का आधार मजबूत करने के लिए व्यापारी वर्ग को साधने में खासा योगदान दिया  लेकिन इस वर्ष किरीट सोमैया को लोकसभा चुनाव के दौरान मुंबई उत्तर पूर्व सीट से दरकिनार कर दिया गया.

विधान भवन के एक पर्यवेक्षक का कहना है जब भाजपा-शिवसेना युति 1999 का चुनाव हार गई तब खड़से और तावड़े ने मुंडे के साथ जुड़कर राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस-राकांपा आघाड़ी सरकार को आराम से नहीं बैठने दिया.  

पूर्व विधायक एकनाथ खड़से ने कहा कि 1990 में भाजपा के दिग्गज नेता जब मुंबई में जमीन तलाश रहे थे तब मेरे जैसे कई कार्यकर्ताओं ने पार्टी की जड़ें मजबूत करने का काम किया. वे लंबे समय तक उत्तर महाराष्ट्र में पार्टी के पोस्टर ब्वाय रहे. मुख्यमंत्री के एक करीबी का कहना है कि स्वयं फडणवीस चाहते हैं कि भाजपा की केंद्रीय समिति इस मुद्दे पर लचीला रुख अपनाती लेकिन ऐसा नहीं हो सका.

क्या आसान होगी फडणवीस की राह?
विनोद तावड़े और चंद्रशेखर बावनकुले तथा पूर्व मंत्रियों प्रकाश मेहता, एकनाथ खड़से, राज पुरोहित के नाम उम्मीदवारों की सूची से कट जाने के बाद मुख्यमंत्री फडणवीस अपने रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं . राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक तावड़े एक समय में महाराष्ट्र में भाजपा की ओर से सीएम पद की दौड़ में शामिल थे लेकिन कुर्सी फडणवीस के हाथ लगी.

तावड़े को फडणवीस का चैलेंजर माना जाता रहा. ऐसा कहा जाता है कि मराठा आरक्षण आंदोलन के दौरान फडणवीस को ऐसा लगा था कि तावड़े उनके समर्थन में खुलकर नहीं आए और इसके बाद दोनों की राहें जुदा हो गईं. एक राजनीतिक विश्लेषक ने कहा कि वर्ष 2014 में फडणवीस को चुनौती देने वाले अब 2019 में किनारे लग गए हैं.

उन्होंने कहा,  शुरू में खड़से, पंकजा मुंडे, तावड़े और सुधीर मुनगंटीवार (फडणवीस के लिए) खतरे के रूप में देखे गए थे. अब इनमें से ज्यादातर लोग किनारे लग गए हैं. पांच साल पहले फडणवीस का ज्यादा प्रभाव नहीं था लेकिन वर्ष 2019 में उनका पूरा नियंत्रण है. यदि उम्मीदवार जीत गए तो उन्हें पीछे मुड़कर नहीं देखना होगा. वह नई टीम का नेतृत्व करेंगे.

Web Title: Munde and Mahajan era end in Maharashtra BJP, party has given tough message to senior leaders

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